राग रतलामी -पूरे शबाब पर है शहर सरकार पर कब्जे की जंग,पंजा पार्टी को मिल गया नया नेता
रतलाम। बीता हफ्ता सियासत से भरपूर रहा। शहर सरकार पर कब्जे की जंग पूरे शबाब पर नजर आई। फूल छाप को जिताने मामाजी ने रोड शो किया,भाषण भी दिया तो पंजा पार्टी प्रत्याशी के लिए झूमरू दादा ने भी लोगों का मनोरंजन किया। पंजा पार्टी और फूल छाप दोनों ने ही वादों की झडी लगा दी।
फूल छाप वाले पूरी तरह मामाजी के भरोसे थे। उनका मानना था कि मामा जी आएंगे तो हवा बदल जाएगी। मामा जी ने पूरे ताम झाम के साथ शहर में रैली निकाली। मामा जी के आने से फूल छाप वालों के हौंसले भी बुलन्द हो गए।
मामा जी ने धानमण्डी में खडे होकर वादों की झडी लगा दी। मामा जी बोले कि रतलाम के लिए खजाना खोल देंगे। इतना देंगे कि खर्च करते नहीं बनेगा। मामा जी ने पहले दिए हुए रुपए और किए हुए कामों को भी गिनाया।
फूल छाप वालों को पूरे वक्त एक ही डर सता रहा था कि मामा जी की झांकी के वक्त इन्द्र देवता अपनी झांकी ना दिखा दें वरना सबकुछ पानी हो जाएगा। उधर पंजा पार्टी वाले मन ही मन इन्द्र देवता को मना रहे थे कि वो अपनी झांकी दिखा ही दे। लेकिन इन्द्र महाराज ने फूल छाप वालों की सुनी। सारा दिन बादल छाये रहे लेकिन बरसने को तैयार नहीं हुए।
मामा जी तो दोपहर को रवाना हो गए। शाम को पंजा पार्टी ने कस्तूरबा नगर में अपना मजमा जमाया। पूरे दिन भोंगे बजते रहे कि रात को झुमरू दादा का शो होगा। शहर के तमाम खबरची और सियासत में दिलचस्पी रखने वाले लोग वहां पंहुच गए। भोंगे बजने का वक्त रात को दस बजे समाप्त होता है। इस वक्त से ठीक आधे घण्टे पहले झुमरू दादा ने माईक संभाला।
झुमरू दादा ने मनोरंजन तो किया,लेकिन उसमे अब पहले वाला मजा नहीं रहा। लोग तो ये भी हिसाब लगा रहे थे कि झुमरू दादा फूल छाप की कमियां बता रहे थे या उनके काम गिना रहे थे। कहने को तो झुमरू दादा ने मामा के भाषण पर ढेरों तंज किए,लेकिन इसी के साथ वो ये भी बताते रहे कि फूल छाप ने क्या क्या काम किए।
झुमरू दादा ने कहा कि शहर में मेडीकल कालेज बना,कलेक्टोरेट की नई बिल्डिंग बनी,आरटीओ की बिल्डि़ंग बनी,सीवरेज का काम हुआ। सौ करोड से ज्यादा के जितने भी काम हुए सबके सब अहमदाबाद की शाह कम्पनी ने किए। दादा की इच्छा तो फूल छाप पर हमला करने की थी,लेकिन इसका मतलब लोगों ने ये भी लगा लिया कि दादा फूल छाप वालों ने जो काम करवाए है,उनको गिना रहे है। मतलब तो काम के होने से है,वो काम किसी कम्पनी ने किया,इससे लोगों का क्या लेना देना। कुल मिलाकर झुमरू दादा का वो जलवा अब नहीं रहा,जो पहले हुआ करता था।
पंजा पार्टी को मिला नया नेता
शहर सरकार के चुनाव में नतीजा चाहे जो आए,नेता की किल्लत से जूझ रही पंजा पार्टी को बडा फायदा होना तय है। पंजा पार्टी प्रत्याशी के रुप में पंजा पार्टी को एक व्यवस्थित नेता जरुर मिलने वाला है। अभी तक पंजा पार्टी के जितने भी नेता मौजूद थे,वे पंजा पार्टी को खडा करने में सक्षम नहीं थे। थोडी बहुत भीड जुटाने की हैसियत रखने वाले झुमरू दादा इतनी बार पलटियां मार चुके है कि लोग उनके भाषण तो सुन लेते है,वोट देने को राजी नहीं होते। दूसरे तमाम नेता तो बेचारे भीड भी नहीं जुटा पाते। लेकिन पंजा पार्टी ने जिसे प्रत्याशी बनाया,उसके आने भर से ही पंजा पार्टी मैदान में नजर आने लगी। इतना ही नहीं,पंजा पार्टी की चुनावी सभा में प्रत्याशी के भाषण से ये भी साफ हो गया कि वो लोगों के साथ संवाद बनाने की कला में भी पीछे नहीं है। संवाद बनाने की कला आगे और निखरेगी। खुद दादा को भी कहना पडा कि अब उनकी दुकान बन्द होने वाली है। इससे पहले के चार पांच चुनावों में जितने भी प्रत्याशी उतारे गए किसी भी मेंं भी ये क्वालिटी नहीं थी। नतीजा ये है कि उनमें से कोई भी पंजा पार्टी का नेता नहीं बन पाया। कुल मिलाकर आने वाले दिन पंजा पार्टी के बाकी नेताओं के लिए बुरे साबित हो सकते है,क्योकि अब नया नेता उभरने लगा है।
शुद्ध हिन्दी की समझाईश
इन्दौरी आका के भरोसे महापौर का टिकट पाने की हसरत रखने वाले नेताजी को जब टिकट नहीं मिला,तो वे पूरी ताकत से फूलछाप के प्रत्याशी को हराने में जुट गए। फूल छाप वालों का नेटवर्क हमेशा से मजबूत माना जाता है। फूलछाप वाले चुनाव पर नजर रखने के लिए उपर से किसी नेता को भेजते है,जो चुनाव के दौरान गडबडी करने वालों को ठीक करने का काम करते है। इन्दौरी आका के चेले की गडबडियों की सारी खबर उपर तक पंहुच रही थी। फूल छाप के उपर से आए नेताजी ने गडबडी कर रहे इन्दौरी आका के चेले को शुद्ध हिन्दी में समझा दिया कि गडबडी बन्द कर दो वरना एक बार फिर फूल छाप से बाहर हो जाओगे। सनद रहे कि ये नेताजी युवा विंग के उपाध्यक्ष रहने के दौरान भी फूल छाप से बाहर कर दिए गए थे। फूल छाप वालों का कहना है डाट फटकार के बाद अब नेताजी संभल संभल कर चल रहे है।
मामाजी ने नल किया बन्द
हर समस्या का हल नल को बता कर निर्दलीय चुनाव लड रहे नेता का नल अब बन्द हो गया है। पहले तो ये नेताजी झाडू पकडने के चक्कर में थे,लेकिन झाडू वालों से हिसाब जमा नहीं इसलिए नेताजी नल लेकर मैदान में आ गए थे। हांलाकि नेताजी चाहते यही थे कि फूल छाप वाले थोडी मान मनौव्वल कर दें तो वे अपना नल बन्द करदे। मामा जी के आने पर ये मौका भी आ गया। फूल छाप वालों ने नल वाले नेताजी को हैलीपेड पर बुलवा लिया और नेताजी के हाथों मामाजी को हार भी पहनवा दिया। बस फिर क्या था नल बन्द हो गया।साभार–तुषार कोठारी