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झाबुआ

गाँव गाँव फलिये अग्रेजी शराब धडल्ले से बिक रही है क्यो अनजान है आबकारी के अधिकारी

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आबकारी का काम पुलिस अधीक्षक झाबुआ श्री पद्म विलोचन शुक्ल कि टीम कर रही है

अवैध शराब माफियो ने रास्ता बदल कर सदावा के जंगल रास्ते से होते हुए शराब को गुजरात राज्य मै भेजने की नाकाम कोशिश को कालीदेवी थाना के उमरकोट चोकी के ईमानदार पुलिस कर्मीयो ने ग्राम झिरी मै   मुखबीर की सूचना पर वाहन क्रमांक MP 45 G 1430 को चेक करते उसमे  कुल 124 पेटी अवैध शराब  कीमती 363360/- रुपये माउंट 6000 बीयर 118 पेटी
गोवा व्हिस्की की 04 पेटी हंटर बीयर की  01 पेटी किंग फिशर स्ट्रॉन्ग 01 पेटी एवं पिकअप वाहन कीमती करीब – 500000/-
कुल 870010 रूपये जप्त की गई

परन्तु आबकारी विभाग के अधिकारीगण जिस वाहन को पुलिस के पकडा उससे अनजान कैसे हो सकती है आबकारी के आरक्षक गुजरात बॉर्डर पर रास्ता देखते रह गये और ईधर ईमानदार पुलिस अधीक्षक महोदय की टीम  ने आबकारी आरक्षको के मंसूबो पर पानी फेर दिया  है

आबकारी विभाग की रंगारंग होली फिकी कर दी क्योकि आबकारी उपायुक्त आबकारी संभागीय उड़नदस्ता संभाग इंदौर श्री मुकेश नेमा के मार्गदर्शन में ज़िला आबकारी अधिकारी झाबुआ श्रीमती बसंती भुरिया, के निर्देशन में आबकारी विभाग की संयुक्त टीम द्वारा कालीदेवी ओर कोकावद में अवैध शराब 92 लीटर कच्ची शराब जब्त कर खुद की पीठ थपथापा रहे है

आबकारी संभागीय उड़नदस्ता संभाग इंदौर श्री मुकेश नेमा को पता है कि अग्रेजी शराब परिवहन गुजरात राज्य मै होती है परन्तु उनका सारा विभाग आदिवासियो की 92 लीटर  कच्ची शराब जब्त करने मै लगा रहा ताकि अवैध शराब की बडी खेप गुजरात राज्य मै पहुंच जाऐ और 92 लिटर शराब जब्त का ढिढोरा पिट सके कि कच्ची शराब पुरे विभाग ने मिलकर पकडी है

झाबुआ आदिवासी अंचल मै पैसा एक्ट

(पेसा अधिनियम के अनुसार आंतरिक या बाहरी संघर्षों के खिलाफ ग्राम सभा अपने अधिकारों और परिवेश पर एक सुरक्षा जाल बनाए रख सकती है। स्वदेशी समुदायों को सशक्त बनाकर और शक्ति का विकेंद्रीकरण करके, इसने सहभागी लोकतंत्र का मार्ग प्रशस्त किया और हर स्तर पर स्वतंत्र स्थानीय नियंत्रण की कल्पना की।)

लागू होने के बावजूद भी महुआ कि शराब बनाने पर छूट है फिर भी आदिवासी शोषण किया जाता है

झाबुआ आदिवासी अंचल मै अधिकतर अधिकारीगण आदीवासी समाज से आते है  जिला पंचायत की अध्यक्ष जनपदो के अध्यक्ष नगरपरिषद नगरीय निकाय जिलाधीश उप कप्तान  आदी कर्मचारीगण फिर भी अंग्रेज के जमाने से आदिवासी का शोषण होते आया है और आजाद के 75 वर्ष बित जाने के बाद भी हो रहा

झाबुआ जिले की बडी विडंबना है

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