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झाबुआ

टीबी के गंभीर रोगियों की खंखार जांच समय पर नहीं होने से मरीज परेशान, एक अस्थायी लेब टेक्निशीयन को सौंपी जाती है कई जवाबदारियां……….

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झाबुआ से दौलत गाेलानी……..झाबुआ। जिला चिकित्सालय के ट्रामा सेंटर में टीबी रोगियों के आने पर उनकी खंखार जांच के लिए अलग से लेब बनाई गई है, लेकिन इस लेब में पदस्थ किए टेक्निशीयन की ड्यूटी आए दिन कभी स्वास्थ्य विभाग तो कभी जिला क्षय नियंत्रण विभाग द्वारा विभिन्न कार्यों में लगाए जाने से गंभीर ग्रसित टीबी रोगियों के मरीजों की समय पर खंखार जांच नहीं हो पाती है और मरीजों को रिपोर्ट के लिए भी परेान होना पड़ता है।एक तरफ देश के प्रधानमंत्री का 2021 तक देश को टीबी मुक्त बनाने का सपना है और इसी क्षेत्र में केंंद्र सरकार एवं राज्य सरकारे कार्य भी कर रहीं है, लेकिन झाबुआ जिले में इसे स्वास्थ्य विभाग और जिला क्षय नियंत्रण विभाग पलीता लगाने का कार्य कर रहा है। जिला चिकित्सालय के ट्रामा सेंटर के नीचले तल पर सीबी नॉट के मरीजों के खंखार जांच हेतु लेब बनी हुई है, लेकिन लेब में पदस्थ लेब टेक्निायन, द्वारा अस्थायी रूप से अपनी सेवाएं देने से यह लेब अक्सर बंद पड़ रहती है वहीं टेक्निशीयन को अन्य कई कार्यों जैसे सुपरवाईजर की ड्यूटी लगाना, शिविरों में ड्यूटी लगाने के चलते सीबी नॉट के सेंपल समय पर जांच हेतु नहीं लिए जाते है, जबकि राष्ट्रीय क्षय रोग नियंत्रण कार्यक्रम के तहत जिला क्षय नियंत्रण विभाग को चाहिए कि वह यहां स्थायी लेब टेक्निशीयन की नियुक्ति करे।समय पर जांच नहीं होने से सेंपल हो जाता है फेलज्ञातव्य रहे है कि लेब में जो मान लगी हुई, वह लाखों रूपए की होकर भी इसका उपयोग व्यवस्थित तरीके से नहीं हो रहा है। गंभीर ग्रसित टीबी रोगी के आने पर उसकी खंखार की जांच 8 घंटे के भीतर होना जरूरी है। मान में एक बार में तीन-चार जांचे एकसाथ होती है। इसके माध्यम से पता लगाया जाता हे कि मरीज की टीबी का प्रकार कौन सा है, लेकिन कई बार देखने में आया है कि समय पर जांच नहीं हो पाने से सेंपल फेल हो जात है, अर्थात मरीज के सहीं रोग के प्रकार का पता नहीं चल पाता है।लंबे समय से बनी हुई समस्यापिछले लंबे समय से यह समस्या यहां बनी हुई है, एक तरफ भारत सरकार दे को टीबी मुक्त बनाने के अभियान में जुटी हुई है, वहीं झाबुआ जिले में गंभीर रोगियों की जांच समय पर नहीं होगी, तो उनके सही रोग के प्रकार का पता लगाना संभव नहीं हो सकेगा। ओर जिले में अब तक सैकड़ों टीबी रोगी असमय काल के गाल में समाने के साथ ही यह ऑकड़ा निरंतर बढ़ता जाएगा।ऐसे कैसे होगी टीबी की रोकथाम- जिला चिकित्सालय के टीबी लेब में यह समस्या लंबे समय से बनी हुई है। समय पर गंभीर ग्रसित टीबी मरीजों की जांच नहीं होने से उनके सहीं रोग का पता नहीं चल पाता है। इस संबंध में कई बार जिला टीबी फोरम ने भी स्वास्थ्य विभाग एवं जिला क्षय नियंत्रण विभगा के अवगत करवाया है, लेकिन समस्या का निदान अब तक नहीं किया गया है।रामप्रसाद वर्मा, सचिव, जिला टीबी फोरम झाबुआ।- हॉ यह सहीं है कि लेब में वर्तमान में जो टेक्निायन है, वह अस्थायी रूप से पदस्थ है, उसकी अनुपस्थिति में सीबी नाट के मरीजों की खंखार जांच के लिए हमने एक अन्य कर्मचारी की अस्थायी रूप से व्यवस्था की है। यदि स्थायी लेब टेक्निायन की व्यवस्था हो जाती है, तो हमारा काम भी आसन हो जाएगा। साथ ही जो ख्ांंखार जांच के लिए आती है, वह खराब ना हो, इस हेतु हमारे द्वारा उसे फ्रीजर में रखवाई जाती है।डॉ. जितेन्द्र बामनिया, जिला क्षय एवं नियंत्रण अधिकारी झाबुआ।फोटो 010 -ः जिला चिकित्सालय के ट्रामा सेंटर में स्थित टीबी लेब, जो अक्सर बंद रहती है।

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