झाबुआ – पुलिस अधीक्षक पद्म विलोचन शुक्ल द्वारा शहर के वार्डों में जन संवाद कार्यक्रम में लोगों की समस्याओं को जानने के साथ-साथ , यातायात नियमों के पालन को लेकर जन जागरूक किया जा रहा है साथ ही साथ साइबर सेल द्वारा भी आमजनों को साइबर फ्रॉड और ठगी करने वालों को लेकर, समझाइश भी दी जा रही है तथा सचेत रहने के लिए भी कहा जा रहा है वहीं दूसरी ओर झाबुआ पुलिस जालसाजी और ठगी के शिकायती आवेदन को लेकर 6 माह भी कोई जांच और कार्रवाई नहीं थी कर पाई है यह कैसी पुलिसीग….?
जानकारी अनुसार शहर के गोपाल कॉलोनी के रहने वाले शख्स को लेकर शिकायती आवेदन दिया है जिसमें आवेदक ने शख्स की जालसाजी और ठगी को लेकर 10 जून को पुलिस अधीक्षक को शिकायत दर्ज कराई थी आवेदक ने शिकायत में बताया था कि किस प्रकार इस जालसाज व्यक्ति ठगी की गई। आवेदन में यह भी बताया कि पूर्व में भी ने इस शख्स ने किस प्रकार जालसाजी और धोखाधड़ी की थी आवेदन के साथ आवेदक ने जालसाज शख्स के पूर्व के किस्से को लेकर भी कागज संलग्न किए है । जिसमें पूर्व में इस जालसाज के विरुद्ध एफआईआर दर्ज हुई थी । जब आवेदक ने पुलिस अधीक्षक को आवेदन दिया तथा इस तरह के ठगी को लेकर एफआईआर दर्ज करने की बात कही । तब पुलिस अधीक्षक महोदय ने सर्वप्रथम जांच पश्चात कार्रवाई की बात कही । तथा तत्काल आवेदन को थाना प्रभारी झाबुआ को फॉरवर्ड किया । करीब एक माह बीत जाने के बाद झाबुआ पुलिस थाना से आवेदक को दो-तीन फोन आते हैं और अपने आवेदन के संबंध में बयान देने की बात कही जाती है आवेदक द्वारा अपना बयान लिखित में दिया जाता है और पुनः थाना प्रभारी से एफआईआर दर्ज करने हेतु निवेदन किया जाता है लेकिन थाना प्रभारी द्वारा जांच पश्चात कारवाई की बात कही जाती है । लेकिन करीब 6 माह बीत जाने के बाद भी झाबुआ पुलिस द्वारा अब तक उस जालसाज व्यक्ति के विरुद्ध कोई जांच व कार्रवाई नहीं की गई । तब आवेदक पुनः पुलिस अधीक्षक महोदय के समक्ष प्रस्तुत होता है और अपने आवेदन के संबंध में पुनः निवेदन करता है तब पुलिस अधीक्षक महोदय पुनः फोन के माध्यम से थाना प्रभारी को इस आवेदन के संबंध में जांच और कार्यवाही के निर्देश देते हैं ।
झाबुआ थाना प्रभारी पुलिस अधीक्षक के निर्देशों का पालन करने में भी असमर्थ
आवेदक द्वारा आवेदन के संबंध में पुनः पुलिस अधीक्षक से एफआईआर दर्ज हेतु निवेदन किया जाता है तब पुलिस अधीक्षक झाबुआ द्वारा थाना प्रभारी झाबुआ को तत्काल जांच व कार्रवाई की बात कही जाती है । तब भी थाना प्रभारी द्वारा आवेदक से जल्द ही जांच की बात कही जाती है लेकिन करीब 6 माह बीत जाने के बाद भी आज तक पुलिस ठग व्यक्ति को लेकर कोई जांच और बयान दर्ज नहीं कर पाई है । एक तरफ हर माह पुलिस द्वारा क्राइम मीटिंग ली जाती है और इस तरह के आवेदनों को लेकर जवाब तलब किया जाता है लेकिन 6 माह बाद भी शिकायती आवेदन पर कोई कारवाई न होना , पुलिस की स्वच्छ कार्य प्रणाली को दर्शाता है । प्रश्न या यह है कि आखिर क्या कारण है कि झाबुआ थाना प्रभारी पुलिस अधीक्षक के निर्देशों का पालन करने में असमर्थ है क्या कारण है कि पुलिस अधीक्षक के निर्देश के बाद भी जालसाज व्यक्ति को लेकर कोई किसी भी तरह की जांच पड़ताल नहीं की जा रही है । संभवत पुलिस इतिहास में यह पहला मामला होगा, जिसमें थाना प्रभारी द्वारा पुलिस अधीक्षक के निर्देशों को तवज्जो नहीं दी जा रही है । पुलिस कप्तान के इसी लचीली कार्य प्रणाली के कारण थाना प्रभारी झाबुआ द्वारा मनमानी की जा रही है पुलिस की इसी लचीली कार्यप्रणाली के कारण जालसाज और ठगो के हौसले बुलंद होते हैं और वह किसी भी तरह की जांच और कारवाई से नहीं डरते हैं जिससे जनता में भय उत्पन्न होता है । पुलिस कप्तान को चाहिए की जनता को जागरूक करने के साथ-साथ, वह अपने पुलिस विभाग को भी जागरूक करें तथा शिकायती आवेदन पर तत्काल जांच व कार्रवाई करें ।
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