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झाबुआ

ममला स्वास्थ्य विभाग का….. बिना विज्ञप्ति के लाखो का सामान बाबुजी ने कर दिया रफा दफा

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भ्रष्टाचार के मामले परत दर परत आ रहे सामने
जिम्मेदार को पता ही नही कौन सा सामान..?

झाबुआ से नरेंद्र राठौर ओर राधेश्याम पटेल

हवा के बदलाव के साथ ही जो अपना रंग बदलने में माहीर हो, सरकारी काम को किस तरह अटकाकर लोगों को परेषान करने में कोई कोताही नही बरतने में जिसे गोल्ड मेडल मिल सकता है, अधिकारियों की बिना जानकारी में लाये सरकारी सामान का दुरूपयोग करने, भंगार के नाम पर अच्छी सामग्रियों को ओने पौने दामों पर बिना किसी टेंडर या विज्ञप्ति के मनमाने तौर पर कम्प्यूटर, गोदरेज आलमारी,टेबले कुर्सिया,रेक्स आदि सहित कई महंगी सामग्रियों को रफादफा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले स्वास्थ्य विभाग के लेखापाल प्रदीप भालेराव कथित रूप से जिनके बिना स्वास्थ्य विभाग का पत्ता तक नही हिल पाता है, के भ्रष्ट कारनामों की जानकारी के बारे में विभाग के कर्मचारी दबी जुबान से बता रहे है। विभाग के लोग लोग दबी जुबान में उन पर क्यो आये दिन आरोप लगाते फिरते है यह भी सवालो के घेरे मे है.? यदी वह पाक साफ है तो उन्हे दुध का दुध पानी का पानी कर के अपनी सत्यता साबीत कर अनपी ईमानदारी का सबुत देना चाहीए। आखीर विभाग के लोग पिठ पिछे क्यो उनके पिछे पडे है.? विभाग के लोग दबी जुबान मे उन्ही के उपर क्यो अरोप लगाते रहते है.? यह भी सोचनीय प्रश्न है.? दबी जुबान मे विभाग के लोगो ने बताया कि…
कथित तौर पर बताया जाता है कि विभाग में फर्जी नियुक्तियां करवाना हो, पेंषन प्रकरणों में लिव्ह सेरेण्डर का पूरा भुगतान प्रात करना हो, वेतन निर्धारण पारित करवाना हो, या सर्विस बुकों में हेर फेर करवाना हो, इन सब कामों को करने में भालेराव बाबू का कोई तोड नही है यह कहा जावे तो अतिषयोक्ति नही होगी।

