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झाबुआ

हाथीपावा पर वन विभाग द्वारा नगरवन को नियमानुसार बनाया जा रहा है या नहीं ….यह जांच का विषय है…..

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झाबुआ – जिले में वन विभाग की मनमानी कार्यशैली और सामग्री खरीदी के किस्से अब आम हो गए हैं जहां विभाग द्वारा कई सामग्री बाजार भाव से 3 गुना अधिक दरों में खरीदी कर , शासन को आर्थिक नुकसान पहुंचाया गया है वही हाल ही में वन विभाग द्वारा हाथीपावा पर नगरवन के माध्यम से इस क्षेत्र को विकसित करने का प्रयास किया जा रहा है लेकिन इस विभाग में किसी भी तरह का कोई तकनीकी पद या इंजीनियर नहीं है जो इस कार्य को सत्यापित कर दे या फिर यह बता दे कि यह कार्य स्वीकृति आधार पर चल रहा है ।‌ यहां विभाग द्वारा भी मनमाने तौर पर नगर वन अंतर्गत कार्य किया जा रहा है जिसमें कच्चा रोड , गार्डन व एक तालाब का निर्माण किया जा रहा है । विभाग द्वारा जहां नगरवन के रास्ते पर रोड निर्माण कार्य किया जा रहा है सर्वप्रथम नगरवन अंतर्गत वन विभाग द्वारा जो कच्चा रोड बनाया जा रहा है वहां पर पूर्व में कच्चा रोड था और गढ़ों भरा रोड था और  विभाग द्वारा इस कच्चे रोड पर ही नया कच्चा रोड बनाया जा रहा है। वही इस बने हुए रोड पर एक और से मिट्टी खोदकर दूसरी ओर डाली जा रही है और  लेवलिंग की जा रही है जबकि जानकारी अनुसार सर्वप्रथम संभवत इस रोड पर हाड मोरम बिछाकर लेवलिंग की जानी है पश्चात साप्ट मोरम बिछाकर लेवलिंग करना है उसके बाद संभवतः मिट्टी डालकर उसे कयूरीग कर, रोलर घूमाकर उस रोड को तैयार करना है लेकिन जब हमने धरातल पर नजर घुमाई , तो वहां विभाग के कई कर्मचारी उपस्थित थे जो मजदूरों से मात्र मिट्टी को या गढ़ों को भराई करवा रहे थे ना तो वहां पर कोई मोरम बिछाई थी मात्र गढो को भरने के लिए मिट्टी युक्त मनोरम डालकर इतिश्री की जा रही थी । वही जब वहां पर तालाब  निर्माण पर गौर किया था तो विभाग द्वारा मात्र काली मिट्टी की पाल बनाई गई है और संभवत गहरीकरण के नाम पर कोई कार्य अभी तक देखने को नहीं मिला है सिर्फ काली मिट्टी को आसपास से खोदकर इस तालाब की पाल बनाई गई है । खैर कार्य अभी प्रगति पर है। लेकिन वन विभाग के कर्मचारियों द्वारा झाबुआ के साथ-साथ मेघनगर में भी नगर वन के लिए आई राशि को सही तरीके से उपयोग कर रहे हैं या फिर मात्रा रफा दफा कर इतिश्री करने में लगेंगे ….. । यह जांच का विषय रहेगा …..? वही इस तरह के नगर वन के लिए मध्य प्रदेश शासन द्वारा लाखों करोड़ों का बजट दिया गया है और विभाग द्वारा उस बजट को रफा-दफा करने में व्यस्त है । वही विशेष रूप से मेघनगर क्षेत्र में पौधारोपण के नाम पर लाखों करोड़ों रुपए खर्च किए गए हैं क्या धरातल पर वह पौधारोपण नजर आ रहे हैं । शासन प्रशासन को चाहिए कि वन विभाग की इस मनमानी कार्यशैली को लेकर जांच करवाई जाए  ।

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