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झाबुआ

ज्ञानशाला के ज्ञानार्थी कल्प कोठारी ने 9 उपवास की कठोर तपस्या पूर्ण की

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झाबुआ – तेरापंथ धर्म संघ के एकादशम अधिशास्ता आचार्य श्री महाश्रमण जी का सबसे महत्ता उपक्रम है – ज्ञान शाला । इसका मुख्य उद्देश्य हैं बच्चों में संस्कारों का बीजारोपण और धर्म के प्रति आस्था बनाए रखना । वही पर्यूषण पर्व में जैन समाज में त्याग, तपस्या आदि का क्रम भी निरंतर जारी रहता है। इसी कड़ी में झाबुआ तेरापंथ समाज के नन्हे ज्ञानार्थी कल्प कोठारी ने 11 वर्ष की अल्प आयु में 9 उपवास की कठोर तप आराधना की और संदेश दिया कि तपस्या के लिए कोई उम्र नहीं होती ।

तेरापंथ समाज झाबुआ के श्रद्धानिष्ठ सुश्रावक स्वर्गीय श्री पूनमचंद जी कोठारी के पौते व वैभव कोठारी के पुत्र कल्प कोठारी ने 9 उपवास की कठोर तपस्या पूर्ण कर झाबुआ का नाम गौरवान्वित किया । कल्प के पिता वैभव कोठारी भी धार्मिक प्रवृत्ति के होने के साथ-साथ अब तक 8 से अधिक अठाई तप पूर्ण कर चुके हैं और उपवास , एकासन व बीयासन तप आदि उनकी दैनिक जीवनशैली का हिस्सा भी हैं वैभव ने पिछले वर्ष एकासन तप से वर्षीतप भी किया है । वहीं कल्प की माता सोनिया कोठारी भी धर्म आराधना, तपस्या व धार्मिक गतिविधियों में अग्रणी हैं। कल्प की दादी श्रीमती सुशीला कोठारी भी एक तपस्वी श्राविका है और वर्तमान में उनका पांचवा वर्षीतप गतिमान है । कल्प के बड़े पापा विशाल कोठारी भी तेरापंथ समाज में उपासक है और प्रतिवर्ष गुरुदेव इंगित अनुसार पर्यूषण पर्व पर धर्म आराधना के लिए विभिन्न क्षेत्रों में जाते हैं । वही कल्प की बड़ी मम्मी शर्मिला कोठारी भी ज्ञानशाला में प्रशिक्षीका के पद पर है । इस प्रकार पूरा परिवार श्रद्धानिष्ठ व तपस्वी परिवार है ।

ज्ञानशाला का ज्ञानार्थी बालक कल्प कोठारी ने अल्प आयु में ही कई उपवास , एकासन , बीयासन तप कर चुका है पिछले करीब 6 माह से कल्प बीयासन तप लगातार कर रहा था । इसके अलावा यह बालक दैनिक जीवन में घंटों खाने के त्याग भी करता है । और पर्व त्योहारों को छोड़कर और बाहर आवागमन को छोड़कर रात्रि भोजन त्याग भी करता है । वर्तमान में विगत 4 माह के लिए सारी जमीनकंद खाने के त्याग भी किए हुए हैं और बाहर आवागमन आदि को छोड़कर संभवत पूरे वर्ष भर जमीनकंद खाने के त्याग भी हैं । कल्प ने अपने अपनी स्वेच्छा से ,बड़े समता और श्रद्धा भाव से अपने 9 उपवास की तपस्या 27 अगस्त को प्रारंभ की और और उस दिन भी एकासन तप था , फिर उसे उपवास में तब्दील किया , दूसरे दिन बेला और धीरे-धीरे कल्प अपनी कठोर तप की ओर आगे बढ़ता गया । रतलाम में साध्वी श्री प्रबलयशाश्री जी के दर्शन के दौरान मिली प्रेरणा और आशीर्वाद से कल्प ने अपने तेले की तपस्या के बाद आगे बढ़ने का निर्णय लिया और अपने माता-पिता के सहयोग, समझाईश व प्रेरणा से यह तपस्या पूर्ण की । मुनि श्री रजत विजय जी ने कल्प की कठोर तपस्या को देखते हुए उसे घर जाकर दर्शन दिए और मुनि श्री से आशीर्वाद प्राप्त करने के बाद ही 5 सितंबर को कल्प ने अपना पारणा किया ।

कल्प की तपस्या के उपलक्ष में चौबीसी का आयोजन बावन जिनालय में मंदिर में किया गया । जहां पर विभिन्न महिला संगठनों द्वारा बालक के तप की खूब-खूब अनुमोदना करते हुए उसका बहूमान किया गया । झाबुआ तेरापंथ समाज ज्ञानशाला की प्रेशिक्षिका हंसा गादीयां, दीपा गादीया , रानी कोठारी शर्मिला कोठारी ने कल्प के तप की अनुमोदना करते हुए उसे उपहार देकर सम्मान किया । अगली कडी मे तेरापंथ सभा अध्यक्ष मुकेश नागोरी , युवक परिषद अध्यक्ष प्रमोद कोठारी , मितेश गादीया , दीपक चौधरी उमंग कासवा आदि समाज जनों ने घर जाकर कल्प की तपस्या के उपलक्ष में तप अनुमोदना करते हुए शाल श्रीफल देकर बालक का सम्मान किया और…. जय जयकार जय जयकार तपस्वी की जय जय कार ……के जयकारों के साथ अभिनंदन पत्र से बहूमान किया । उपस्थित समाजनो ने बालक के आध्यात्मिक विकास की मंगल कामनाएं ।

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