उपरोक्त फोटो झाबुआ ग्रामीण यंत्री सेवा संभाग के कार्यपालन यंत्री संजय सोलंकी
शासन द्वारा ई टेंडर या निविदा प्रक्रिया इसलिए अपनाई जाती है ताकि शासन को उपयुक्त गुणवत्ता युक्त सामान सबसे कम मूल्य दर पर प्राप्त हो ,लेकिन झाबुआ ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग के कार्यपालन यंत्री द्वारा शासन की ई टेंडर या निविदा प्रक्रिया को धता बताते हुए अपने ही बनाए गए नियमों को सर्वोपरि मानकर करीब 35 लाख की सीमेंट खरीदी की ,जबकि पूर्व स्वीकृत से भी कम दर पर बाजार में सीमेंट उपलब्ध है यानी पार्टी विशेष को लाभ पहुंचाया गया और संभवतः लाभ में हिस्सा लेना भी होगा अन्यथा निविदा प्रक्रिया को दरकिनार नहीं किया जा सकता है
सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत मांगी गई जानकारी में एक बड़ा खुलासा ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग झाबुआ का सामने आया है जिसमें सीमेंट खरीदी में एक ही पार्टी को विगत 4 वर्षों से लाभ पहुंचाया जा रहा है और संभवत हिससा भी लिया जा रहा है जानकारी अनुसार ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग झाबुआ द्वारा विभिन्न निर्माण कार्य हेतु सीमेंट की आवश्यकता होती है शासकीय नियमानुसार 2 लाख से अधिक की खरीदी पर ई टेंडर या निविदा विज्ञप्ति के माध्यम से निविदा आमंत्रित की जाना होती है तथा यह अनुबंध 1 वर्ष का होता है | साथ ही इस प्रक्रिया को अपनाने का उद्देश्य शासन को उच्च गुणवत्ता युक्त सामान सबसे कम मूल्य दर पर प्राप्त हो है लेकिन इस विभाग का कारनामा तो देखो विगत 4 वर्षों से सीमेंट खरीदी की निविदा प्रक्रिया को ही नहीं अपनाया गया | है वर्ष 2014 -15में सीमेंट खरीदी हेतु निविदा प्रक्रिया अपनाई गई जिसमें पवन मार्केटिंग एजेंसी इंदौर की दर रू 277 प्रति बैग स्वीकृत हुई और उसके बाद लगातार वर्षों से बिना टेंडर के ही खरीदी की जा रही है जब की जानकारी अनुसार वर्ष 2016-17 में इस तरह सीमेंट की दर ₹ 240 प्रति बैग थी वहीं विभाग ने की 277 प्रति बैग में खरीदी की| यदि हम बात करें वर्तमान वर्ष 2018- 19 में तो कार्यपालन यंत्री न पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए एक नया अध्याय लिखते हुए जुलाई माह में ही बिना टेंडर प्रक्रिया अपनाते हुए 12610 बैग सीमेंट खरीदी की जो कि करीब ₹ 35 लाख की होती है जबकि नियम अनुसार 2 लाख से अधिक की खरीदी पर ई टेंडर या निविदा प्रक्रिया अपनाना होती है और यदि हम वर्तमान वर्ष की बात करें तो बाजार में इस ग्रेड की सीमेंट 265- ₹270 में उपलब्ध है लेकिन हमारे कार्यपालन यंत्री को कम दर वाली सीमेंट नहीं चाहिए सिर्फ पार्टी विशेष को लाभ पहुंचाने वाली प्रक्रिया चाहिए | इस वर्ष भी पवन ट्रेड कॉरपोरेशन प्राइवेट लिमिटेड इंदौर की है और उन्होंने मात्र एक लेटर के माध्यम से जिसमें पूर्व स्वीकृत दर में माल देने को तैयार हूं कार्यपालन यंत्री ने पूर्व स्वीकृत दर में ऑर्डर संबंधित फर्म को दिया |यदि हम बाजार भाव पर गौर करें और यदि 265 प्रति बैग में सीमेंट मिलती है तो शासन को ₹12 प्रति बैग की हानि होती है ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग झाबुआ द्वारा जुलाई माह में 12610 बैग सीमेंट खरीदी और 12 रू प्रति बैग के हिसाब से करीब ₹1 लाख 51 हजार का हानि होती है और इस हिसाब से शासन को करीब डेढ लाख रुपये का चूना लगाया जा जा चुका है सीधे-सीधे शासन काे नुकसान हाे रहा है कार्यपालन यंत्री कि इस कार्यप्रणाली से आमजन में यह संदेश भी जा रहा है अधिकारी शासकीय नियमों को दरकिनार कर अपनों को लाभ पहुंचा सकते हैं
संभागीय कार्यालय की कार्यप्रणाली भी संदेहास्पद
ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग द्वारा जो सीमेंट पत्रक के माध्यम से खरीदी जा रही हैं उसमें कहीं न कहीं स्वीकृति संभागीय कार्यालय के अधिकारी और कर्मचारी की भी होती है क्योंकि जिला कार्यालय विभाग से इस तरह की स्वीकृति के लिए संभागीय कार्यालय को भेजे जाते हैं और वहां से इनको स्वीकृत किए जाते है तब कहीं जाकर पत्रक को आधार मानकर ऑर्डर दिए जाते हैं तो यह माना जा सकता है कि इस तरह की पत्रक के माध्यम से खरीदी में आरई एस झाबुआ कार्यालय और संभागीय कार्यालय इंदौर की मिला जोली का ही नतीजा है इस तरह अधिकतम दर पर सीमेंट खरीदी करनी पड़ रही है |वह भी पार्टी विशेष से यदि हम बात करें पूर्व स्वीकृत दरों में ऑर्डर देने का तो आज से करीब 3 वर्ष पहले किसी भी भवन निर्माण कार्य के ठेके संभवत सीएसआर से 13 से 14% अधिक दर पर भी स्वीकृत हो रहे थे आज स्थिति वर्तमान मे यह है कि इसी तरह के भवन निर्माण के ठेके सीएसआर से 4 से 10% कम दर पर भी ठेकेदार द्वारा ठेके लिए जा रहे है और अनुबंध किया जा रहा है यदि इस तरह की खरीदी काे आधार मानकर ,अगर कोई भी ठेकेदार पूर्व के वर्षों में स्वीकृत दर को मानकर ठेके ले तो क्या शासन-प्रशासन इस तरह की कार्यप्रणाली को मानेगा और पूर्व स्वीकृत दरों में भवन निर्माण के ठेके देगा ? क्या जो ठेके आज 10% कम दर पर जा रहे हैं क्या उन्हें 13% अधिक दर पर देगा विभाग ?
शासन प्रशासन को चाहिए कि इस तरह की खरीदी की पारदर्शिता के साथ हो ,ई टेंडर या निविदा प्रक्रिया के माध्यम से ही हो ,ताकि पार्टी विशेष को लाभ ना पहुंचाया जा सके और शासन प्रशासन को नुकसान भी ना हो | क्या जिले में आए नवागत कलेक्टर इस तरह की खरीदी की ओर ध्यान देंगे या नहीं ,?क्या शासन प्रशासन इस ओर ध्यान देगा या यह कार्यपालन यंत्री यूं ही अपनी मनमानी करता रहेगा |