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झाबुआ

रतनपुरा की पहाड़ियों को काटने के संबंध में संयुक्त जांच दल द्वारा शासन को गुमराह किया………..

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झाबुआ – हाथीपावा वन आधारित रतनपुरा की पहाड़ियों को निजी खातेदारों एवं संयुक्त जांच दल द्वारा शासन को गुमराह कर सरकारी संपत्तियों एवं पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचाकर विधि विरुद्ध अवैधानिक तरीके से पहाड़ाे की कटाई का कार्य जोरो से जारी है जिसको लेकर कई शिकायती आवेदन भी दिए गए ,लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई | वहीं शासन-प्रशासन ने राजस्व विभाग के आला अधिकारी द्वारा मौका मुआयना पर पहुंचकर पंचनामा बनाया जिससे अनुविभागीय अधिकारी द्वारा ध्यान नहीं दिया गया वरन एक संयुक्त सथल जांच दल गठित कर जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत करने हेतु निर्देशित किया |संयुक्त जांच दल में खनिज सर्वेयर अलीशा रावत ,खनिज निरीक्षक श्री कनेश व पटवारी नानूराम मेरावत ने शासन को गुमराह कर भू माफियाओं को लाभ पहुंचाया और प्राकृतिक संपदा को नष्ट करने में अहम योगदान दिया |

शासन को करोड़ों का राजस्व प्राप्त हो सकता है

हाथीपावा आधारित रतनपुरी की पहाड़ियां सर्वे नंबर 6/1,7/1,8/1 को काटने की शिकायत शहर के कई युवाओं ने जिला प्रशासन से की |इसी कड़ी में तहसीलदार झाबुआ द्वारा 12 जून 2019 को प्रकरण क्रमांक 80/ब- 121 /2019 -20 दर्ज कर अनुविभागीय अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत किया | जिसमें बताया गया कि ठेकेदार दीपेश सोनी निवासी खरगोन द्वारा अवैधानिक रूप से मुर्रम का उत्खनन कर व परिवहन किया जा रहा है यह उत्खनन कार्य बिना अनुमति व बिना रॉयल्टी भुगतान किए बगैर से किया जाना पाया गया |मध्य प्रदेश भू राजस्व संहिता 1959 की धारा 8(ई) के अंतर्गत निजी भूस्वामी की भूमि के ऊपरी सतह को छोड़कर भूमि के अंदर की संपूर्ण संपदा मध्यप्रदेश शासन की है कॉलोनी विकसित हेतु भूमि समतलीकरण हेतु 30 फीट ऊंची पहाड़ीनुमा भूमि को खोदकर ही समतलीकरण किया जा सकता है और इसे खोदने पर हजारों टन मुरम का उत्खनन होगा |और यदि रायलटी लगाई जाए तो शासन को करोड़ों का राजस्व प्राप्त हो सकता है इस तरह का प्रकरण बनाकर अनुविभागीय अधिकारी को प्रस्तुत किया गया |

