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झाबुआ

आखिर क्यों पुलिस _: पत्रकार को जान से मारने की धमकी देने वाले सरपंच और उसके मित्र को दे रही है क्लीनचिट….?

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झाबुआ- पत्रकार द्वारा पंचायत अनियमितताओं की लगातार खबरों के प्रकाशन के बाद सरपंच और उसके मित्र द्वारा पत्रकार को कार्यालय पर जाकर जान से मारने की धमकी देने के बाद, शिकायत के बाद भी पुलिस द्वारा सरपंच के मित्र को क्लीन चिट दी गई है आखिर क्या कारण है कि पुलिस द्वारा संबंधित पर कार्रवाई करने के बजाय अनावेदक को बचाने का प्रयास किया जा रहा है क्या किसी आर्थिक लालच के कारण या फिर राजनीतिक कारण….?जबकि नियमानुसार पत्रकारों को धमकी देने वाले को अब सीधे जेल भेजने का प्रावधान है । साथ ही धमकी देने वाले व्यक्ति को आसानी से जमानत भी नही मिल पाएगी। पत्रकारों को धमकाने वाले व्यक्ति को 50 हजार रुपये जुर्माने के साथ ही तीन साल की कैद का भी प्रावधान है ।

पत्रकार द्वारा ग्राम पंचायत उमरिया वजंत्री के सरपंच के खिलाफ अनियमितताओं को लेकर खबरों का प्रकाशन किया था खबरों से बौखलाकर सरपंच राकेश डामोर और उसके मित्र ने आवेदक के कार्यालय पर आकर जान से मारने की धमकी दी और भविष्य में खबर प्रकाशन पर दिक्कतें आने की बात कही । इस धमकी को लेकर आवेदक ने पुलिस कोतवाली झाबुआ में आवेदन देकर संबंधित सरपंच और उसके मित्र के खिलाफ कार्रवाई हेतु निवेदन किया । कार्रवाई ना होने पर डीआईजी इंदौर कार्यालय शिकायत दर्ज कराई । तब कहीं जाकर जांच प्रारंभ हुई । जांच में आवेदक के कथन लिए गए और उसके बाद किसी भी तरह की कार्रवाई से आवेदक को अवगत नहीं कराया गया । तब आवेदक ने सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत अनुविभागीय अधिकारी, अनुभाग झाबुआ से आवेदक ने स्वयं के केस में पुलिस विभाग द्वारा क्या कार्रवाई की गई की प्रमाणित कॉपी मांगी गई ।.यहां से अनु विभागीय कार्यालय में पदस्थ कर्मचारी द्वारा आवेदक को स्वयं की केस की जानकारी न देते हुए पत्र के माध्यम से अवगत कराया की धारा 28 1( J ) विभाग सूचना देने में असमर्थ है । इस धारा के अंतर्गत संभवत देश विरोधी गतिविधियां तथा शांति व्यवस्था भंग होने की दशा में जानकारी नहीं दी जा सकती है और ना ही किसी अन्य केस के बारे में जानकारी दी जा सकती है । लेकिन इस कार्यालय में पदस्थ कर्मचारी द्वारा सारे नियम कायदों को ताक में रखकर जानकारी देने से इनकार किया । इस विभाग में कार्यरत कर्मचारी विगत कई वर्षों से पुलिस विभाग में जिला मुख्यालय पर ही पदस्थ है । और अपनी मनमानी कार्यशैली के लिए जाने जाता हैं ।

आवेदक ने प्रथम अपीलीय अधिकारी ,पुलिस अधीक्षक को आवेदन देकर स्वयं के केस के बारे मे जानकारी मांगी। जानकारी अनुसार, सरपंच के विरुद्ध धारा 107 116 (3) जाफो का इस्तगासा क्रमांक 12 11 मूर्तिव कर बाउड ओवर हेतु पेश किया गया । जान से मारने की धमकी देने पर भी अनावेदक पर कार्रवाई करने के बजाय मात्र बाउड ओवर कर ,अनावेदक को छोड़ दिया गया । इसके अलावा सरपंच के मित्र पर किसी भी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की गई और ना ही इनके द्वारा दी गई जानकारी में सरपंच के मित्र के बारे में स्पष्टीकरण दिया गया । जिससे ऐसा प्रतीत होता है या संभावना है कि जांच को प्रभावित करने का प्रयास किया गया है और आवेदक की शिकायत पर ध्यान नहीं दिया गया है आवेदक का यह भी कहना है कि सरपंच के मित्र पर किसी भी तरह की कोई कार्रवाई नहीं करने के कारण किसी दुर्घटना का अंदेशा बना हुआ है । यदि आवेदक के साथ किसी भी कोई दुर्घटना होती है तो इसकी संपूर्ण जवाबदारी अनुविभागीय अधिकारी ,अनुभाग झाबुआ की होगी । जिन्होंने जांच में पारदर्शिता न अपनाते हुए एक तरफा सरपंच के पक्ष में कार्रवाई करते हुए उसके मित्र को जाच से बाहर रखा गया । जब की धमकी देने के लिए सरपंच और उसका मित्र स्वयं आवेदक के कार्यालय पर आए थे तो फिर जांच में सरपंच के मित्र का कोई भी जिक्र नहीं किया गया ।.न हीं कोई माफीनामा सरपंच मित्र से लिया गया जो यह दर्शाता है कि कहीं न कहीं जांच को प्रभावित करने का प्रयास किया गया ।

पत्रकारों लगातार खबरों के प्रकाशन पर जान से मारने की धमकी देना उनके कार्य में व्यवधान पहुंचाना आम बात हो गई है इसी बात को लेकर हाईकोर्ट की टिप्पणी के बाद पीएम और सीएम का भी ऐलान आया है कि, पत्रकारों से अभद्रता करने वालों पर लगेगा 50,000 का जुर्माना एवं पत्रकारों से बदसलूकी करने पर हो सकती है 3 साल की जेल। पत्रकार को धमकाने वाले को 24 घंटे के अंदर जेल भेज दिया जाएगा। पत्रकारों को धमकी देने के आरोप में गिरफ्तार लोगों को आसानी से नहीं मिलेगी जमानत। सीएम का कहना है कि पत्रकारों को परेशानी होने पर तुरंत संपर्क कर सहायता प्रदान करें और पत्रकारों से मान-सम्मान से बात करे ।

इस संपूर्ण कार्रवाई में यह बात विचारनीय है कि आखिर क्या कारण है कि पत्रकार द्वारा सरपंच और उसके मित्र के खिलाफ शिकायती आवेदन के बाद भी पुलिस सरपंच और उसके मित्र को बचाने का प्रयास कर रही है जबकि सरपंच और उसके मित्र ने पत्रकार के कार्यालय पर आकर जान से मारने की धमकी दी । पुलिस विभाग द्वारा सरपंच मित्र को क्लीन चिट दी गई ,इस बात को दर्शाता है कि कहीं ना कहीं जांच को प्रभावित किया गया है । आखिर क्या कारण है कि पुलिस पीएम और सीएम के ऐलान के बाद भी नियमानुसार कार्रवाई करने से बच रही है क्या कारण….? क्या किसी आर्थिक लालच के कारण या फिर कोई राजनीतिक कारण….?

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