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झाबुआ

चिकित्सा जगत की बेहद भयावह तस्वीर मिली पेटलावाद में

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6 अप्रेल 2020 को पेटलावाद चिकित्सालय में एक महिला प्रसव के लिये आती है।नाम भूरी पति कैलाश ग्राम तीखी मठमठ।महिला को गम्भीर केस बताकर अस्पताल के प्रसव वार्ड में भर्ती किया जाता है।महिला को पेटलावाद शासकीय अस्पताल की महिला विशेषज्ञ डॉ द्वारा ऑपरेट किया जाता है।महिला एक बच्चे को जन्म देती है।यहां तक सबकुछ ठीक ठाक चल रहा होता है। लेकिन असली खेल तब होता है जब 7 दिन के आवश्यक उपचार के उपरांत महिला को डिसचार्ज करने की बारी आती है। डिसचार्ज करते वक्त महिला से जो राशी मांगी जाती है वह घोर आश्चर्यजनक होती है।खुद भूरी के कथनों पे अगर गौर करे तो भूरी बताती है कि उपचार के दौरान महिला डॉ ने उससे 2 हजार की राशी ली थी।उसके अलावा 1300 की दवाई उसने केमिस्ट से खरीदी थी।भोजन वगेरह की व्यवस्था में उसकी समस्त जमा पूंजी लगभग 5 हजार इस इलाज में पूरी हो गयी।और डिस्चार्ज के वक्त जब उससे 5 हजार की फिर से मांग हुई तो उसके पैरों तले जमीन खिसक गयी।भूरी के परिजनों की जो सबसे बड़ी समस्या यह है कि जब पूरा भारत लॉक डाउन की स्थिति में है तो ऐसे में 5 हजार की व्यवस्था कहा से की जाय? भूरी जैसी जाने कितनी गरीब आदिवासी महिलाओं से ये डॉक्टर पैसे निकलवाते होंगे।

अब यहा बात होना चाहिये कि वास्तव में इस केस में नियमानुसार क्या होना था

नियमानुसार भूरी के सिर्फ 40 रु इस केस में खर्च होने थे।शासन की ओर से मिलने वाली तमाम सुविधाएं पेटलावाद अस्पताल में उपलब्ध है।जिसमे दवाई से लेकर भोजन बिस्तर आदि सभी सामग्री भूरी को फ्री में मिलना थी।लेकिन इस महामारी के समय भी पेटलावाद अस्पताल के ये तथाकथित चिकित्सक जो सोश्यल मीडिया के कुछ स्वयम्भू पत्रकारों को दाना डालकर खुद को देवता साबित करते रहते है,इन्हें पैसे की कितनी भूख है।यहा जो सबसे अधिक सोचने वाली बात है वो ये है कि लगभग 4000 रु प्रतिदिन कमाने वाला डॉ सिर्फ 200 रु रोज कमाने वाले गरीब को लुटता है,तो वो कैसे देवता हो सकता है?
ज्ञात रहे कि गत वर्ष भी एक प्रसव के केस में इन्ही लोगो ने एक गम्भीर भूल की थी जिससे प्रसूता के लाखों रु खर्च होने के बाद भी उसके बच्चे की जान चली गयी थी।डॉ की ढेरों शिकायते ओर कई एफ आई आर स्थानीय स्तर पे दर्ज है,लेकिन सेटिंग करके ये सेटिंग मास्टर हर बार खुद को बचा लेते है।
समय रहते इन भृष्टो के ऊपर अगर अंकुश नही लगा तो ये लोग गरीबो का खून चूसने से भी बाज नही आयेंगे।यह पहला अवसर नहीं है जब कोई गरीब आदिवासी पीड़ित उक्त डॉक्टर के लालच का शिकार हुआ हो पिछले वर्षों में ऐसे कई अवसर आए हैं जब डॉक्टर ने गरीबों की मजबूरी का फायदा उठाकर पीड़ित गरीबों का जमकर शोषण किया हैं। प्रशासन ने कई बार इनके खिलाफ मामले दर्ज किए परंतु हर बार अपने धनबल और पहुंच से हर मामला दबा दिया गया

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