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झाबुआ

जिला परिवहन कार्यालय में दलाली प्रथा की कहानी ……….!!!!!!!!!एजेंट बना रोडपति…. से करोड़पति

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उपरोक्त फाेटाे राजू एजेंट ….राजू बना रोडपति से करोड़पति

झाबुआ से आफताब कुरैशी और पीयूष गादिया की रिपोर्ट

झाबुआ – परिवहन विभाग झाबुआ में जिस प्रकार से दलाली प्रथा से कार्य किया जा रहा है और जिस प्रकार से एक दलाल द्वारा कम वर्षों में नई ऊंचाइयां और आर्थिक लाभ कमाया है उससे तो ऐसा लगता है कि आज की नवयुवक पीढ़ी को पढ़ाई छोड़ कर इस विभाग का एजेंट बने तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी |क्योंकि जिस गति से एक एसटीडी संचालक रोडपति से करोड़पति बना ,उससे तो ऐसा लगता है कि आज की भावी पीढ़ी को इस तरह का कोर्स करके नई ऊंचाइयों को प्राप्त किया जा सकता है हां यह जरूर है कि उसके लिए परिवहन अधिकारी से सब तरह की सांठगांठ होना चाहिए | हाल ही के दिनों में ही एक व्यंगात्मक किस्सा इस परिवहन कार्यालय में देखने को मिला जहां पर एक पत्रकार द्वारा एजेंट बनने का आवेदन बनाकर विभाग के कर्मचारियों को दिया गया और कहा गया कि मुझे भी इस विभाग का एजेंट बनना है और मैं भी रोडपति से करोड़पति बनना चाहता हूं |

जिला परिवहन कार्यालय में आए दिन देखने को मिलता है जहां एक और सारी प्रक्रिया ऑनलाइन प्रारंभ हो चुकी है वहीं दूसरी ओर इस कार्यालय में दलालों की सक्रियता बढ़ती जा रही है और इस सक्रियता से हर कार्य की फीस 3 से 5 गुना हो गई | जिला परिवहन कार्यालय में शासन को ऑनलाइन प्रक्रिया को धता बताकर इस प्रक्रिया का फायदा उठाकर आज भी दलाली प्रथा को परिवहन कार्यालय द्वारा मजबूत किया जा रहा है ड्राइविंग लाइसेंस चाहे दो पहिया ,तीन पहिया या चार पहिया वाहन लाइसेंस ,परमिट ,वाहन रजिस्ट्रेशन, नाम ट्रांसफर, बस फिटनेस आदि कोई भी कार्य हो विभाग के अधिकारी सारी प्रक्रिया ऑनलाइन आवेदन के बाद दलाली प्रथा से ही स्वीकार करते हैं. यह वही दलाल है जो सारे कागजी खानापूर्ति कर फिर विभाग के अधिकारी कर्मचारी से जोड़ तोड़ कर आवेदक से भारी राशि वसूल करते हैं सारे कार्य का रेट तय है सिर्फ कागजी खानापूर्ति कर और यदि कागजजी खानापूर्ति में कमी पाई जाती है तो रेट बदल जाते हैं यह दलाल आमजन से मनमानी राशि वसूल करते हैं

