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झाबुआ

नवरात्रि के दौरान, वातावरण में मौजूद सूक्ष्म ऊर्जाएं भी व्यक्ति के आत्मा तक पहुंचने के अनुभव को बढ़ाती हैं और सहायता करती हैं- गादीपति ठा. प्रतापसिंह राठौर ।****** चैत्र नवरात्री के अन्तिम दिन गंगाखेडी में महायज्ञ, भंडारा का होगा भव्य आयोजन ।

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नवरात्रि के दौरान, वातावरण में मौजूद सूक्ष्म ऊर्जाएं भी व्यक्ति के आत्मा तक पहुंचने के अनुभव को बढ़ाती हैं और सहायता करती हैं- गादीपति ठा. प्रतापसिंह राठौर ।
चैत्र नवरात्री के अन्तिम दिन गंगाखेडी में महायज्ञ, भंडारा का होगा भव्य आयोजन ।

झाबुआ । नवरात्रि भारतीय संस्कृति में एक प्रमुख और महत्वपूर्ण त्योहार होकर माता दुर्गा की पूजा और आराधना के लिए विशेष रूप से समर्पित है। नवरात्रि का अर्थ है नौ रातें। रात्रि आराम और ताजगी प्रदान करती है। रात के दौरान, आप नींद के माध्यम से अंदर की ओर मुड़ते हैं, और सुबह आप तरोताजा और आराम महसूस करते हुए उठते हैं। उसी तरह, नवरात्रि वह समय होता है जब सबको गहन विश्राम का अनुभव करने का मौका मिलता है। यह गहन विश्राम सभी प्रकार की परेशानियों से मुक्ति, गहन विश्राम और रचनात्मकता लाता है।  इस अवधि के दौरान किए गए उपवास , ध्यान , प्रार्थना और अन्य आध्यात्मिक अभ्यास इस गहरे आराम को लाने में मदद करते हैं। यहां तक कि इस समय के दौरान इंद्रिय विषयों में अत्यधिक लिप्त होने से बचना भी गहरे आराम प्राप्त करने की प्रक्रिया में सहायता करता है। उक्त प्रेरक सन्देश कल्लाजी धाम गंगाखेडी के मुख्य सेवक गादीपति ठा. प्रतापसिंह राठौर ने उपस्थित श्रद्धालुजनों को संबोधित करते हुए हिदया ।


उन्होने कहा कि हमारी आत्मा अनादिकाल से विद्यमान है। यह इस ब्रह्मांड की ऊर्जा का असीमित और शाश्वत स्रोत है। नवरात्रि के दौरान, वातावरण में मौजूद सूक्ष्म ऊर्जाएं भी व्यक्ति के आत्मा तक पहुंचने के अनुभव को बढ़ाती हैं और सहायता करती हैं।  नवरात्रि के दौरान की गई प्रार्थना, जप और ध्यान हमें अपनी आत्मा से जोड़ते हैं। आत्मा के संपर्क में आने से हमारे भीतर सकारात्मक गुणों का उदय होता है और आलस्य, घमंड, जुनून, लालसा और घृणा नष्ट हो जाती है। जब नकारात्मक भावनाओं के रूप में तनाव नष्ट हो जाता है, तो हम परिवर्तनकारी नौ रातों के गहन विश्राम का अनुभव करते हैं। “हम सभी के भीतर देवी ऊर्जा (शक्ति) है। देवी कहीं और नहीं, किसी और लोक में नहीं हैं। यदि हम ध्यान में गहराई से बैठेंगे तो शरीर के भीतर की चमक निखरेगी और फैलकर बाहर भी फैलेगी। यह देवी पूजा है।”

करवड से एक किलोमीटर रतलाम रोड पर स्थित गंगाखेडी में  पहाडी पर बिराजित 300 साल प्राचिन मां नागणेचा की प्रतिमा स्थापित होकर मां के दरबार  में वैकुण्ठवासी श्री नारायणसिंह जी राठौर द्वारा कल्लाजी धाम की स्थापना की गई थी । आज उसी परम्परा को उनके पुत्र गादीपति ठा. प्रतापसिंह राठौर निस्वार्थ भाव एवं आडम्बर से परे रह कर निर्वाह कर रहे है। प्रति रविवार को यहां कल्लाजी की गादी के माध्यम से  दुखी दर्दियों की समस्याओं का निवारण होता है और हर कोई यहां से सन्तुष्ठ होकर जाता है।  नवरात्री में प्रतिदिन यहां मां नागणेचा की महामंगल आरती एवं कल्लाजी महाराज की गादी में सैकडो की संख्या में दूर दूर से श्रद्धालुजन उपस्थित हो रहे है।


श्री कल्याण भक्त मंडल गंगापुरी के ठा के.पी.सिंह ने बताया कि सम्पूर्ण चैत्र नवरात्री में गंगाखेडी स्थित मां नागणेचा के मंदिर पर भक्तों एवं श्रद्धालुओं का तांता लग रहा है। उन्होने बताया कि 17 अप्रेल महानवमी बुधवार को  मां नागणेचा कल्याण धाम गंगाखेडी स्थित मां के मंदिर पर  मां की नवरात्री के निमित्ते महायज्ञ एवं पूर्णाहूति का भव्य आयोजन होगा जिसमें प्रातः 8 बजे से दोपहर 12 बजे तक  पूर्णाहूति के बाद महा भंडारा प्रसादी का आयोजन होगा । दोपहर 1 बजे से शेषावतार श्री कल्लाजी महाराज का पदार्पण होगा तथा गादी के माध्यम से मालिक का सुवचन एवं आशीर्वाद प्राप्त करने का सुनहरा मौका मिलेगा । उन्होने बताया कि सभी श्रद्धालुजन श्री नागणेचाधाम गंगाखेडी पर आयोजित इस भव्य आयोजन में  तनम न धन से श्रद्धाभाव से सहभागी होकर नवरात्रोत्सव के इस दुर्लभ अवसर का लाभ उठावे ।

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