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झाबुआ

शांति से जोबट रवाना किया कलावती को डामोर ने

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नब्ज पर हाथ

शांति से जोबट रवाना किया कलावती को डामोर ने

झाबुआ से दौलत भावसार द्वारा

कहने वाले कहते है कि पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष एवं जोबट की वर्तमान विधायक कलावती भुरिया झाबुआ जिले का मोह नही छोड पा रही है। परंतु हाल ही मे जिलापंचायत अध्यक्ष पद के इस्तीफे के बाद अध्यक्ष पद हेतु हुए निर्वाचन मे शांति ने रवाना किया जोबट कलावती भुरिया को डामोर के इशारे पर यह कथन राजनैतिक गलियारो मे चर्चा का विषय बना हुआ है। शांति डामोर झाबुआ जिला पंचायत के अध्यक्ष पद पर क्यो ओर कैसे काबिज हुई इसकी जांच पडताल हमारे प्रतिनिधि ने अपने स्तर पर की तो कई चौकाने वाले तथ्य उजागर हुए। जो तथ्य सामने आये है वो कांग्रेस ओर भाजपा के गठबंधन ओर गढजोड और अर्थ के लेनेदेन को भी उजागर करते हुए नजर आते है ?
कहा जाता है कि इस बार जिला भाजपा संगठन अपने सही रणनीति संगठन स्तर पर बना लेता तो जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर वह कांग्रेस को अच्छे से परास्त कर अपना परचम फहरा सकता था। परंतु भाजपा के अंदर के ही जयचंदो ने अपनी धन पिपासा को शांत करने के लिये ओर अपने आकाओ को खुश करने के लिये जिनका की राजनैतिक भविष्य शुन्य है जो अपने धनबल के सहारे तथा कतिपय राष्ट्रीय व प्रादेशिक पदाधिकारी व सरंक्षण के नाम पर जिले मे अपनी राजनैतिक रोटियॉ सेक कर भाजपा संगठन को कमजोर बनाने का एक ही अनेको बार ऐसे कृत्य कर चुके है। चाहे फिर वो नगरपालिका निवार्चन का मामला हो चाहे फिर वो जिला अध्यक्ष पद के उप निवार्चन का मामला हो। इन तत्वो ने अपने धनबल के ओर उच्चस्तरीय संर्पको के आधार पर सिर्फ और सिर्फ अपनी व्यक्तिगत दुकानदारी ओर अपने निजी कारोबारो को सरंक्षण मिलता रहे पक्ष ओर विपक्ष से इस हेतु अपना छम्द रुप धारण कर कभी भाजपा संगठन के कर्णधार बन जाते है तो कभी कांग्रेस के दलाल बनकर दोनो तरफ डपली बजाते नजर आते है। ओर इनके समर्थको की टोली भी इसी प्रकार के कार्यो मे सलिंप्त नजर आती है ऐसे जयचंदो के चलते हाल ही मे हुए जिलापंचायत के अध्यक्ष पद के उपचुनाव मे जीती हुई बाजी भाजपा हार गई। यहा तो ठीक है परंतु इस उपचुनाव मे भाजपा कांग्रेस के खिलाफ अपना उम्मीदवार भी खडा नही कर पाई ये उससे भी ज्यादा शर्मनाक है। ओर ये सब घटना भाजपा के अंदर के जयचंदो के कारण घटी है जो सिर्फ धनबल के बल पर बिकाऊ घोडे बनकर अपनी बोलिया लगाकर अपने आप को बेच देते है ऐसे बिकाऊ घोडो को भाजपा के सिद्वांत भाजपा की रीति नीति भाजपा का अनुशासन ओर भाजपा के वैचारिक दुश्मनों से बदला लेने का विचार भी लुप्त हो जाता है। आश्चर्य तो उस समय होता है जब भाजपा के ये जयचंद सत्ता के समय मंत्रीयो ओर संगठन के उच्च पदाधिकारीयो ओर मंत्रियो की गाडीयो मे बैठकर अपना रोब गालिब करते हुए निष्ठावान कार्यकर्ताओ पर अपना रोब गालिब कर भाजपा के मंचो से सम्मान पाते है। उस समय संगठन के प्रति समर्पित ओर निष्ठावान कार्यकर्ताओ की स्थिति दुबले के दो आसार जैसी नजर आने लगती है।
यदि भाजपा संगठन चाहता तो लोकसभा चुनाव जो सामने खडा है नजर आता है उसमे सही रीति अपनाकर जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर सही रणनीति अपनाकर कांग्रेस को शिख्स्त दे सकता था क्योकि जिला भाजपा संगठन के पास 13 सदस्यो मे से 5 सदस्य भाजपा के थे ओर 2 सदस्य भाजपा के नजदीक थे। ऐसी स्थिति मे भाजपा 7-6 से चुनाव जीत सकती थी परंतु हुआ उल्टा भाजपा के पांच सदस्यो मे जिसमे दो जिला स्तरीय पदाधिकारी ओर दो मंडलस्तरीय पदाधिकारी भी था तथा एक अनुशागिंक संगठन के जिला पद पर आसीन था। इन पांचो सदस्यो की अतिमहत्वाकांक्षा ने भाजपा की जीत को पैरो तले रोंद दिया। जितनी गलती इन निर्वाचित भाजपा के पांच