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रतलाम सिविक सेंटर के प्लाटों की रजिस्ट्री ले गई लोकायुक्त टीम, वित्तीय अनियमितता की हुई थी शिकायत**  लोकायुक्त के दखल के बाद अब निगम प्रशासन व पंजीयन विभाग में भी हड़कंप मचा हुआ है। निगम प्रशासन ने हाईकोर्ट से मिले स्टे को खारिज कराने के लिए तैयारी की है। इसमें विधि विशेषज्ञों की सलाह ली जा रही है।

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रतलाम सिविक सेंटर के प्लाटों की रजिस्ट्री ले गई लोकायुक्त टीम, वित्तीय अनियमितता की हुई थी शिकायत**

 लोकायुक्त के दखल के बाद अब निगम प्रशासन व पंजीयन विभाग में भी हड़कंप मचा हुआ है। निगम प्रशासन ने हाईकोर्ट से मिले स्टे को खारिज कराने के लिए तैयारी की है। इसमें विधि विशेषज्ञों की सलाह ली जा रही है।

(NAI DUNIYA SE SABHAR)

नईदुनिया प्रतिनिधि, रतलाम। न्यू रोड स्थित सिविक सेंटर में 22 प्लाटों की रजिस्ट्री कराने में हुई गड़बड़ी पर लोकायुक्त की जांच भी शुरू हो गई है। बुधवार को लोकायुक्त डीएसपी सुनील तालान ने नगर निगम से सिविक सेंटर के दस्तावेज व पंजीयन कार्यालय से रजिस्ट्री की प्रतियां ली। 22 में से 16 प्लाट की रजिस्ट्री हाथो हाथ उसी दिन अन्य व्यक्तियों को करा दी गई थी। इन्हें मिलाकर 38 रजिस्ट्री लोकायुक्त ने ली है। अब इन दस्तावेजों के परीक्षण के बाद आगे की कार्रवाई होगी। लोकायुक्त के दखल के बाद अब निगम प्रशासन व पंजीयन विभाग में भी हड़कंप मचा हुआ है।

मालूम हो कि दिसंबर 2023 व जनवरी 2024 में सिविक सेंटर के 22 प्लाटों की रजिस्ट्री तत्कालीन निगमायुक्त एपीएस गहरवार के निर्देश पर उपायुक्त विकास सोलंकी ने करवाई थी। सात मार्च को नगर निगम के साधारण सम्मेलन में पक्ष-विपक्ष के पार्षदों ने एकमत होकर सभी रजिस्ट्री शून्य कराने व नामांतरण न करने का निर्णय किया था। पार्षदों का कहना था कि निगम प्रशासन ने 1996 में आवंटन की दर पर ही रजिस्ट्री करा दी, जिससे नगर निगम को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ।

इस निर्णय के बाद 22 प्लाट के खरीदारों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर निगम परिषद के निर्णय पर अगली सुनवाई तक स्टे ले लिया था। पूरे मामले में लोकायुक्त में भी शिकायत की गई थी। बुधवार सुबह जब लोकायुक्त टीम निगम पहुंची तो हड़कंप मच गया। हालांकि लोकायुक्त की ओर से निगम प्रशासन को पूर्व में ही पत्र लिखकर रिकार्ड मांगा गया था। निगम से दस्तावेज लेने के बाद डीएसपी तालान पंजीयन विभाग पहुंचे और रजिस्ट्री कराने की प्रक्रिया, नियमों को लेकर जानकारी लेने के बाद दस्तावेज लिए।

इन बिंदुओं पर होगी जांच

रजिस्ट्री कराते समय निगम के पास सिविक सेंटर की भूमि का स्वामित्व था या नहीं। नजूल विभाग से पट्टा प्राप्त किया गया या नहीं। सिविक सेंटर की लीज शर्तों का पालन हुआ या नहीं। रजिस्ट्री कराने के लिए सक्षम अनुमति ली गई थी या नहीं। रजिस्ट्री कराने से शासन को हानि तो नहीं हुई।

स्टे के खिलाफ निगम देगा प्लाट बेचने की जानकारी

इधर निगम प्रशासन ने हाईकोर्ट से मिले स्टे को खारिज कराने के लिए तैयारी की है। इसमें विधि विशेषज्ञों की सलाह ली जा रही है। हाईकोर्ट में स्टे के लिए याचिका उन 22 प्लाट क्रेताओं ने लगाई थी, जिन्हें निगम से रजिस्ट्री कराई गई थी, लेकिन इनमें से 16 ने उसी दिन या अगले दिन ही प्लाट बेच दिए गए। निगम तैयारी कर रहा है कि प्लाट बेचने के बिंदू को जवाब में प्रमुखता से रखा जाकर शर्तों का भी उल्लेख किया जाए।अगली सुनवाई मई में संभावित है, इससे पहले लोकायुक्त भी अपनी जांच को आगे बढ़ा सकता है।

सिविक सेंटर के प्लाटों की रजिस्ट्री में वित्तीय अनियमितता की शिकायत मिली है। प्राथमिक जांच के लिए रजिस्ट्री व अन्य दस्तावेज लिए हैं। इनका परीक्षण करने के बाद अगर गड़बड़ी पाई जाती है तो प्रकरण दर्ज कर आगे की कार्रवाई की जाएगी।—सुनील तालान, डीएसपी लोकायुक्त

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