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झाबुआ

संसद में परम्परागत वैद्यो अर्थात बडवों की सेवाओं को लेकर सांसद गुमानसिंह डामोर ने उठाई आवाज
तीन मंत्रालय मिल कर इस क्षेत्र में करेगें काम केन्द्रीय आयुषमंत्री ने दिया भरोसा
शीघ्र ही इन्हे चिन्हित कर किया जासकेगा

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फोटो- संसद में बोलते हुए गुमानसिंह डामोर

झाबुआ । जिले के इतिहास में पहली बार एक ऐसे सांसद का पूरे संसदीय क्षेत्र को प्रतिनिधित्व मिला है जिनके द्वारा पूरे संसदीय क्षेत्र के विकास के साथ ही विभिन्न पहलुंओं पर केन्द्र सरकार का ध्यान आकर्षित करके इस अंचल के लोगों के सर्वागिण विकास के साथ ही परम्परागत तरिकों ने तथा बरसों पूराने अनुभव के आधार पर परम्परागत देसी जडी बुटियों एवं औषधियों के माध्यम से आरोग्यमय जीवन के लिये उनके द्वारा की जारही सेवाओं को लेकर भी शुक्रवार को लोकसभा में आवाज उठा कर ऐसे लोगों को चिन्हित करके उनके अनुभवों का लाभ उठाने के बारे में सदन के माध्यम से केन्द्र सरकार तक अपनी भावनाओं को पहूंचानें का सकारात्मक प्रयास किया । भाजपा आईटीसेल के प्रभारी अर्पित कटकानी ने जानकारी देते हुए बताया कि शुक्रवार को संसद में रतलाम झाबुआ अलीराजपुर के सांसद गुमानसिंह डामोर ने प्रश्नकाल के दौरान लोकसभा स्पीकर के माध्यम से आयुष मंत्रालय के मंत्री श्री सोनवाल से स्वाथ्य संबंधित प्रश्न पुछे गये जिसमें सांसद श्री डामोर ने जिले की लाखों जनता की ओर से भावना व्यक्त करते हुए कहा कि कोरोना काल मे ग्रामीण इलाकों व जनजातीय क्षेत्रो में जहां परम्परागत आयुर्वेदिक तरीको से कई पीढ़ियो से वैद्य जिसको हमारे अंचल में बडवा -ओझा नाम से संबोधित किया जाता है, उपचारादि का काम कर रहे है । इन लोगों को आचंलिक सम्बोधन में ’’बडवा’’ कहा जाता है। पीढी दर पीढी इनको जंगल मे पाईजाने वाले औषधियों, जडी बुटियों का गहरा ज्ञान होने के चलते कोरोना काल में उन्होंने कई लोग की जान बचाई है । किन्तु ऐसे स्किल्ड वैद्य (बडवो) की अभी तक शासन प्रशासन स्तर से उनकी पहचान नही हो पाई है। उन्होने केन्द्र सरकार से अनुरोध किया कि सरकार क्या ऐसे वैद्यो (बडवो) का रजिस्ट्रेशन कर उनको विधिवत चिकित्सा की अनुमति देगी ? इस प्रकार से इन परम्परागत वैद्यो (बडवो) लोगों के लम्बे औषधि ज्ञान एवं अनुभव का लाभ गरीब आदिवासी जनता के साथ ही जरूरतमंद लोगों को सुलभ एवं सस्ते तौर पर प्राप्त हो सकेगा । श्री डामोर ने कहा कि पूरे अंचल में आज भी लोग उनकी आयुर्वेदिक औषधियों पर भरोसाकरते हे तथा उनके परामर्शानुसार आज भी लोग आरोग्यमय जीवन प्राप्त कर रहे है। इसलिये उनको चिन्हित करके उनके पंजीयन की कार्रवाही के साथ ही उन्हे परम्परागत पद्धति से उपचार करने की स्वीकृति मिलना जनहित में जरूरी है।
श्री डामोर ने इसी के साथ ही स्पीकर के माध्यम से केन्द्र सरकार के संज्ञान में यह बात भी लाई कि अचंल के जंगलो में कई ऐसी औषधियां है, लेकिन हम उनका सही से उपयोग नहीं कर पा रहे हैं ,उसका मुख्य कारण है इस बिन्दु को लेकर हमारी कोई राष्टीªय नीति नही है ,अभी जो नीतियां प्रचलित है, बहुत पुरानी है तथा आजादी के पूर्व से ही बनी हुई होकर क्रियान्वित होरही है । उन्होने सदन के माध्यम से औधधि मंत्रालय के मंत्रीजी से आव्हान किया कि क्या सरकार इस पर मनन, अध्ययन कर विचार करके कोई नीति तैयार करेगी जिससे वनों की औषधि का ज्यादा से ज्यादा लाभ ले आम लोगों को मिल सकें । तथा इसके शमीलकर लेने से वनोपज से गा्रमीण वनवासियों को भी राजेगार के अच्छे अवसर प्राप्त हो सकेगें तथा इन आयुर्वेदिक दवाईयों को व्यापक बाजार भी मिल सकेगा जिससे सरकार एवं आदिवासी परिवारों की आय में भी आशातीत बढोत्तरी हो सकेगी ।
सदन में औषध मन्त्रालय के मंत्री सर्वानंद सोनवाल ने सांसद गुमानसिंह डामोर के जनहित से जुडे इस प्रश्न की भूरी भूरी प्रसंशा करते हुए उन्हे धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि निश्चित ही सांसद डामोर ने इस तरह अनछुए मुद्दे को उठा कर सर्वे भवन्तु निरामया का सन्देश दिया हे। उनके इस प्रस्ताव पर निश्चित ही आयुष मंत्रालय, आदिवासी विकास मंत्रालय एवं वन मंत्रालय मिल कर काम करेगा तथा स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा भी इस दिशा में तेजी से कार्य करने के निर्देश दिये गये है। केन्द्रीय आयुष मंत्री ने भारत सरकार के संकल्प को दोहराते हुए भरोसा दिलाया कि श्री डामोर के प्रस्ताव पर केन्द्र सरकार इसे अमलीजामा पहिनाने के लिये पूरी तरह कृत संकल्पित है और शीघ्रा्रतिशीघ्र इस पर नियम बनाये जाकर इसे धरातल पर अमली जामा पहिनाया जावेगा । लोकसभा में परम्परागत तरिको से अंचल मे उपचारादि करने वाले बडवों को लेकर सांसद गुमानसिंह डामोर द्वारा की गर्इ्र पहल का पूरे संसदीय क्षेत्र मेें प्रशंसा की जारही है । तथा उनकी सकारात्मक भूमिका के लिये उन्हे धन्यवाद ज्ञापित किया है ।

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