जिसमे समता का लाभ का भाव होता है:- उसे सामायिक कहते हैं… साध्वी श्री विद्वदगुणा श्रीजी
झाबुआ- अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद के आह्वान पर 3 जनवरी रविवार को सुबह 9:00 से 10:00 पूरे देश भर में एक दिन, एक समय , एक संकल्प के तहत जैन सामायिक फेस्टिवल का आयोजन किया गया । इसी कड़ी में झाबुआ में भी तेरापंथ युवक परिषद द्वारा संपूर्ण जैन समाज के सहयोग से व साध्वी श्री विद्वदगुणा श्रीजी एवं साध्वी श्री रश्मि प्रभा जी के सानिध्य में सामायिक फेस्टिवल का आयोजन स्थानीय ऋषभदेव बावन जिनालय पोषध शाला भवन में आयोजित किया गया । जानकारी अनुसार अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद द्वारा पूरे देशभर में करीब 350 शाखाओं के माध्यम से तथा भारत सहित 20 देशों में 150 सेंटरों के माध्यम से सामायिक फेस्टिवल का आयोजन किया गया है ।
सुबह करीब 9:00 बजे तेरापंथ युवक परिषद झाबुआ के आह्वान पर ,साध्वी श्री विद्वदगुणा श्रीजी एवं साध्वी श्री रश्मि प्रभा जी के सानिध्य में ,समग्र जैन समाज दारा सामायिक फेस्टिवल प्रारंभ किया गया ।कार्यक्रम के प्रारंभ में साध्वी द्वंद द्वारा उपस्थित धर्म सभा को सामूहिक रूप से सामायिक पचखांड करवाए गए । कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रुप में रतलाम झाबुआ सांसद -जी.एस.डामोर उपस्थित थे । सर्वप्रथम उपस्थित धर्म सभा द्वारा नवकार महामंत्र का जाप किया गया । इसके बाद बालिका ऐंजल गादीया द्वारा…. यह तो सच है कि नवकार है गीत का संगम किया । इसके बाद साध्वी श्री विद्वदगुणा जी ने धर्म सभा को संबोधित करते हुए बताया कि सामायिक के 4 सूत्र होते -सूत्र सामायिक, सम्यक सामायिक ,देशविरति सामायिक , विरति सामायिक । श्रावक के द्वारा देशविरति सामायिक की जाती है और साधु के सवविरति सामायिक चारित्र होता है सामायिक समता की साधना है ।दो घड़ी की एक सामायिक है एक घड़ी का काल मान 24 मीनीट तथा दो घड़ी का काल मान 48 मीनीट । सामायिक एक ओज है एवं रोजाना एक सामायिक हो । सामायिक में संवर की साधना होती है जिससे कर्म निर्जरा होती है सामायिक में शुभ योग होता है शुभ योग होने से पुण्य का बंध होता है आपने यह भी बताएं कि सामायिक क्यों 48 मीनीट की जाती है एवं उसके महत्व के बारे में समझाया जैसे 48 – 4 +8 =12 याने श्रावक के 12 व्रत । 48 का उल्टा 84 यानी- 84 लाख जीवयोनी में गमन कर सामायिक से कैसे समता के मार्ग पर चल सकते हैं । सामायिक शब्द को आपने विच्छेद कर बताया – स याने समता,आय- लाभ, यिक- भाव , इन तीन शब्दों के जुड़कर बना है सामायिक । समता का लाभ का भाव होता है उसे सामायिक कहते हैं सामायिक बिना मुक्ति संभव नहीं । साध्वी श्री रश्मि प्रभा श्री जी ने धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा कि जैसे भोजन करने के बाद घंटों तक भोजन का स्वाद रहता है पानी पीने के बाद पानी का, उसी प्रकार सामायिक करने के बाद समता का भाव दैनिक जीवन में हमेशा रहना चाहिए । सामायिक समता की साधना है। पूर्वजन्म के कर्मों की निर्जरा के लिए समता भाव से की गई सामायिक सार्थक होती है इससे दो लाभ होते हैं निर्जरा और पुण्य बंध होता है । सामायिक मोक्ष मार्ग पर जाने का रास्ता है । आर्थिक दृष्टि के लिए धर्म से लाभ की कामना नहीं करनी चाहिए ।
रतलाम झाबुआ सांसद जी एस डामोर ने भी धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा कि भगवान महावीर द्वारा 2600 वर्ष पूर्व सूक्ष्म जीवों की हिंसा ना हो उसके लिए सभी को बोलते समय मुंह पर वस्त्र रखकर बोलने की बात कही थी अतः 2600 वर्ष बाद भी पूरे विश्व भगवान महावीर के बताए मार्ग के अनुसार उसी रूप में कोविड-19 में मुंह पर मास्क लगाकर घूम रहा और जीवन की सुरक्षा कर रहा है मैंने कई धर्मों के कार्यक्रमों में उपस्थिति दी ,लेकिन जैन धर्म में अहिंसा के महत्व को चरितार्थ करते हुए मोक्ष मार्ग की बात बताई । सारे धर्म में विश्व शांति की बात कही जाती है लेकिन जैन धर्म के अहिंसा सिद्धांत के बिना वह संभव नहीं है सांसद ने यह भी कहा कि आचार्य श्री महाश्रमण विश्व शांति के लिए सद्भावना ,नैतिकता, नशा मुक्ति का मार्ग बताकर मानव मात्र का कल्याण कर रहे हैं । वहीं अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद विश्व शांति के लिए सामायिक फेस्टिवल का आयोजन भारत सहित 20 देशों में एक दिन ,एक समय , एक संदेश – के उद्देश्य को लेकर आयोजित कर रहा है उसके लिए तेरापंथ युवक परिषद को बहुत-बहुत साधुवाद ।
तेरापंथ सभा झाबुआ के सचिव पंकज कोठारी ने भी सामायिक की महत्वता पर प्रकाश डालते हुए पुणिया श्रावक की सामायिक की महत्वता बताई । उन्होंने बताया कि धर्म अमूल्य है उसे किसी वस्तु या पदार्थ द्वारा नहीं खरीदा जा सकता है । आज की डिप्रेशन की समस्या के लिए रोजाना एक सामायिक अचूक दवा है । इस सामायिक फेस्टिवल मे 125 श्रावक श्राविकाओ ने सामायिक का लाभ लिया । कार्यक्रम को सकल जैन समाज अध्यक्ष संजय मेहता ने भी संबोधित किया । कार्यक्रम पश्चात तेरापंथ युवक परिषद के अध्यक्ष उमंग कांसवा ने श्री जैन श्वेतांबर मूर्तिपूजक श्री संघ ,श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ तथा श्री सकल दिगंबर जैन समाज का सामायिक फेस्टिवल में सहभागिता के लिए आभार व्यक्त किया ।
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