झाबुआ 15 जनवरी, 2024। कलेक्टर सुश्री तन्वी हुड्डा के द्वारा बंधुआ मजदूर प्रथा (उन्मूलन) अधिनियम, 1976 के अंतर्गत श्रमिकों के पहचान, सत्यापन विमुक्ति और पुनर्वासन हेतु गठित जिला स्तरीय निगरानी समिति एवं बाल श्रम (प्रतिषेध एवं विनियमन) अधिनियम 1986 तथा बाल एवं किशोर श्रम (प्रतिषेध एवं विनियमन) 2016 के प्रावधानों के तहत जिला टास्क फोर्स समिति की बैठक आयोजित की गई। बैठक में श्रम निरक्षक श्री संजय कलेश द्वारा बंधुआ मजदुर एवं बाल श्रमिक से जुड़े विभिन्न प्रावधानों की जानकारी दी गई । उन्होंने बताया की किसी भी व्यक्ति से उसकी इच्छा के विरुद्ध मजदूरी करवाना बंधुआ मजदूरी माना जाता है। यह देखा गया है कि कई बार मजदूरों को कुछ रूपया अग्रिम दे दिया जाता है और उसके एवज में मजदूर से काम करने का करार कर लिया जाता है। वह व्यक्ति जब तक उसका पैसा नहीं चुका देता तब तक उसे दूसरी जगह काम नहीं करने दिया जाता। बंधुआ मजदूरी प्रथा (उन्मूलन) अधिनियम 1976 की धारा 2 (क) एवं (ख) के अनुसार इसे बंधुआ मजदूरी माना गया है। किसी व्यक्ति से उसकी इच्छा के विरुदध कोई काम । मजदूरी करवाना या बेगार करवाना। अग्रिम पैसे देकर काम करवाना और यदि वह अन्य स्थान पर काम करना चाहे तो उसे अपने यहां जबरदस्ती काम करने के लिए मजबूर करना। किसी व्यक्ति की न्यूनतम मजदूरी से कम मजदूरी देकर काम करवाना भी बंधुआ मजदूरी है। किसी व्यक्ति से अनुबंध करवाने के बाद भी उससे जबरदस्ती काम नहीं करवाया जा सकता। संविधान के अनुच्छेद 23 के अनुसार किसी व्यक्ति से उसकी इच्छा के विरुद्ध काम नहीं करवाया जा सकता। यदि ऐसा किया जाता है तो उसे बंधुआ मजदूरी माना जाएगा। किसी व्यक्ति से उसका जाति आधारित काम उसकी इच्छा के विरुद्ध करवाना भी बंधुआ मजदूरी हैं। बंधुआ मजदूरी पर रोक बंधुआ मजदूरी प्रथा (उन्मूलन) अधिनियम 1976 में बंधुआ मजदूरी को रोकने के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं। इसके अंतर्गत बंधुआ मजदूरी को अपराध माना गया है और बंधुआ मजदूरी करवाने वाले व्यक्ति को दण्ड दिए जाने का प्रावधान है। इसके साथ ही अधिनियम की विभिन्न धाराओं में बंधुआ मजदूरी रोकने का प्रावधान किया गया है । अधिनियम की धारा 4(1) एवं (2) के अनुसार कोई भी व्यक्ति किसी भी व्यक्ति को अग्रिम रूपए देकर काम करने के लिए विवश नहीं कर सकता।अधिनियम की धारा 5 के अनुसार किसी व्यक्ति से बंधुआ मजदूरी करवाने के लिए किया गया कोई मौखिक या लिखित करार या अनुबंध अमान्य यानी शून्य होगा। यानी यदि कोई व्यक्ति किसी से बंधुआ मजदूरी करने का अनुबंध नहीं लिखवा सकता और यदि वह ऐसा लिखवाता है तो कानून के अनुसार वह अनुबंध मान्य नहीं है।अधिनियम की धारा 6 के अनुसार यदि कोई व्यक्ति अग्रिम रूपया देकर बंधुआ मजदूरी करवाता है तो वह अपराध है तथा अग्रिम रूपयाँ प्राप्त करने वाला व्यक्ति उस राशि को चुकाने के लिए बाध्य नहीं होगा। अधिनियम की धारा 6 (2) के अनुसार बंधुआ मजदूरी करवाने वाला व्यक्ति बंधुआ मजदूर को दी गई राशि (बंधित ऋण) को वसूल करने के लिए दावा नहीं कर सकता। धारा 6(5) अनुसार यदि बंधुआ मजदूरी करवाने वाला व्यक्ति बंधुआ मजदूर को दी गई राशि के बदले में उसकी या उसकै रिश्तेदार की किसी वस्तु या सम्पत्ति पर कब्जा कर लेता है तो वह वस्तु या सम्पत्ति उसे वापस दिलवाई जाएगी। बैठक में कलेक्टर सुश्री तन्वी हुड्डा द्वारा कहा गया की जिले से पलायन पर गए लोगो से पंचायत स्तर से समय-समय पर दूरभाष के मध्यम से उन्हें दी जा रही सुविधाओं की जानकारी लेते रहे। साथ ही सभी जिला अधिकारी फिल्ड भ्रमण के समय किसी भी बाल श्रमिक के कार्य करने की सुचना श्रम अधिकारी को दे ।
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