सदस्यो की थी उससे बडी गलती जिला भाजपा संगठन के नेत्त्वकर्ताओ ओर उनके सलाहकारो की हुई है क्येकि जिला संगठन नेतत्वकर्ताओ को ये पता था कि जिला पंचायत के निर्वाचित भाजपा के 5 सदस्य जिला संगठन के सुझावो को अमान्य कर सकते है तो ऐसी स्थिति मे जिला नेतत्व को संभागीय एवं प्रादेशिक नेत्त्व को अवगत कराकर एक पर्यवेक्षक या प्रभारी प्रदेश से नियुक्त कराकर उनके सानिध्य मे जिला पंचायत अध्यक्ष पद की सारी प्रक्रियाओ को धरातल पर उतारना था क्योकि प्रदेशाशिक नेतत्व द्वारा नियुक्त भाजपा के पर्यवेक्षक या प्रभारी की उपस्थिती मे अध्यक्ष पद का जो निर्णय होता उसके लिये ये पांचो सदस्य मानने के लिये बाध्य होते परंतु जिला भाजपा संगठन के नेतत्वकर्ता इस प्रक्रिया को लागु करना ही भूल गये ?
जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर भाजपा की उस समय ओर फजीति हो गई जब पहले तो वे अपना प्रत्याषी अध्यक्ष पद पर खडा नही कर पाये ओर दुसरी गलती ये थी कि भाजपा के प्रत्याशी खडा नही कर पाने की स्थिति मे निर्दलीय जिला पंचायत सदस्य अकमाल मालु ने अध्यक्ष पद हेतु फार्म भरकर कांग्रेस द्वारा अधिकृत अध्यक्ष पद की प्रत्याशी घोषित की गई थी श्रीमती शांति राजेश डामोर को चुनोती पेष की थी। ओर मालु के पास दो अतिरिक्त वोट उसके समर्थन मे थे ओर 5 वोट भाजपा के उसको मिल जाते तो कांग्रेस के अधिकृत प्रतयाशी पराजित हो जाती। परंतु भाजपा यहा पर भी चुक कर गई। ओर भाजपा के जयचंदबनाम समाजसेवी उद्योगपति एवं तथाकथित भाजपा के कर्णधार जिनका सीधा सीधा संबंध कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ओर सासंद से है, के इशारे पर भाजपा के दो जिला पंचायत सदस्य बिना मतदान करे वहा से निकल लिये उनके इशारे पर वही राजनैतिक सुत्रो एवं विश्वसनीय सुत्रो से प्राप्त जानकारी तथा राजनैतिक गलियारो मे जनचर्चा अनुसार एक सदस्य जो जिले के पदाधिकारी भी है ने कांग्रेस के पक्ष मे मतदान करने की चर्चा व्याप्त है। इस प्रकार राजनैतिक गलियारो मे ये भी चर्चा है जो समाजसेवी एवं उद्योगपति बन भाजपा संगठन मे नेता एवं कर्णधार की भूमिका अदा करता है को सांसद ने दो टुक शब्दो मे समझा दिया था कि ज्यादा रोल करोगे तो तुम्हारे सारे व्यवसाय एवं कार्यो मे सरकार के माध्यम से उच्च स्तरीय जांच करवा दुंगा बताया जाता है कि इस बात का भी असर उन जयचंदी भाजपा नेता पर पडा। अब इन तथ्यो मे कितना दम है ये आने वाले समय मे ओर भी उजागर होगे परंतु एक ओर तथ्य जो सामने आया है वो भी चौकाने वाला है। बताया जाता है कि निर्वाचन प्रक्रिया को छोडकर जो भाजपा के दो सदस्य जिस व्यक्ति की गाडी मे बैठकर जिलापंचायत परिसर से रवाना हुए थे उसके आगे उस जयंचदी नेता की गाडी चल रही थी ओर उसके पीछे कांग्रेस नेता गेंदाल डामोर व वालसिंह मैडा की गाडी चल रही थी ओर भाजपा का जो एक सदस्य भंडारी पेट्रोल पंप के सामने युवक कांग्रेस के संसदीय संयोजक की गाडी मे से उतरकर भंडारी पेट्रोल पंप पर क्यो गया ये भी जनचर्चा का विषय बना हुआ है। बताया जाता है कि 5 सदस्यो मे से एक सदस्य तो पहले ही अनुपस्थित थे निर्वाचन प्रक्रिया मे उसके पीछे कारण बताया जा रहा है कि निर्वाचन प्रक्रिया के पहले जो संगठन द्वारा पांचो सदस्यो की बैठक बुलाई गई थी उसमे एक नाम पर अध्यक्ष पद हेतु सहमति नही बनने पर ये तय हुआ था कि कोई भी सदस्य अंकगणित के आधार पर बहुमत न होने के कारण सदन मे पांचो सदस्य नही जायेगे। ऐसा निर्णय जिला संगठन कर्ताओ ने लिया था परंतु रात गयी ओर बात गई ओर निर्वाचन के दिवस सुबह नया समीकरण उभर कर आया ओर भाजपा के 5 सदस्य मे से 4 सदस्य निर्वाचन प्रक्रिया मे भाग लेने पहुच गये ओर उसमे से भी दो भाजपा के सदस्य निर्वाचन प्रक्रिया के मतदान के पहले अपने आकाओ के आदेश पर भाग निकले जिसके चलते भाजपा की फजीहत की चर्चा राजनैतिक गलियारो मे जमकर बनी रही ?

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