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झाबुआ

महिला निराश्रित बाल आश्रम के बच्चों को महिला एवं बाल विकास अधिकारी के थोथे फरमान पर किया जा रहा था बेघर………..

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झाबुआ से दौलत गाैलानी व पीयूष गादीया….
सांसद गुमानसिंह डामोर के निर्देश पर आश्रम के बच्चों को अप्रवेशित होने से रोका गया……
झाबुआ। जिले में जब से जिला कार्यक्रम अधिकारी, महिला एवं बाल विकास विभाग के रूप में सुषमा भदौरिया पदस्थ हुई है, तब से उनके थोथे फरमानों और निर्देशों को लेकर उनके अधीनस्थ कार्य करने वाले अधिकारी-कर्मचारी बेहद परेशान है। आए दिन उक्त अधिकारी द्वारा अपने अधीनस्थ अधिकारी-कर्मचारियों को परेशान करने की नियत से नित नए-नए आदेश जारी कर दिए जाते है। महिला अधिकारी द्वारा शासन के नियम गिनाकर नित नए फरमान जारी कर अपने अधीनस्थों को प्रताडि़त किया जा रहा है।
इसमें से ही एक फरमान है झाबुआ के ऑफिसर्स कॉलोनी स्थित महिला निराश्रित बाल आश्रम में जब पिछले कुछ दिनों पूर्व उक्त अधिकारी भदोरिया पहुंची थी, तो उन्होंने आश्रम के प्रबंधकों से चर्चा में निर्दशिेात किया कि आश्रम में जो निवासरत निराश्रित बच्चें है, उन्हें ये 15 बचचाे काे उनके घर भेज दिया जाए। आश्रम में नहीं रखा जाए, उक्ताय के आदेश का फरमान अपने वरिष्ठ अधिकारी से मिलने पर आश्रम के प्रबंधकों को मजबूरन आश्रम में निवासरत बच्चों को उनके घर भेजने को मजबूर होना पड़ रहा है। इनमें से कई बच्चें ऐसे है, जिनके माता-पिता भी नहीं है, आखिर उन बच्चों को पुनः उनके गंतव्य स्थल पर भेज दिया जाएगा, तो वह आखिर कहां जाकर रहेंगे ?, उनके पालन-पोषण एवं भोजन, रहने आदि की समुचित व्यवस्था किस तरह से हो सकेगी … ?
फिर निकाला 15-20 बच्चों को आश्रम से बाहर
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ऐसा ही कृत्य उक्त अधिकारी के ही निर्देश पर महिला निराश्रित बाल आश्रम के प्रबंधकों द्वारा 27 जुलाई, शनिवार को भी किया गया। जिसमें आश्रम में निवासरत करीब 15-20 बच्चों को आश्रम से निकालते हुए उन्हें घर जाने हेतु कह दिया गया। जिसके बाद उक्त बच्चें आश्रम के गेट के बाहर जाकर बैठ गए, निराश्रित बच्चें आखिर जाएं तो जाएं कहां …… ?
सांसद के निर्देश पर पुनः आश्रम में रहने की व्यवस्था की गई
बच्चों की पीढ़ा को जानकारी जब कुछ जागरूक नागरिकों ने क्षेत्रीय सांसद गुमानसिंह डामोर को दी, तो सांसद श्री डामोर द्वारा मामले को गंभीरता से लेते हुए तत्काल इस संबंध में जवाबदारों से चर्चा कर उन्हें निर्देशित किया कि आश्रम के बच्चों के लिए जब समुचित व्यवस्था ना हो, तब तक उन्हें आश्रम से बाहर ना निकाला जाए। जिसके बाद आश्रम के प्रबंधकों द्वारा पुनः बच्चों को प्रवेश दिया गया।

फोटो 018 -ः जिला कार्यक्रम अधिकारी के थोथे फरमान पर आश्रम के बच्चों को निकाला गया बाहर।

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