उपरोक्त फोटो एजेंट राजू का है
एजेंट राजू का शाही बंगला
एसटीडी संचालक बना एजेंट और फिर करोड़पति
यदि हम एजेंट राजू राठौड़ उर्फ राजू के जीवन पर ध्यान दें तो प्रथम दृष्टया यह एसटीडी संचालक के रूप में कार्य करता था धीरे धीरे एसटीडी संचालक से परिवहन विभाग का एजेंट बना | जिस गति से राजू नामक दलाल ने इन 3 वर्षों में जो ऊंचाइयां और रुपयों की खनक देखी है उससे ऐसा लगता है कि आज के बेरोजगारों को इस विभाग का एजेंट बने तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी |या फिर यूं कहें कि जिंदगी में अगर उन्नति करना हो तो परिवहन विभाग का एजेंट बनकर एक भारी उन्नति कम वर्षों में की जा सकती है यदि हम बात करें राजू की तो जब से झाबुआ परिवहन विभाग में आरटीओ राजेश गुप्ता पदस्थ हुए उसके बाद से तो मानो एजेंट राजेंद्र राठौड़ उर्फ राजू नामक दलाल के दिन ही फिर गए है यह दलाल आरटीओ साहब के साथ या तो पीए बनकर ब या फिर ड्राइवर बनकर एजेंट का कार्य करता है परिवहन विभाग के कोई भी कार्य के , शासकीय शुल्क के तीन गुना से चार गुना राशि लेकर यह एजेंट कार्य करता है परिवहन विभाग से संबंधित कोई भी कार्य बिना इस एजेंट के पूरा नहीं हो सकता |इस तरह दलाल जो किराए के मकान में रह कर अपना गुजारा करता था आज आलीशान बंगलों में रहकर ठाट का जीवन जी रहा है आमजन में यह चर्चा है कि जिस गति से इस एजेंट ने उन्नति और आर्थिक लाभ कमाया है उससे तो ऐसा लगता है कि मानो हर किसी को परिवहन विभाग का एजेंट होना चाहिए |यह भी चर्चा जोरों पर है कि एजेंट फर्श से अर्श तक इस आरटीओ की मेहरबानी से ही पहुंचा है इस एजेंट की वसूली चाहे बैरियर पर हो या फिर लग्जरी बसों से हो या फिर बसों के परमिट से हो रजिस्ट्रेशन से हो लाइसेंस आदि अनेक प्रकार की वसूली यह दलाल करता है और वसूली आरटीओ साहब और दलाल में बट जाती है यह कहने में भी कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि चंद सालों में ही यह दलाल आरटीओ राजेश गुप्ता की मेहरबानी से रोड पति से करोड़पति बन गया है सूत्रों से यह भी पता चला है कि इस एजेंट के पास एक बड़ी भूमि भी हाल ही के दिनों में भारी राशि देकर खरीदी है और एक और शहर मे ही भारी बंगला भी संभवत राजू के भाई के नाम पर है जो हाल ही के इन 3 वर्षों में कमाए गए रुपयों से खरीदा गया होगा |अगर लोकायुक्त को इसकी शिकायत की जाए तथा आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज किया जाए ताे एक बडा खुलासा हाेने की संभावना है |
पूर्व के वर्षों में भी हमने खबरों के माध्यम से यह बताया था कि किस तरह यह दलाल परिवहन विभाग कार्यालय में बैठकर काम करता है और किस तरह फाइलों पर कोड लिखकर फाइल को साहब की टेबल तक पहुंचाता है और इस काेड के माध्यम से कोई अधिकारी भी समझ जाता है था की किस दलाल की यह फाइल है….. इस तरह राजू नमक दलाल ने दिन दुगनी रात चौगुनी की तर्ज पर आर्थिक विकास किया |
उपरोक्त फोटो जिला परिवहन अधिकारी राजेश गुप्ता
आरटीओ अरबपति या ख़रबपति
परिवहन अधिकारी राजेश गुप्ता जब से झाबुआ पदस्थ हुए हैं उन्हें तो मानाे झाबुआ ऐसा रम गया मानाे रोज यहां चांदी की बरसात हो रही है आरटीओ सा .कभी भी अपने निश्चित समय पर परिवहन कार्यालय में उपस्थित नहीं होते है यह सिर्फ उस निश्चित समय पर उपस्थित होते है जब दलाल की उपस्थिति कार्यालय पर हाेती है और बाकी समय में मीटिंग में हूं यह कह कर टाल दिया जाता है साहब कार्यालय में कम और मीटिंग में ज्यादा व्यस्त रहते हैं इतनी मीटिंग मैं व्यस्त था तो शायद प्रदेश के मुख्यमंत्री भी नहीं होते हाेगे|जिस विभाग का एजेंट इन 3 वर्षों में रोड़पति से करोड़पति बन गया हो उस विभाग का आरटीओ अरबपति या खरबपति तो बना ही होगा | चर्चा यह भी जोरों पर है कि साहब झाबुआ छोड़ कर जाना नहीं चाहते हैं | |यदि इनके कार्यकाल की जांच की जाए और आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज कर भी जांच की जाए तो एक बड़ा खुलासा होने की संभावना है