.झाबुआ। उहापोह, असमंजसता और चर्चाओं के दौर में भारतीय जनता पार्टी में जिले के भाजपा मंडलों के साथ ही प्रदेश संगठन के निर्देशानुसार भाजपा के जिलाध्यक्ष को लेकर पार्टी में अन्दरूनी तौर पर तय की गई गाईड लाईन अण्डर फिफ्टी अर्थात 50 वर्ष से कम आयु वर्ग के जिलाध्यक्ष को निर्वाचित करने के लिये माहौल तैयार हो रहा है। भारतीय जनता पार्टी में आगमी 30 नवम्बर को जिलाध्यक्ष चुने जाने के बारे में चर्चायें चल रही है । यह तो नही कहा जा सकता है कि इस तारीख तक भाजपा जिलाध्यक्ष का निर्वाचन या कहे कि आम रायशुमारी करके जिलाध्यक्ष को चुना जा सकता है। किन्तु भाजपा से इस दौड में आधे दर्जन से अधिक लोगों के नाम शामील बताये जा रहे है। लेकिन अगर यह विचार किया जाए कि 50 वर्ष से कम आयु वर्ग के लिए जिलाध्यक्ष बनाया जाए तो कुछ कार्यकर्ताओं का कहना है की विगत कई वर्षों से हमने भाजपा की सेवा की और जब भाजपा के झंडे काे उठाने के लिए कोई तैयार न था तब से हम भाजपा का प्रचार कर रहे हैं और जब हमारा मौका आया तो पार्टी में नई गाइडलाइन 50 वर्ष से कम आयु करके कार्यकर्ताओं की भावनाओं को नजरअंदाज किया जा रहा है | वैसे भी यह पद अनुभवी व्यक्तियों को ही दिया जाना चाहिए |आज भी जिले में भाजपा में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है मंडल अध्यक्ष तक के चुनाव के लिए काफी माथापच्ची हो रही है |
संभवतया संभागीय संगठन मंत्री जयपालसिंह चावडा आ सकते है……
जिला संगठन की ओर से अभी तक भाजपा जिलाध्यक्ष को लेकर कोई भी अधिकृत जानकारी नही दी जा रही है। किन्तु बताया जाता है कि संभागीय संगठन मंत्री जयपालसिंह चावडा संभवतया इस निर्वाचन को समय सीमा में संपन्न कराने के लिये जिला मुख्यालय पर आ सकते है। भारतीय जनता पार्टी में जब से विधायक की सीट पर भरपुर प्रयासों के बाद भी नही जित पाने का गम बना हुआ है। भाजपा के कार्यकर्ताओं में भी अब पहले जैसा उत्साह नही दिखाई देना,कई बातों को संकेत दे रहा है। कुल मिला कर देखे तो जब प्रदेश में भाजपा की सरकार थी,तब भाजपा जिलाध्यक्ष के पद को दमदार एवं प्रभावशाली माना जाता था,किन्तु सत्ता परिवर्तन के साथ ही यहां भी माहौल में शांति ही शांति दिखाई दे रही है।
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नही मिल पा रहे मंडलों के अध्यक्ष बनने के लिये योग्य व्यक्ति ….
प्रदेश संगठन के निर्देशानुसार जिले के 18 मंडलों के अध्यक्षों का निर्वाचन अभी तक नही हो पाया है। इसी जिले से पृथक हुए आलीराजपुर जिले में तो मंडलों के अध्यक्षों की बाकायदा घोषणा तक हो चुकी है। बताया जा रहा है कि जिले में मंडलों के अध्यक्ष बनने के लिये योग्य व्यक्ति नही मिल पा रहे है। अन्दरूनी खिंचतान अन्दर की ज्वालायें भडकाती दिखाई दे रही है। ऐसे मे भाजपा के जिलाध्यक्ष के चयन को लेकर जो नाम इस पद के लिये चर्चा में बने हुए है उनके बारे में विचार करना भी जरूरी है ।
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भाजपा जिलाध्यक्ष की दौड …….
१-श्रीमती किरण ओम प्रकाश शर्मा ….
भाजपा जिलाध्यक्ष की दौड में सबसे उपर जो नाम चल रहा है उसमें श्रीमती किरण ओम प्रकाश शर्मा का नाम प्रमुखता से उभर रहा है। श्रीमती किरण शर्मा मुलत: आरएसएस समर्थित मानी जाती है तथा पिछले 30 वर्षो से अधिक समय से भाजपा की सक्रिय कार्यकर्ता मानी जाती है । संगठनात्मक पकड होने के साथ ही बाल कल्याण समिति, उपभोक्ता सरंक्षण फोरम आदि में विभिन्न पदों पर रह कर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर चुकी है । वही शिक्षा के क्षेत्र में भी उनके अनुपम योगदान के साथ ही शैक्षणिक संस्थाओ को चलाने का लम्बा अनुभव होने के साथ ही इन्हे राजगढ नाका मित्र मंडल का भी भरपुर सहयोग प्राप्त है। ऐसे में सगठन में अगर उन्हे मौका मिलता है,तो भाजपा संगठन की निंद्रा एवं तन्द्रा को तोडने में वे अहम भूमिका निभा सकती है |
२-प्रफुल्ल गादिया …..
