जेब में मनी, कुंडली में शनि और जीवन में दुशमनी नुकसानदायक है -ः आचार्य नरेन्द्र सूरीशवरजी …… सुख जमाई के समान और दुख काका के समान है -ः प्रन्यास प्रवर जिनेन्द्र विजयजी
झाबुआ से दाैलत गाैलानी……
झाबुआ। तीर्थंकर परमात्मा के कल्याणक हमे सुख और शांति प्रदान करते है। नारकीय जीवो को भी क्षण मात्र के लिए शांति मिलती है, क्योकि सुमति भगवान का नाम सुमति देता है। जगत में मतिमान है, लोग गतिमान है, फिर भी अगर सुमतिवान नहीं है, तो जीवन व्यर्थ है।
उक्त प्रेरणादायी उद्गार जैन तीर्थ श्री ऋषभदेव बावन जिनालय के पोषध शाला भवन में 2 अगस्त, शुक्रवार को सुबह अपने प्रवचन में अष्ट प्रभावक आचार्य देव श्रीमद् विजय नरेन्द्र सूरीशवरजी मसा ने धर्मसभा में दिए। आचार्य श्रीजी ने आगे कहा कि मरूदेवी, मानव, मोक्ष, मुनी, मृग, मृगेन्द्र आदि अनेक प्रकार की विषमता बताते हुए कहा कि सामान्य बुद्धि में नहीं परन्तु विशेष बुद्धि में विषता है। यह बात भक्तामर सूत्र के माध्यम से आचार्य ने कहीं। संसार में चार प्रकार की विषता है विनय, विद्या, विवेक और विरती। मन में रस होगा तो क्रिया सरस होगी, क्योकि मूर्ति से मूरत मिलना यह आराध्य की विषता है।
विचारों में खुलापन हो, खोकलापन नहीं
आदिनाथ भगवान की चर्चा करते हुए अष्ट प्रभावक ने कहा कि प्रथम तीर्थंकर और अंतिम तीर्थंकर के साधु राज पिंड ग्रहण नहीं करते। भरत महाराजा को परमात्मा ने मना किया, तबसे साधार्मिक वात्सल्य की प्रथा प्रारंभ हुई। सूक्ष्य बात सामान्य व्यक्ति नहीं समझ सकता, क्योकि विचारों में खुलापन होना चाहिए, खोकलापन नहीं। आर्त ध्यान एवं रौद्र ध्यान जीवन में नहीं होना चाहिए। अच्छाई को स्वीकार और बुराई का परिहार यह भक्तों का ह्रदय स्वीकारता है।
झगड़ा हो ऐसा बोलना नहीं
नरेन्द्र सूरीजी ने कहा कि जेब में मनी, कुंडली में शनि और जीवन में दुशमनी नुकसान कारक है। कर्ज हो ऐसा कमाना नहीं, झगड़ा हो ऐसा बोलना नहीं, पेट बिगड़े ऐसा खाना नहीं। मानव से मुमुक्षु बनने की बात आचार्य श्रीजी ने कहीं। पाप के क्षय से आत्मा डूब जाएगी, इसलिए मोक्ष का लक्ष्य और धर्म का पक्ष होना जरूरी है।
सुख जमाई के समान और दुख काका के समान….
धर्मसभा में प्रन्यास प्रवर जिनेन्द्र विजयजी मसा ने संबोधित करते हुए कहा कि सुख जमाई के समान होता है और दुख काका के समान। प्रन्यास प्रवर ने सुख-दुख की व्याख्या करते हुए उन्होंने रामायण के पात्रों की विशेषता बतलाई। धर्म सभा में भक्तामर महास्त्रोत की पूजन पर भी चर्चा हुई। शुक्रवार को धर्मसभा बाद गुरूदेव श्री राजेन्द्र सूरीशवरजी मसा की आरती एवं पूजा का लाभ रानापुर निवासी योगेश जैन परिवार ने लिया।। संचालन श्री नवल स्वर्ण जयंती चातुर्मास समिति के अध्यक्ष कमलेश कोठारी ने किया।
फोटो 001 -ः धर्मसभा में समाजजनों को प्रवचन देते आचार्य नरेन्द्र सूरीशवरजी मसा एवं प्रन्यास प्रवर जिनेन्द्र विजयजी मसा।