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झाबुआ

वनवासी कल्याण परिषद्, झाबुआ द्वारा शबरी जयंती पर कृतित्व परिचर्चा कार्यक्रमभक्ति की शक्ति की तरंग का प्रवाह भक्त और भगवान मै सम्बन्ध का आधार बनता है- दिनेश सक्सेनामाता शबरी को श्रद्धा से याद किया

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झाबुआ से नयन टवली कि खबर ✍️

झाबुआ । वनवासी कल्याण परिषद्, नगर इकाई,झाबुआ द्वारा, माता शबरी की जयंति पर उनकी प्रभुश्री राम के प्रति अनन्य भक्ति भावना पर परिचर्चा व संवाद वनवासी कल्याण परिषद द्वारा आयोजित किया गया, जिसमे प्रमुख वक्ता के रूप मै, प्रसिद्ध इतिहासविद डॉ. के के त्रिवेदी, वरिष्ठ अधिवक्ता व विचारक दिनेश सक्सेना, प्रसिद्ध चिंतक पंडित गणेश उपाध्याय, वरिष्ठ प्राध्यापक व प्रखर साहित्यकार डॉ.अंजना मुवेल द्वारा माता शबरी की भक्ति भावना पर अपने विचार रखे गए, डॉ अंजना मुवेल द्वारा शबरी की वैचारिक भावना और उनका तत्कालीन सामाजिक भाव पर विचार प्रकट करते हुए, भाव सरलता और प्रखरता के साथ भक्ति तत्व पर विचार रखे,। पंडित गणेश उपाध्याय द्वारा विभिन्न प्रसंगो द्वारा शबरी की भक्ति और उनकी मानसिक सरलता के द्वारा प्रभु राम की कृपा पात्र होने का वृत्तांत बताया, ।
वरिष्ठ अधिवक्ता दिनेश सक्सेना द्वारा प्रभु व भक्त के बीच  विशिष्ट तरंग प्रवाह व मानसिक जुड़ाव बताया गया। इतिहासविद डॉ के के त्रिवेदी द्वारा सरल भक्ति प्रवाह व दर्शन द्वारा भक्ति पक्ष की सशक्तता व माता शबरी की सरलता व उच्च भक्ति भावना पर विचार रखे गए,। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए संघ के जिला संचालक मानसिंह भूरिया द्वारा वनवासी कल्याण परिषद् की स्थापना व उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए, वंचितों के अवदान व पुनः रेखांकित व मूल्यांकन करने की आवश्यकता पर बल दिया,।
प्रथमतः स्वागत उदबोधन देते हुए, विषय की महत्ता पर वनवासी कल्याण परिषद् के अध्यक्ष मनोज अरोडा द्वारा प्रकाश डाला व आयोजन की जरूरतों पर विचार रखते हुए समरसता व समाज पर विचार रखे। श्री अरोडा ने बताया कि माता शबरी भील राजकुमारी थी। उनका स्थान प्रमुख रामभक्तों में है। राजकुमारी शबरी बेहद ही होनहार और खूबसूरत थी , उनके पिता एक नगर के राजा थे , राजकुमारी शबरी के लिए नगर की बालाएं , पुष्प लेकर आती थी । उनका राज्य में बड़ा आदर था । जब वह बड़ी हुई तब उनके पिता ने उनकी शादी , निकटवर्ती राज्य के भील राजकुमार से कर दी , भील राजकुमार बेहद ही सुन्दर और अच्छे गुणों वाला था। वनवास के समय राम-लक्ष्मण ने शबरी का आतिथ्य स्वीकार किया था और उसके द्वारा प्रेम पूर्वक दिए हुए कन्दमूल फल खाये कुछ लोग जूठे बेरो का वर्णन करते हैं तथा इसे रामायण में देखा जा सकता हैं। इस से प्रसन्न होकर शबरी को परमधाम जाने का वरदान दिया। श्री अरोडा ने माता शबरी के आध्यात्म एवं आदर्श पर भी विचार व्यक्त किये ।

    परिचर्चा का संचालन करते हुए वनवासी कल्याण परिषद् के नगर सचिव व साहित्यकार शरत शास्त्री द्वारा आदिवासी योद्धाओ के विभिन्न कालखंडो मै देश के प्रति प्रेम व उनके अमूल्य योगदान को याद किया । अंत मै आभार परिषद के नगर उपाध्यक्ष जयेन्द्र वैरागी ने माना । कार्यक्रम मै वरिष्ठ साहित्यकार जिला संगठन मंत्री गणपति मुनिया, महेश मुजाल्दा , पी डी रायपुरिया, एम एल फुलपगारे, नाना राठौर,महेश वर्मा प्रेमअबिद सिंह पंवार व स्वर्ण कर समाज की प्रदेश अध्यक्ष चेतना चैहान आश्रम के विद्यार्थियों भी उपस्थित रही ।
सलग्न- फोटो-
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