संयुक्त जांच दल ने शासन को गुमराह किया
अनुविभागीय अधिकारी ने तहसीलदार के प्रतिवेदन का अवलोकन किया तथा उसे मान्य नहीं करते हुए संयुक्त स्थल जांच दल जिसमें खनिज निरीक्षक, हल्का पटवारी ,खनिज सर्वेयर का संयुक्त दल गठित किया तथा संयुक्त दल को जांच कर प्रतिवेदन प्रस्तुत करने हेतु कहा गया | इस प्रतिवेदन में कई तरह की खामियां थी |संयुक्त स्थल जांच प्रतिवेदन 13 जुलाई 2019 में करना बताया गया जबकि वर्तमान में कैलेंडर में वर्ष 2019 का जून माह है इस बात से यह प्रमाणित होता है कि जनहित के मामलों को लेकर जिला प्रशासन कितना गंभीर है सबसे गौर करने वाली बात यह है कि संयुक्त जांच दल ने प्रतिवेदन में यह भी लिखा कि पहाड़ी की जगह पुराना गड्ढा पाया गया | यह भी दर्शाया गया कि राजस्व संहिता का उल्लंघन भी नहीं होना पाया गया |इसके अलावा गौर करने वाली बात यह भी है कि इस जांच में काफी लंबा समय लगता है उसको संयुक्त जांच दल ने 2.000 हेक्टेयर भूमि की नपाई एवं जांच की खानापूर्ति मात्र कुछ ही घंटों में कर दी |इसके अलावा शासकीय सर्वे नंबर 4 ,5,9 की स्थिति भी स्पष्ट नहीं की गई |जबकि यदि संभवतः साइट पर अवलोकन किया जाए तो पता चलता है कि सर्वे नंबर 5 नजर ही नहीं आ रहा है इस प्रकार यह स्पष्ट होता है कि संयुक्त जांच दल खनिज सर्वेयर ,खनिज निरीक्षक व पटवारी ने शासन को जांच प्रतिवेदन में गुमराह कर वस्तु स्थिति ना बताते हुए याने की पहाड़ी या घाटी का जिक्र न करते हुए गड्ढा बताया और शासन को गुमराह किया , जो संभवतः अपराध की श्रेणी में आता है |उन्होंने प्रतिवेदन में यह भी बताया कि मुरम हटाने के निशान पाए गए अर्थात मुरम का उत्खनन तो हुआ होगा | यदि जांच प्रतिवेदन एवं पंचनामा में स्थिति का उल्लेख सही होता यानी प्राकृतिक पाहडियाे को दर्शाए होता तो इन प्राकृतिक संपदाओं को नष्ट होने से बचाया जा सकता था | लेकिन जांच दल ने ऐसा न करते हुए जांच प्रतिवेदन एवं माैका पंचनामा में में गड्ढा होना बताया जबकि धरातल पर पहाड़िया नजर आ रही थी | क्या शासन प्रशासन संयुक्त जांच दल को गुमराह करने के लिए खनिज सर्वेयर , खनिज निरीक्षक एवं पटवारी पर कोई कार्यवाही करेगा या फिर शासन यूं ही भ्रमित रहेगा |

समतलीकरण की अनुमति निरस्त

खनिज विभाग द्वारा 10 मई 2018 को पत्र क्रमांक 601/ खनिज/ 2018 को ग्राम रतनपुरा के सर्वे नंबर 6/1, 7/1,8/1,6/3,7/2,8 /2 के समतलीकरण आवेदन की अनुमति को निरस्त कर अनुविभागीय अधिकारी को पत्र भी जारी किया था इसके अलावा विगत वर्ष भी 25 अप्रैल 2018 को तत्कालीन कलेक्टर झाबुआ को इन पहाड़ी काटने संबंधी शिकायत की गई थी तब भूमाफियाओं द्वारा इन पहाड़ियों को काटने का कार्य बंद किया गया था | लेकिन पुनः भू माफियाओं ने योजनाबद्ध तरीके से अधिकारियों से सांठगांठ कर भ्रमित दस्तावेज दिखाकर विकास की अनुमति ली गई और इसकी आड़ में प्राकृतिक संपदा ओं को पूर्ण रूप से नष्ट कर दिया जा रहा है इसके अलावा वर्ष 31 मई 2011 को भी तत्कालीन एसडीएम एस.के .लहरी द्वारा भी इस संबंध में जुर्माना लगाया गया था किंतु माफियाओं के विरुद्ध कार्रवाई ना होने से पुनः सक्रिय हो गए |

यदि संपूर्ण कार्रवाई पर गौर किया जाए तो प्रथम दृष्टया पाया जाता है कि संयुक्त जांच दल ने मौका पंचनामा में जो दिखाया गया उसमें भ्रमित जानकारी शासन प्रशासन को दी गई | जिस सर्वे नंबर पर पहाड़ी थी उस पर गड्ढा होना दर्शाया गया और भूमाफिया द्वारा उन पहाड़ियों को काटकर गड्ढों में तब्दील किया जा रहा है जैसा कि तहसीलदार ने अपने पंचना में में बताया |संपूर्ण कार्रवाई मे भूमाफियाओं को आर्थिक लाभ पहुंचाया जा रहा है और अधिकारियों द्वारा अपना निजी हित नजर आ रहा है क्या पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के लिए शासन प्रशासन इस तरह के जांच दल पर कोई कार्रवाई करेगा जिससे आने वाले समय में कोई भी जल ,जंगल जमीन का विनाश न कर सके | साथ ही सरकारी संपत्तियों और जनहित से जुड़े मुद्दों पर जिले में इस तरह के कार्यों में वृद्धि ना हो| जिले के जिम्मेदारों द्वारा इस तरह के मामलों में कार्रवाई नहीं करना आश्चर्यचकित तो करता ही है साथ ही शासकीय कर्मचारी के प्रति अविश्वास का भाव भी उत्पन्न करता है |

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