झाबुआ। मंगलवार को देश भर में न्याय के देवता भगवान शनिदेव का जन्मोत्सव धूमधाम से मनायेगा। हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को भगवान शनिदेव का जन्मोतसव मनाया जाता है, धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ज्येष्ठ अमावस्या तिथि पर न्याय के देवता भगवान शनिदेव का जन्म हुआ था, शनि जयंती के अवसर पर पूजा, स्नान और दान करने का विशेष महत्व है, इस दिन भगवान शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए उन्हें सरसों तेल से स्नान करवाया जाता है, ऐसी मान्यता है कि इस दिन शनि देव की पूजा करने से जातकों पर शनिदेव की बुरी दृष्टि नहीं पड़ती है और शनि दोष से छुटकारा भी मिलता है। अंचल के झाबुआ, रानापुर, पारा आदि स्थानों के शनि मंदिरों में मंगलवार सुबह से देर रात तक श्रद्धालुओं द्वारा पूजा अर्चना, दर्शन के लिए तांता लगेगा। इस अवसर पर मंदिरों को फूल माला और विद्युत रोशनी से भव्य तरीके से सजाया जाएगा।
शहर में निकलेगी भव्य शोभायात्रा
शहर के मध्य सीटी पोस्ट आफिस के पीछे स्थित श्री विश्व शांति नवग्रह शनि मंदिर पर श्री पद्मवंशीय मेवाडा राठौर तेली समाज झाबुआ द्वारा भगवान शनिदेव का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जायेगा। इस अवसर पर 27 मई को मंदिर पर विभिन्न धार्मिक कार्यक्रम संपन्न होगे। राठौर समाज झाबुआ के अध्यक्ष रामचंद्र राठौर ने बताया कि प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी भगवान शनिदेव का जन्मोत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया जायेगा। भगवान के जन्मोत्सव को लेकर मंदिर को फूलों से सजाया जायेगा और विद्युत बल्फों से रोशनी की जायेगी। जन्मोत्सव पर भगवान का प्रातः अभिषेक किया जायेगा। ध्वजा चढाई जायेगी और दोपहर 12.10 से पूजन व हवन कार्यक्रम पं. विश्वनाथ शुक्ल द्वारा संपन्न कराया जायेगा। हवन की पूर्णाहुति 3 बजे होगी। उसके बाद शाम 4 बजे मंदिर परिसर से राठौर समाज द्वारा भगवान शनिदेव की बेैंडबाजों के साथ भव्य शोभायात्रा शहर में निकाली जायेगी। शोभयात्रा शहर के प्रमुख मार्गो से होती हुई पुनः मंदिर पहुंचेगी। जहां शनिदेव भगवान की आरती कर भक्तों को प्रसादी का वितरण किया जायेगा। अंचल के पारा और रानापुर में भी राठौर समाज द्वारा भगवान शनिदेव की शौभायात्रा निकाली जायेगी। वहां भी मंदिरों में विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान संपन्न होगे और इन स्थानों पर भी भगवान के दर्शन पूजन के लिए भक्तों का तांता सुबह से देर रात तक दिखाई देगा। दान दिए जाने की भी मान्यता है। इस बार भगवान शनिदेव का जन्मोत्सव 27 मई को आ रहा है। ऐसे में ज्येष्ठ मास की अमावस्या को पड़ने वाले भगवान शनिदेव के जन्मोत्सव को धूमधाम से मनाने की तैयारियां अंचल के शनि मंदिरों में हो रही है। शनि मंदिरों में साफ-सफाई के साथ ही मंदिर को आकर्षक ढंग से सजाया जा रहा है। शास्त्रों के मुताबिक शनिदेव सूर्य देव और देवी छाया के पुत्र हैं। इनका जन्म ज्येष्ठ मास की अमावस्या को होने से इस दिन शनि जयंती मनाई जाती है। शनि जयंती को शनैश्चरी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन विशेष पूजा-अर्चना, हवन, उपवास आदि से शनिदेव जल्दी प्रसन्न होते हैं। पूजा के दौरान उन पर तेल जरूर चढ़ाया जाना चाहिए। इसके अलावा इस दिन गरीबों को भोजन व जरूरत मंदों को दान दिए जाने की भी मान्यता है।
न्यायाधीश के रूप में भी पहचाना जाता है नव ग्रहों में विशेष ग्रह माने जाने वाले शनि से लोग सबसे ज्यादा डरते जरूर हैं, लेकिन वह किसी का बुरा नहीं करते हैं। वह लोगों के कर्मों के हिसाब से उनके साथ न्याय करते हैं। इसलिए उन्हें न्यायाधीश के रूप में भी पहचाना जाता है। शास्त्रों में शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए शनिवार का दिन खास माना जाता है। कहते हैं कि प्रत्येक शनिवार को उनकी पूजा करने से व्यक्ति पर से साढ़ेसाती और ढैया समाप्त हो जाती है। इसके अलावा कुंडली में मौजूद कमजोर शनि का प्रभाव भी खत्म हो जाता है। इससे व्यापार में तरक्की, नौकरी में पदोन्नति जैसे लाभ भी मिलते हैं।
देश दुनिया की ताजा खबरे सबसे पहले पाने के लिए लाइक करे प्रादेशिक जन समाचार फेसबुक पेज
प्रादेशिक जन समाचार स्वतंत्र पत्रकारिता के लिए मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा मंच है यहाँ विभिन्न टीवी चैनेलो और समाचार पत्रों में कार्यरत पत्रकार अपनी प्रमुख खबरे प्रकाशन हेतु प्रेषित करते है।