दुसरा नाम भाजपा के जिला महामंत्री के रूप में सफलता पूर्वक काम करने वाले तथा जनाधार वाले नेता के रूप में मेघनगर के प्रफुल्ल गादिया का भी नाम इस दौैड मे प्रथम पायदान पर शामिल होना बताया जाता है। प्रफुल्ल गादिया युवा होने के साथ-साथ शिक्षित, मिलनसार और कर्मठ कार्यकर्ता के रूप में जाने जाते हैं इसके अलावा साफ-सुथरी छवि और संगठन के निर्देश अनुसार काम करने वाले कर्मठ कार्यकर्ता है |वे जिले के गांव गांव व फलिए फलिए को नाप चुके हैं प्रफुल्ल गादिया सफल उद्योगपति होने के साथ-साथ , संगठन में इनकी भूमिका काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है। ऐसे में प्रफुल्ल गादिया को भी चांस मिल सकता है। हम बात करें तो प्रफुल्ल गादिया की ताे संगठन में विगत करीब 20 वर्षों से अधिक समय से सक्रिय रूप से कार्य कर रहे हैं जब इस जिले में भाजपा संघर्षरत थी तब इस शख्स ने संगठन और भाजपा से कदमताल रख भाजपा की नींव मजबूत करने में अहम भूमिका अदा की |इन्होंने भाजपा में कभी भी पद को महत्व नहीं दिया सिर्फ भाजपा की रीति रीति को जन-जन तक पहुंचाने में अपना समय दिया |सबसे बड़ी और खास बात यह है जिले में कभी भी किसी भी गुटीय राजनीति का हिस्सा नहीं रहे | जब प्रदेश में भाजपा सत्तारूढ़ थी तब भी सत्ता और संगठन में समन्वय बनाने में समय-समय पर अहम भूमिका भी अदा की | और आज भी जब प्रदेश में कांग्रेस सरकार है तो भी भाजपा का झंडा थामे जिले में सक्रिय रुप से कार्यकर्ता के रूप में कार्य कर रहे हैं | यदि भाजपा झाबुआ जिले में एकरूपता लानी चाहती है और भाजपा कार्यकर्ताओं को माला के रूप में पिरो कर रखना चाहती है तो प्रफुल्ल गादीया एक ऐसा शख्स है जो भाजपा को जिले में खोई हुई जमीन वापस दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है | उनमें कुशल नेतृत्व क्षमता होने के साथ-साथ विरोधियों को कैसे पाटा जाए यह उनकी खासियत है है इस विधानसभा चुनाव में स्पष्ट नजर आया कि जिले की भाजपा बिखरी बिखरी हुई नजर आ रही थी | इसी बात का फायदा कांग्रेस ने उठाया और इस विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की |
-पूर्व विधायक शांतिलाल बिलवाल……..
हकीकत तो यह है कि भाजपा जिलाध्यक्ष की दौड की पहली पायदान पर पूर्व विधायक शांतिलाल बिलवाल का नाम पहले स्थान पर माना जा रहा है किन्तु पिछले दिनों दुष्कर्म की शिकायत होने के प्रकरण में धारा 376 में इनके विरूद्ध प्रकरण दर्ज होने के चलते उनके दिल के अरमानों पर पानी फिर गया है।
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कांटो भरा ताज किसके सिर पर रखा जावेगा…?
वैसे इस पद के लिये पेटलावद के कीर्तिश चाणोदिया का नाम भी लिया जा रहा है वही भाजपा के जिलाउपाध्यक्ष ओपी राय के नाम पर भी सहमति बन सकती है। वही भाजपा जिला उपाध्यक्ष पद पर काबिज अजय पोरवाल भी जिला अध्यक्ष की दौड़ में शामिल है भाजपा के पूर्व जिला अध्यक्ष मनाेहर सेठिया के भांजे हैं साथ ही भाजपा के लिए विगत कई वर्षों से कार्यकर्ता के रूप में कार्य कर रहे हैं किन्तु भाजपा में जो कुछ है वह संगठन होता है ऐसे में भाजपा के जिलाध्यक्ष का कांटो भरा ताज किसके सिर पर रखा जावेगा…?
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