टयूशन फीस को लेकर कोई गाइडलाइन तय नही होने से निजी स्कूल संचालक मनमानी फीस वसूली को लेकर अभिभावकों को लगा रहे हैं फोन और कर रहे हैं परेशान…..
झाबुआ- कोरोला काल को देखते हुए इस वर्ष कक्षा पहली से आठवीं तक संपूर्ण रुप से बंद है वही कक्षा नौवीं से बारहवीं तक भी आंशिक रूप से बंद है प्रदेश सरकार द्वारा सभी स्कूलों को संभवत ट्यूशन फीस वसूलने के निर्देश दिए गए हैं वहीं निजी स्कूल संचालक द्वारा अपनी संपूर्ण फीस को ट्यूशन फीस के रूप में वसूलने के लिए अभिभावकों को फोन पर लगातार बना रहे हैं दबाव । सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि ट्यूशन फीस को लेकर कोई गाइडलाइन तय नहीं होने के कारण निजी स्कूल संचालक मनमानी करने से भी नहीं डर रहे हैं जिससे अभिभावक परेशान हो रहे हैं ।
झाबुआ जिले में निजी स्कूल संचालकों द्वारा स्कूल फीस को लेकर फोन पर लगातार अभिभावकों पर दबाव बनाया जा रहा है कई अभिभावकों ने बताया कि जब कक्षा पहली से आठवीं तक स्कूल प्रारंभ ही नहीं होंगे और कई स्कूल संचालकों ने तो ऑनलाइन पढ़ाई भी प्रारंभ नहीं करवाई है लेकिन फिर भी वह फीस के लिए लगातार फोन पर दबाव बना रहे हैं । और मानसिक रूप से परेशान कर रहे हैं । कई अभिभावक तो नो स्कूल नो फीस का नारा भी दे रहे हैं । पूर्व में भी कई अभिभावकों ने आईपीएस स्कूल झाबुआ द्वारा टीसी देने के नाम पर फीस वसूली को लेकर जिला प्रशासन को एक शिकायत भी की थी लेकिन जिला शिक्षा अधिकारी और जिला प्रशासन द्वारा कोई भी कार्रवाई नहीं की गई । जिससे निजी स्कूल संचालक का मनोबल बढ़ गया और अब वे इसके लिए लगातार अभिभावकों पर दबाव बना रहे हैं । मध्यप्रदेश शासन द्वारा निजी स्कूल संचालकों को ट्यूशन फीस वसूली के निर्देश दिए गए हैं लेकिन झाबुआ शहर में कई निजी स्कूल संचालकों ने संपूर्ण फीस को ही ट्यूशन फीस के रूप में वसूलने का अभियान चलाया है उदाहरण के लिए पिछले वर्ष आईपीएस स्कूल झाबुआ की कक्षा आठवीं की ट्यूशन फीस ₹32000 थी लेकिन इस वर्ष IPS झाबुआ दारा इस कोरोना काल में भी फीस मे 10% बढ़ोतरी के साथ अभिभावकों से ट्यूशन फीस के रूप में कक्षा आठवीं के विद्यार्थी से ₹35000 वसूली के दबाव बनाया जा रहा । अभिभावक जब स्कूल फीस के बारे में जानकारी लेने जा रहे हैं तो कक्षा आठवीं के विद्यार्थियों को ₹35000 फीस भरने हेतु कहां जा रहा है । इसके अलावा मोबाइल पर लगातार मैसेज किए जा रहे हैं और फोन पर भी बैकअप लिया जा रहा है । वर्तमान में ऑनलाइन परीक्षा भी कक्षा आठवीं की आईपीएस स्कूल द्वारा ली जा रही है जिन अभिभावकों ने स्कूल फीस नहीं जमा कराई है उन बच्चों को परीक्षा देने से रोका जा रहा है और फीस भरने के लिए दबाव बनाया जा रहा है चूकि ट्यूशन फीस को लेकर कोई तय गाइडलाइन नहीं होने के कारण निजी स्कूल संचालक मामा के भांजे- भांजियों को फीस जमा करने के लिए मानसिक रूप से दबाव बनाने का प्रयास किया जा रहा है । एक तरफ कोरोना कॉल से आमजन ,आर्थिक रूप से टूट चुका है वहीं दूसरी ओर स्कूल नही लगने के बावजूद भी इस भारी-भरकम फीस को भरने का दबाव और शिकायत के बाद भी जिला प्रशासन द्वारा कोई कार्यवाही ना करना निजी स्कूल संचालकों की मनमानी के लिए काफी है ।
कई अभिभावकों का मानना है कि जब इस वर्ष स्कूल प्रारंभ ही नहीं होंगे तो फिर फीस.किस बात की ।.वहीं कई अभिभावकों को कहना है कि शिक्षकों को वेतन देने की बात को मद्देनजर रखते हुए कई अभिभावक 50% तक ट्यूशन फीस देने को तैयार हैं । लेकिन निजी स्कूल संचालक संपूर्ण फीस वसूली के लिए दबाव बना रहे हैं जिससे अभिभावकों में स्कूल प्रशासन के प्रति आक्रोश भी है और नाराजगी भी । कई निजी स्कूल संचालकों में सबसे ज्यादा फीस वसूली के लिए फोन आईपीएस स्कूल झाबुआ द्वारा अभिभावकों को लगाये जा रहे हैं ।
तत्कालीन जिला शिक्षा अधिकारी की गैर जिम्मेदाराना कार्यप्रणाली के कारण आईपीएस झाबुआ द्वारा टी.सी के नाम पर फीस वसूली अभियान चलाया था
पूर्व में भी आईपीएस स्कूल झाबुआ द्वारा कई अभिभावकों से टीसी (ट्रांसफर सर्टिफिकेट) देने के नाम पर फीस वसूली अभियान चलाया था जिसकी एक शिकायत जिला शिक्षा अधिकारी व जिला प्रशासन को भी की गई थी लेकिन जिला शिक्षा अधिकारी ने कार्रवाई करने के बजाए इस फीस वसूली अभियान को ही सही ठहराते हुए शिक्षण शुल्क के रूप में वसूली को सही माना था वही आईपीएस स्कूल झाबुआ में कई प्री प्राइमरी बच्चों के अभिभावकों से भी टीसी के रूप में फीस वसूली थी जबकि लाकडाउन के दौरान माननीय उच्च न्यायालय के सख्त निर्देश है कि प्री प्राइमरी बच्चों से न तो ऑफलाइन और न ही ऑनलाइन पढ़ाई संचालित की जाए । इसके बावजूद भी आईपीएस झाबुआ द्वारा शिक्षण शुल्क के नाम पर कई अभिभावकों से टीसी देने के लिए ₹5000 की राशि अभिभावकों से ली गई । जिसकी शिकायत भी जिला शिक्षा अधिकारी को की गई । लेकिन तत्कालीन जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा प्री प्राइमरी बच्चों के अभिभावकों की शिकायत पर भी कोई कार्यवाही नहीं की गई जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि मानो तत्कालीन जिला शिक्षा अधिकारी के संरक्षण में ही आईपीएस स्कूल झाबुआ द्वारा फीस वसूली अभियान चलाया था अन्यथा प्री प्राइमरी के बच्चों से शिक्षण शुल्क भी लेना कहां तक उचित है ।