झाबुआ – करीब पिछले 4 सालों से आदिवासी बाहुल्य झाबुआ जिले में परिवहन विभाग से संबंधित कार्यों के लिए आरटीओ और राजू दलाल द्वारा जिले की भोली-भाली जनता से शासकीय शुल्क के अलावा 4 से 5 गुना अधिक राशि वसूल कर आमजन को लूटने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं इस बार जिले के शोरूम संचालक इनकी चपेट में है जो ट्रेड सर्टिफिकेट के लिए आरटीओ के चक्कर काट रहे हैं और दलाल द्वारा शासकीय शुल्क के अलावा मांगी राशि न देने की एवज में जारी नहीं किए जा रहे है |
जिले में दो पहिया वाहन व चार पहिया शोरूम संचालकों को वाहन क्रय -विक्रय करने के लिए परिवहन कार्यालय से जारी ट्रेड सर्टिफिकेट याने व्यावसायिक प्रमाण पत्र की आवश्यकता होती है | नियमानुसार दोपहिया शोरूम संचालकों को यह ट्रेड सर्टिफिकेट या व्यवसायिक प्रमाण पत्र के लिए परिवहन कार्यालय में शासकीय शुल्क रू 6000+1000 कुल 7000 जमा कर प्राप्त करने होते हैं वही चार पहिया शोरूम संचालकों को शासकीय शुल्क रू 12000+1000 =13000 जमा कर प्राप्त कर सकते हैं सारे कागजी खानापूर्ति करने के बाद व शासकीय शुल्क जमा होने के बाद आरटीओ द्वारा इन शोरूम संचालकों को टे्ड सर्टिफिकेट के लिए परेशान किया जाता है और उसके बाद आरटीओ का खास दलाल राजू इन शोरूम संचालकों को व्यवसायिक प्रमाण पत्र जारी करने के लिए रिश्वत की मांग करता है | नाम न बताने की शर्त पर कई शोरूम संचालकों ने यह बताया कि ट्रेड सर्टिफिकेट के लिए शासकीय शुल्क के अलावा दलाल को फीस नहीं दी जाने पर हमें यह ट्रेड सर्टिफिकेट नहीं दिया जाता है जिससे व्यापार प्रभावित होता है | दो पहिया शोरूम संचालकों को को शासकीय शुल्क 7000 के अलावा ₹15000 रिश्वत के तौर पर दलाल द्वारा मांगे जा रहे हैं | वही चार पहिया शोरूम संचालकों को 13000 शासकीय शुल्क के अलावा ₹20000 मांगे जा रहे है शोरूम संचालकों ने यह भी बताया कि यदि गाड़ी पर फाइनेंस किया जाता है तो हमें फाइनेंस के लिए अलग से पुनः यह ट्रेड सर्टिफिकेट लेना होता है इस प्रकार एक ही शोरूम संचालक को दो बार व्यवसायिक प्रमाण पत्र लेने के लिए मजबूर किया जा रहा है |उनका यह भी कहना है कि हम इसे क्रय विक्रय हेतु तो जारी करवा ही रहे हैं साथ ही हमें फाइनेंस के लिए अलग से सर्टिफिकेट लेना पड़ रहा है इस तरह हमें एक ही फर्म पर पर दो अलग-अलग ट्रेड सर्टिफिकेट लेना पड़ रहे हैं और हमें शासकीय शुल्क के अलावा आरटीओ के खास दलाल द्वारा दो पहिया शोरूम संचालकों से दोनों सर्टिफिकेट के लिए करीब ₹30000 की मांग की जा रही है | वही चार पहिया शोरूम संचालकों से दोनों सर्टिफिकेट के लिए ₹40000 रिश्वत की मांग की जा रही है| जब यही वाहन किसी बैंक द्वारा फाइनेंस होते हैं तो उन पर यह नियम लागू नहीं होते हैं |इसके अलावा एक और खास बात यह है कि यह सर्टिफिकेट एक वित्तीय वर्ष के लिए दिया जाता है यदि कोई शोरूम संचालक बीच वर्ष में ही व्यवसायिक प्रमाण पत्र के लिए आवेदन करता है तो उसे उस समाप्त वित्तीय वर्ष के लिए ही मान्य होगा याने के पूरे वर्ष के लिए नहीं | इस तरह आरटीओ और राजू दलाल द्वारा प्रमाण पत्र जारी करने के लिए इन शोरूम संचालकों से राशि की मांग की जा रही है और इस तरह यह दोनों मिलकर आम जनों को लूटने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं | जिले में करीब 25 दोपहिया शोरूम है और करीब 15 के आसपास चार पहिया शोरूम है इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि हर वर्ष टे्ड सर्टिफिकेट के नाम पर कितनी राशि की वसूली की जा रही है |
राजू दलाल की मनमानी फीस………
राजू दलाल द्वारा परिवहन से संबंधित कोई भी कार्य हो जैसे लाइसेंस बनाना ,वाहन फिटनेस ,नाम ट्रांसफर आदि कार्य के लिए शासकीय शुल्क से तीन से चार गुना राशि आवेदक से ली जा रही है ऐसा ही एक मामला करीब 4 माह पूर्व झकनावदा के एक व्यापारी ने कालीदेवी के व्यापारी से चार पहिया वाहन कार खरीदी और नाम ट्रांसफर के लिए राजू दलाल को फाइल दी |आवेदक ने राजू दलाल से नाम ट्रांसफर की फीस के बारे में पूछा तो उसने उस चार पहिया वाहन के नाम ट्रांसफर के लिए ₹9000 मांगे |जबकि शासकीय स्कूल इस वाहन पर संभवत ₹3500 -4000 था इस प्रकार यह दलाल परिवहन कार्य के लिए जिले की भोली-भाली जनतां को लूट रहा है और आरटीओ और अपनी जेबें गर्म कर रहा है इस प्रकार यह दलाल आमजन को लूट कर रोडपति से करोड़पति बन गया है |
क्या शासन प्रशासन इस तरह के लूटने वाले दलालों के खिलाफ कोई कार्रवाई करेगा या जांच कर आरटीओ में दलाली प्रथा को रोकथाम के लिए प्रयास करेगा या फिर यह दलाल आरटीओ के संरक्षण में इस जिले को खोखला करता रहेगा ?