उपरोक्त फोटो एजेंट राजू का है

एजेंट राजू का शाही बंगला

एसटीडी संचालक बना एजेंट और फिर करोड़पति

यदि हम एजेंट राजू राठौड़ उर्फ राजू के जीवन पर ध्यान दें तो प्रथम दृष्टया यह एसटीडी संचालक के रूप में कार्य करता था धीरे धीरे एसटीडी संचालक से परिवहन विभाग का एजेंट बना | जिस गति से राजू नामक दलाल ने इन 3 वर्षों में जो ऊंचाइयां और रुपयों की खनक देखी है उससे ऐसा लगता है कि आज के बेरोजगारों को इस विभाग का एजेंट बने तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी |या फिर यूं कहें कि जिंदगी में अगर उन्नति करना हो तो परिवहन विभाग का एजेंट बनकर एक भारी उन्नति कम वर्षों में की जा सकती है यदि हम बात करें राजू की तो जब से झाबुआ परिवहन विभाग में आरटीओ राजेश गुप्ता पदस्थ हुए उसके बाद से तो मानो एजेंट राजेंद्र राठौड़ उर्फ राजू नामक दलाल के दिन ही फिर गए है यह दलाल आरटीओ साहब के साथ या तो पीए बनकर ब या फिर ड्राइवर बनकर एजेंट का कार्य करता है परिवहन विभाग के कोई भी कार्य के , शासकीय शुल्क के तीन गुना से चार गुना राशि लेकर यह एजेंट कार्य करता है परिवहन विभाग से संबंधित कोई भी कार्य बिना इस एजेंट के पूरा नहीं हो सकता |इस तरह दलाल जो किराए के मकान में रह कर अपना गुजारा करता था आज आलीशान बंगलों में रहकर ठाट का जीवन जी रहा है आमजन में यह चर्चा है कि जिस गति से इस एजेंट ने उन्नति और आर्थिक लाभ कमाया है उससे तो ऐसा लगता है कि मानो हर किसी को परिवहन विभाग का एजेंट होना चाहिए |यह भी चर्चा जोरों पर है कि एजेंट फर्श से अर्श तक इस आरटीओ की मेहरबानी से ही पहुंचा है इस एजेंट की वसूली चाहे बैरियर पर हो या फिर लग्जरी बसों से हो या फिर बसों के परमिट से हो रजिस्ट्रेशन से हो लाइसेंस आदि अनेक प्रकार की वसूली यह दलाल करता है और वसूली आरटीओ साहब और दलाल में बट जाती है यह कहने में भी कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि चंद सालों में ही यह दलाल आरटीओ राजेश गुप्ता की मेहरबानी से रोड पति से करोड़पति बन गया है सूत्रों से यह भी पता चला है कि इस एजेंट के पास एक बड़ी भूमि भी हाल ही के दिनों में भारी राशि देकर खरीदी है और एक और शहर मे ही भारी बंगला भी संभवत राजू के भाई के नाम पर है जो हाल ही के इन 3 वर्षों में कमाए गए रुपयों से खरीदा गया होगा |अगर लोकायुक्त को इसकी शिकायत की जाए तथा आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज किया जाए ताे एक बडा खुलासा हाेने की संभावना है |

पूर्व के वर्षों में भी हमने खबरों के माध्यम से यह बताया था कि किस तरह यह दलाल परिवहन विभाग कार्यालय में बैठकर काम करता है और किस तरह फाइलों पर कोड लिखकर फाइल को साहब की टेबल तक पहुंचाता है और इस काेड के माध्यम से कोई अधिकारी भी समझ जाता है था की किस दलाल की यह फाइल है….. इस तरह राजू नमक दलाल ने दिन दुगनी रात चौगुनी की तर्ज पर आर्थिक विकास किया |

उपरोक्त फोटो जिला परिवहन अधिकारी राजेश गुप्ता

आरटीओ अरबपति या ख़रबपति

परिवहन अधिकारी राजेश गुप्ता जब से झाबुआ पदस्थ हुए हैं उन्हें तो मानाे झाबुआ ऐसा रम गया मानाे रोज यहां चांदी की बरसात हो रही है आरटीओ सा .कभी भी अपने निश्चित समय पर परिवहन कार्यालय में उपस्थित नहीं होते है यह सिर्फ उस निश्चित समय पर उपस्थित होते है जब दलाल की उपस्थिति कार्यालय पर हाेती है और बाकी समय में मीटिंग में हूं यह कह कर टाल दिया जाता है साहब कार्यालय में कम और मीटिंग में ज्यादा व्यस्त रहते हैं इतनी मीटिंग मैं व्यस्त था तो शायद प्रदेश के मुख्यमंत्री भी नहीं होते हाेगे|जिस विभाग का एजेंट इन 3 वर्षों में रोड़पति से करोड़पति बन गया हो उस विभाग का आरटीओ अरबपति या खरबपति तो बना ही होगा | चर्चा यह भी जोरों पर है कि साहब झाबुआ छोड़ कर जाना नहीं चाहते हैं | |यदि इनके कार्यकाल की जांच की जाए और आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज कर भी जांच की जाए तो एक बड़ा खुलासा होने की संभावना है

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