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RATLAM

श्री सत्यसाई समिति की कपिला गौड निर्लिप्त भाव से करती हेै नारायण सेवा एवं बाल विकास कार्यक्रम ***

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श्री सत्यसाई समिति की कपिला गौड निर्लिप्त भाव से करती हेै नारायण सेवा एवं बाल विकास कार्यक्रम

रतलाम। श्री सत्यसाई सेवा समिति रतलाम द्वारा मानव सेवा ही माधव सेवा है, जीव सेवा ही शिव सेवा है, जन सेवा ही जनार्दन सेवा है के महामंत्र को साकार करते हुए प्रति रविवार के अलावा तीज त्यौहारों को गरीबों को भोजन कराने के अलाव अन्य सेवा गतिविधियां जिसमें मेडिकल केंप, जल सेवा आदि भी शामील सतत की जारही है। इस कार्य में समिति की सक्रिय सदस्या श्रीमती कपिला गौड की सेवाओं को भी जनर अंदाज नही किया जा सकता है। श्रीमती कपिला गौड हर रविवार को नियमित रूप से रेल्वेकालोनी स्थित श्री सत्यसाई मंदिर परिसर में समिति के सदस्यों के साथ गरीबों के बीच भोजन सेवा में सहभागी होती है, वही रेल्वे स्टेशन के प्लेट फार्म क्रमांक 7 के परिसर में भी नियमित रूप से जाकर वहां गरीबों के बीच जाकर सम्मान पूर्वक भोजन अपने परिवार के साथ जाकर करवाती है। श्रीमती गौड का कहना है कि नारायण सेवा श्रद्धा और विनम्रता के साथ भूखों को खाना खिलाना है और यह वह सेवा है जो आज अत्यावश्यक है। नारायण सेवा , ईश्वर की सेवा है, मनुष्य की सेवा नहीं। सबसे अच्छी सेवा भूखे को खाना खिलाना है। भूखों को खाना खिलाएं, जिन्हें अभी तक वह आनंद नहीं मिला है जो अकेले भरपेट भोजन से मिल सकता है। किसी को भी यह अधिकार नहीं है कि वह ईश्वर द्वारा दिया गया दान दान कर सके या उस पर गर्व कर सके या यह महसूस कर सके कि उसने दान में कुछ दिया है। नारायण सेवा की गतिविधि के हिस्से के रूप में, भोजन तैयार किया जाता है, पैक किया जाता है और अत्यंत प्रेम और भक्ति के साथ परोसा जाता है। यह पूरे रतलाम की श्री सत्यसाई सेवा समिति की नियमित विशेषता के रूप में होता है।

इसके अलावा भी श्रीमती कपिता गौड निकटवर्ती ग्राम दंतोडा में भी स्कूल परिसर में जाकर प्रति सप्ताह बच्चों को बाल विकास के तहत मानवीय मूल्यों एवं संस्कृति एव धार्मिक कहानियों के माध्यम से बच्चों के नैतिक विकास में अहम भूमिका नियमित रूप से बिना किसी दिखावे की भावना से कर रही है। उनका कहना है कि बाल विकास कार्यक्रम के अन्तर्गत बच्चों के नैतिक,बौद्धिक एवं आध्यात्मिक विकास के लिये है । श्री सत्य साईं बाल विकास कार्यक्रम की स्थापना भगवान श्री सत्य साईं बाबा द्वारा सक्रिय नैतिक जीवन के प्रति व्यक्तिगत प्रतिबद्धता के विश्वव्यापी नवीनीकरण को सक्षम करने के लिए की गई है। श्री सत्यसाई बाबा भी कहते हैं“तुम्हें स्थिर रहने के लिए अध्ययन करना चाहिए। यह देखिये कि आपके हृदय में दिव्य प्रेम स्थिर कहना है कि बाल विकास का अर्थ है मूल्यवान संस्कारों को निर्माण । व्यक्तिगत मूल्यों को हम न तो पुस्तको से और नही अन्य किसी से भेंठ स्वरूप् प्राप्त कर सकते है। ये मूल्य हर व्यक्ति मे निहीत होते है । श्री सत्यसाई्र बाल विकास द्वारा सही रूप में उचित परिवेश का निर्माण किया जाता है जहां बच्चें के आंतरिक सद्गुण पल्लवित होते हे और उनमें उत्कृष्ठ परिवर्तन हो पाता है। बाल विकास का उद्देश्य हर बच्चें में आंतरिक परिवर्तन लाना ही मुख्य ध्येय है ।

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