झाबुआ से दौलत गाेलानी…..
झाबुआ। नगरपालिका झाबुआ को प्रतिवर्ष गर्मी में राहगीरों और वाहन चालकों के सूखे कंठ की प्यास बुझाने के लिए प्याऊ लगाने हेतु उच्च विभाग से बजट प्राप्त होता है, लेकिन प्रतिवर्ष देखा गया है कि नगरपालिका द्वारा आधी गर्मी निकलने के बाद शहर में प्याऊ लगाए जाते है। प्याऊ में उपयोग की जाने वाली मेट भी हल्के किस्म की उपयोग होती है।
दरअसल सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि नगरपालिका द्वारा शहर में प्याऊ लगवाने हेतु प्रतिवर्ष ठेका दिया जाता है और जो ठेकेदार यह ठेका लेता है उसके द्वारा प्याऊ निर्माण कार्य में लापरवाही बरतते हुए, मिली राशी में से आधी राशी का उपयोग किया जाता है और आधी राशी डकार ली जाती है। जिसके चलते प्याऊ निर्माण में चारो ओर उपयोग होने वाली मेट हल्की किस्म की लगाई जाती है, जो जल्द ही फटने के साथ मेट पतली होने से अत्यधिक गर्मी में यह तपकर जहां अंदर पानी प्रदाय करने वाले कर्मचारी को गर्मी के मारे परेशान होना पड़ता है तो वहीं धूप के कारण प्याऊ में रखी जाने वाली नांदों में पानी भी गर्म हो जाता है। इस वर्ष भी शहर के मुख्य स्थानों एवं तिराहो-चौराहों पर लगे प्याऊ में ऐसा ही देखने को मिल रहा है। मटमेला पानी पीने योग्य नहीं |
जब इस प्रतिनिधि द्वारा कलेक्टोरेट परिसर में लगे प्याऊ का अवलोकन किया, तो यहां पानी पीने वाले कुछ लोगों ने बताया कि मटमेला पानी प्रदाय होने से यह पानी पीने योग्य नहीं है। नागरिक सुीमकुमार जायसवाल ने बताया कि प्याऊ में सफाई का अभाव होने के साथ ही मटमेला पानी होने से वह पीने लायक नहीं है। पानी में मेलापन आने से ऐसा पानी पीने से बीमार होने की संभावना रहती है। यह स्थिति शहर में स्थित कई अन्य प्याऊ की भी है, जहां इन दिनों मटमेला पानी प्रदाय होने से लोग या मजबूरी में यह गंदा पानी पीने को मजबूर होना पड़ रहा है तो शिक्षित एवं जागरूक लोग ऐसा पानी पीना पसंद नहीं कर रहे है।
मैं दिखवाता हूॅ
– शहर में नगरपालिका के लगे सभी प्याऊ में पीएचई विभाग के माध्यम से टेंकर डलवाकर पानी की व्यवस्था हो रहीं है। यदि प्याऊ में मटमेला पानी आ रहा है, तो मैं दिखवाता हूॅ। इस बार नगरपालिका ने स्वयं प्याऊ लगाए है, इसका ठेका नहीं दिया गया है।
एलएस डोडिया, सीएमओ, नगरपालिका झाबुआ।
फोटो 005 -ः कलेक्टोरेट में लगे प्याऊ में आ रहा मटमेला पानी |