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झाबुआ

शासकीय कर्मचारी नाजिर और स्टेनाे ,दोनों ही कलेक्टर के आदेशों की उड़ा रहे है….धज्जियां. … जिला प्रशासन जान कर भी अंजान क्यों…..?

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झाबुआ जिले के इतिहास में यह पहला मौका होगा जब शासकीय कर्मचारियों द्वारा जिला दंडाधिकारी द्वारा दिए गए आदेशों की अवमानना की जा रही है साथ ही साथ उनके दिए गए आदेशों की सरेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है जिला नाजिर और स्टेनाे टू कलेक्टर द्वारा कलेक्टर के नवीन आदेश के बाद भी अपने मूल पद पर कार्य कर रहे हैं जिससे प्रशासन में और जनता में जिला प्रशासन की आदेशाे को लेकर संशय है ..क्या कारण है कि जिला कलेक्टर स्वयं ही अपने आदेशों का पालन नहीं करवा पा रहे हैं…?

जिला नाजीर 1 माह बीत जाने के बाद अपने मूल पद पर कार्य कर रहे हैं…..

विगत दिनों कुछ समाचार पत्रों में शासकीय कर्मचारी नाजिर माे. एजाज कुरैशी को लेकर खबरों का प्रकाशन हुआ था जिसमें यह बताया गया था कि शासकीय कर्मचारी नाजिर के बेटे की फर्म ने निविदा प्रक्रिया में भाग लिया था जो कि संभवतः शासकीय गाइडलाइन अनुसार गलत है समाचारों के प्रकाशन के बाद जिला कलेक्टर प्रबल सिपाहा ने तत्काल आदेश देते हुए माे. एजाज कुरेशी सहायक ग्रेड-2 को वर्तमान पदस्थापना जिला नाजिर के पद से विमुख करते हुए खाद्य शाखा में नवीन पदस्थापना दी थी | खाद्य शाखा में पदस्थ श्री राकेश सोनी सहायक ग्रेड-3 को खाद्य शाखा से हटाते हुए जिला नाजिर के पद पर पदस्थ स्थापना की | जिला कलेक्टर के आदेश के बाद दोनों ही कर्मचारियों का यह प्रथम दायित्व था कि आदेश के परिपालन मे उन्हें अपनी नवीन पदस्थापना पर कार्य करना था लेकिन आज करीब 2 जुलाई के आदेश , करीब एक माह से अधिक समय बीत जाने के बाद भी जिला नाजिर अपने मूल पद या सीट पर अभी तक जमे हुए हैं तथा वहीं बैठकर अपने संपूर्ण कार्य संपादित कर रहे हैं साथ ही खाद्य शाखा के राकेश सोनी ने भी संभवतः नवीन पदस्थापना पर जोइनिंग तो ले है लेकिन अभी तक उस पद पर आसीन नहीं हुए है.. क्या कारण है..?

स्टेनो टू कलेक्टर भी अपने मूल पद पर कार्य कर रहे हैं

वहीं जिला नाजिर के बाद प्रभारी स्टेनो टू कलेक्टर जान भूरिया द्वारा भी जिला कलेक्टर द्वारा दिए गए नवीन आदेश के तहत उन्हें पद से हटाते हुए आगामी आदेश तक स्टेशनरी शाखा में कार्य करने हेतु आदेशित किया गया था वही 22 जुलाई को रितेश डामोर सहायक ग्रेड 3 स्टेनोग्राफर को स्टेनो टू कलेक्टर का प्रभार सौंपा गया है लेकिन करीब 10 दिन बीत जाने के बाद भी जान भूरिया ने अपना मूल पद नहीं छोड़ा और ना ही रितेश डामोर ने अपना नवीन प्रभार पर जॉइनिंग की…… क्या कारण..?

गुलाबी बिल्डिंग में यह चर्चा का विषय बनता जा रहा है कि जिले के इतिहास में यह पहली बार हुआ होगा जब शासकीय कर्मचारी नाजिर और स्टेनो दाेनाे ने कलेक्टर के आदेशों को एक सिरे से नकारते हुए अवमानना करते हुए, आदेशों की धज्जियां उड़ाते हुए आज भी अपने मूल पद पर कार्य कर रहे हैं गुलाबी बिल्डिंग में यह भी जन चर्चा है कि दोनों ही कर्मचारी गुलाबी बिल्डिंग के कार्यालय में यह कह रहे हैं कि साहब का स्थानांतरण होते ही ,हमारे नवीन आदेश निरस्त हो जाएंगे और हम पुन: मूल पद पर ही हमें कार्य हेतु आदेशित किए जायेगा | जिला कलेक्टर के आदेश के इतने दिनों बाद भी अपने मूल पद पर कार्य करें रहे कर्मचारी के हौसलों पर गुलाबी बिल्डिंग में चर्चा का विषय है |यह भी चर्चा है कि आखिर क्या कारण है कि कलेक्टर स्वयं अपने आदेशों का पालन नहीं करवा पा रहे हैं क्या कारण है कि नाजिर 1 माह बीत जाने के बाद भी अपने सीट का मोह नहीं छोड़ पा रहा है | क्या कारण है कि कलेक्टर अपने ही आदेश की अवहेलना करने वालों पर कोई भी ठोस कार्रवाई नहीं कर रहे हैं यूं तो जिला प्रशासन अपने आदेशों के पालन नहीं होने पर आमजन पर दंडात्मक व चलानी कार्रवाई करने की बात कहता है | आखिर इन दो शासकीय कर्मचारियों से जिला प्रशासन को इतना मुंह क्यों ….? क्या जिला कलेक्टर इस और ध्यान देकर इन दोनों कर्मचारियों को अपने आदेश अनुसार पद पर कार्य करने हेतु निर्देश देंगे या फिर यह दोनों ही कर्मचारी यूंही जिला कलेक्टर के आदेशों की धज्जियां उड़ाते रहेंगे… और कलेक्टर नए आदेश निकालते रहेगे….. यह जांच का विषय है…?

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