झाबुआ- शहर में महिलाओं ने दशा माता का पूजन शुभ मुहूर्त 8:00 बजे से महिलाओ ने शुरू किया। महिलाये सुबह अपने घर पर जल्दी उठ कर घर की साफ सफाई कर व स्नान कर, पूर्ण श्रृंगार कर हाथों में पूजन की थाली लिए दशा माता का पूजन करने निकली। इस दौरान महिलाओं में खासा उत्साह देखा जा रहा है। झाबुआ नगर के कई स्थानों पर पूजा का दौर जारी है। शहर के पुलिस लाइन स्थित शंकर मंदिर ,छोटा तालाब स्थित शीतला माता मंदिर , कॉलेज रोड मंदिर पर पूजाओं का दौर जारी है महिलाएं इस दिन पूजा अर्चना कर घर में सुख शांति की कामना करती है इसके साथ ही मंदिर पर पंडित द्वारा कथा का वाचन किया जाता है जिससे महिलाओं द्वारा सुना जाता है | क्या है मान्यता
पौराणिक कथा के अनुसार राजा नल व उनकी पत्नी दयावंती रानी ने इस व्रत की शुरुआत की थी। लेकिन राजा ने इस व्रत का अपमान किया था तो उनके घर की दशा बिगड़ गई थी। उनका सभी धन बान खत्म हो गया था ओर घर मे अशांति रहने लगी। फिर अगले वर्ष उन्होंने इस व्रत को श्रद्धा पूर्वक किया था तो उनका धन वापस उन्हें मिल गया ओर पुनः घर मे खुशिया लौट आई । तब से यह व्रत महिलाएं अपने घर की सुख शांति हमेशा बनी रहे कभी भी अपने घर की दशा ना बिगड़े इसलिए महिलाएं यह व्रत करती हैं । साथ ही अपने पति की लंबी उम्र की दशामाता से कामना करती है। पंडित राजेंद्र त्रिवेदी ने बताया कि आज के दिन घर पर कभी भी कलश नहीं करना चाहिए । पीपल के पेड़ पर महिलाएं सूत का धागा बनाती है। उसके बाद महिलाएं अपने गले में धारण करती है । पूजन करने के बाद महिलाएं 5 झाड़ू की भी पूजा करती है । कहते हैं कि झाड़ू में मां लक्ष्मी का वास रहता है । अपने घर के मुख्य दरवाजे के पास बने दोनों और हल्दी से 5 छापे लगाती है। दशा माता व्रत के पहले जिस लड़की की शादी होती है महिलाएं इस दिन झाड़ू भी खरीद कर ले जाती है
वह दशा माता के व्रत के दिन यह व्रत ग्रहण करती है। इस दिन महिलाएं के साथ पुरुष भी दशा माता व्रत करते है। पूजा स्थल पर पंडित द्वारा पौराणिक कथा सुनाई जाती है।