प्रदीप भालेराव के काले कारनामों को लेकर विभागीय कर्मचारियों ने भी दबे स्वर मे जानकारी देते हुए बताया कि अपने अधीनस्थ कर्मचारियों को परेषान करने में इसलिये आनन्द आता है क्योकि उन्हे ब्लेक मेल करके उनसे रूपये ऐंठने को मिलता है। बताया तो यह भी गया है कि अपने पूरे सेवाकाल में भ्रष्ट आचरण के बल पर इन्हे तीन तीन बार सस्पेंड भी किया गया था। किन्तु पावांधोक करने में माहीर भालेराव बाबु ने मुद्रा के बल पर सस्पेंषन समाप्त करवाने में हर तरह के हथकंडे अपनाये तथा फिर से जिला मुख्यालय के महत्वपूर्ण पद पर काबिज हो गये। गौर तबल यह है कि इनके सस्पेंषन की एंट्री तक इनकी सर्विस बुक में नही है।
तत्कालीन कलेक्टर आषीष सक्सेना के द्वारा उस समय जिला स्वास्थ्य विभाग के कार्यालय का निरीक्षण किया था तथा वर्तमान ट्रामा सेंटर के सामने जिस जगह आरसीएच की आफीस लगती थी, और जहां भालेराव का लेखाषाखा का भी कार्यालय था, को वहां से हटवाया जाकर इस पूराने हास्पीटल के भवन को ताबड तोड खाली करवाया जाकर मरीजों के परिजनों के विश्रामगृह के रूप में उपयोग मे लिये जाने का निर्देष दिया था। तब भी भालेराव बाबु की तूंती विभाग में एक छत्र बजती थी और बगैर अधिकारियों की जानकारी मे लाये महंगे कम्प्यूटरों की हार्ड डिस्क, रेम्स आदि निकलवाकर तथा सभी कम्प्यूटरों को राईट आफ बता कर रफा दफा कर दिया गया था। वही इस भवन की टेबले कुर्सिया, गोदरेज आलमारी, रेक्स, बडे बडे लोहे के बोर्ड, टेबल ग्लास, सहित एल्युमिनियम से बने दरवाजे, कांच सहित, के अलावा वाहनों के पार्ट्स, एवं भंगार, सोफे आदि दो नम्बर में इनके द्वारा रफा दफा करवा दिये और इसके लिये ना तो कोई विज्ञप्ति जारी करवाई गई और ना ही टेंडर लिये गये गये। लाखों के सामान को एक ही झटके में रफा दफा करवाने वाले इस बाबु ने अपनी जेबों का भार बढाने में कोई कसर बाकी नही रखी। विभाग के अधिकारियों तक को पता नही चलने दिया कि इनके द्वारा क्या क्या गोलमाल किये गये है..? जिम्मेवारों को चाहिये कि यह कितना सही या गलत है उसका पता लगाना चाहिये।
पीडित ने रखा अपना पक्ष
सेवा निवृत लेब टेक्निषियन रमेषचन्द्र नायक ने हमे जानकारी देते हुए बताया कि भालेराव जो पेंषन प्रकरणों के निराकरण करता है के द्वारा उनके वेतनमान के निर्धारण मे काफी परेषान किया गया। उनकी पेंषन भी इसी कारण से मेरी सेवा निवृति 31 अक्तुबर 2017 को हुई, और मेरा पेंषन प्रकरण 2018 में साल भर बाद भेजा, इस कारण मुझे एक साल बाद पीपीओ मिल पाया। मेरे वेतन निर्धारण में समयमान वेतन भी इनके द्वारा नही लगाया गया। आज तक मुझे 6 टे एवं 7 वें वेतनमान की किसी भी प्रकार के आदेष की प्रतिलिपि नही दी गई है। इस बारे में कई बार जनसुनवाई एवं सीएम हेल्प लाईन में मे भी आवेदन दिया है किन्तु आज तक कोई कार्रवाही इनके विरूद्ध नही हुई है।
और भी कई करनामें है-
भालेराव द्वारा कथित तौर पर करवाई गई फर्जी अनुकंपा नियुक्ति, पोस्टिंगे आदि के बारे में भी कई बाते सामने आई है जिसकी जानकारी जुटाई जारही है।
ये बोले जिम्मेवार-
आप जिस सामान को बेचने का जिक्र कर रहे है, वह मेरे कार्यकाल के समय का नही है। भंगार के नाम पर क्या कुछ हुआ इसके बारे में मुझे कुछ भी जानकारी नही है। इसके बारे में मैं पता करता हूं-
-00- डा. बीएस बारिया, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी झाबुआ।

आप जिस बारे में बता रहे है, उसके बारे में मुझे कुछ भी जानकारी नही है। आप सीएमएचओ कार्यालय में निर्मल सिसौदिया से पुछे उनको जानकारी हो सकती है।
-00- डा आर एस प्रभाकर, सिविल सर्जन जिला चिकित्सालय झाबुआ।

डाक्टर प्रभाकर जी ने गलती से मेरा नाम बता दिया है, इस बारे में स्टोर किपर रहे राजेन्द्र सिसौदिया से चर्चा करे उनसे विवरण मिल सकता है।
-00- निर्मल सिसौदिया, यूडीसी सीएमएचओ आफीस झाबुआ

तत्कालीन आरसीएच आफीस का सामान कहा गया उसका क्या हुआ इसके बारे में कुछ भी जानकारी में नही है।
-00- राजेन्द्र सिसौदिया तत्कालीन स्टोर किपर स्वास्थ्य विभाग

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