Connect with us

झाबुआ

प्राय‍ष्चित अर्थात स्वयं से हुई भूल एवं दुष्कृत्यों के लिए पश्‍चाताप होना तथा उसके लिए धर्म में बताए दंड भुगतना——- आचार्य जैमिनी शुक्ला

Published

on

कुटिर होम ,प्रायष्चित कर्म, देव पूजन के साथ उमापति मंदिर में प्रारंभ हुआ त्रि दिवसीय प्रतिष्ठा अनुष्ठान
मंगलवार को विधि विधान से की जावेगी प्रतिष्ठा
झाबुआ । श्री उमापति महादेव मंदिर, विवेकानंद कालोनी झाबुआ में रविवार प्रातः 10 बजे से मंदिर में पीतल की जलाधारी, नदीगण, कच्छप, वासुकीनाग, त्रिशुल,घंटी , चन्द्रमा, त्रिपुण्ड आदि की प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान वैदिक मंत्रों के साथ प्रारभ हुई । सर्वोदय कला मंडल के दर्शन शुक्ला एवं उमापति महिला मंडल की श्रीमती विद्या व्यास ने जानकारी देते हुए बताया कि रविवार को आचार्य पण्डित जैमीनी शुक्ला,पण्डित नरेश शर्मा, के अलावा उज्जैन से पधारे पण्डित नंदकिशोर शर्मा, दिलीप शर्मा एवं पण्डित हरिओम शर्मा द्वारा विधि विधान एवं शास्त्रोक्त विधि से कुटिर होम, प्रायश्चित कर्म, स्थापित देवताओं का पूजन,, जलाधिवास अनुष्ठान करवाया गया तथा

त्रिदिवसीय प्रतिष्ठा समारोह के प्रथम दिन पंच कुण्डीय यज्ञ में आहूतिया दी जाकर देवताओं का आव्हान किया गया । इस अवसर पर उमापति महादेव महिला मडल की सदस्यायें बडी संख्या में उपस्थित थी । पण्डित आचार्य जैमिनी शुक्ला ने बताया कि प्रतिष्ठा समारोह के प्रथम दिन विधि विधान से इसलिये उक्त अनुष्ठान किया जाता है जिससे देवताओ की प्राण प्रतिष्ठा के पूर्व वे यहां उपस्थित रह कर अपने आशीर्वाद प्रदान करते है जिससे किये जाने वाले अनुष्ठान निर्विघ्न संपन्न होते है। प्राय‍श्चित कर्म से पाप के दुष्परिणामों का निराकरण संभव है । प्राय‍श्चित पापमुक्ति के लिए हैं । प्राय‍श्चित अर्थात स्वयं से हुई भूल एवं दुष्कृत्यों के लिए पश्‍चाताप होना तथा उसके लिए धर्म में बताए दंड भुगतना । श्री शुक्ला ने बताया कि प्राय‍श्चित के कारण पाप करनेवाला व्यक्ति व्रतबद्ध हो जाता है । वह कठोर व्रताचरण करता है । तत्पश्‍चात वह सदाचारी बनता है । वह पुनः पाप न करने का निश्‍चय करता है । इसके विपरीत केवल अपराध को स्वीकार करना अथवा दंड भुगतना, ये मनुष्य को वही भूल दोहराने से रोक नहीं सकती । जो अपराधी अपने अपराध के लिए दंड भुगतते हैं, वे सुधरते नहीं क्योंकि उनमें पश्‍चाताप की भावना नहीं होती अथवा अपने दुष्कृत्यों के बुरे परिणामों का उन्हें बोध नहीं होता ।साधना का मार्ग चुनने पर साधक की मनोवृत्ति सात्त्विक होना अत्यंत महत्त्वपूर्ण है, तभी बुद्धि सात्त्विक रहती है । बुद्धि का उचित कर्म करने का निश्‍चय ही जीव को साधना में स्थिर रख सकता है । इसीलिए, पापकर्म का प्राय‍श्चित करना आवश्यक होता है ।

त्रि दिवसीय प्रतिष्ठा अनुष्ठान में 3 फरवरी सोमवार को प्रातः 10 बजे से सायंकाल 5 बजे तक मंदिर में स्थापित देवताओं का हवन, स्तवन,धान्याधिवास, पुष्पाधिवास ,शेयाधिवास अनुष्ठान तथा 4 फरवरी को प्रातः 10 बजे प्रतिष्ठा, हवन की पूर्णाहूति, महा आरती एवं महाप्रसादी वितरण किया जावेगा । आयोजकों ने नगर की धर्मप्रेमी जनता से इस अवसर का लाभ उठाने की अपील की है।

देश दुनिया की ताजा खबरे सबसे पहले पाने के लिए लाइक करे प्रादेशिक जन समाचार फेसबुक पेज

प्रादेशिक जन समाचार स्वतंत्र पत्रकारिता के लिए मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा मंच है। यहां विभिन्न समाचार पत्रों/टीवी चैनलों में कार्यरत पत्रकार अपनी महत्वपूर्ण खबरें प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं ।

Advertisement

Subscribe Youtube

Advertisement
झाबुआ4 hours ago

सेवा भारती द्वारा संचालित जनजातीय सशक्तिकरण केंद्रबड़ा घोसालिया में पत्तल दोने बनाने हेतु प्रशिक्षण दिया गया

झाबुआ7 hours ago

पेंशनर्स के प्रति हमारे दायित्वों के प्रति समर्पित रहे -शांति वसुनिया
जिला कार्यकारिणी की बैठक संपन्न

झाबुआ22 hours ago

नागरिक सहकारी बैंक झाबुआ का वार्षिक व्यापक सम्मेलन संपन्न****

झाबुआ22 hours ago

डॉ.अंजना मुवेल “नारी अस्मिता श्रेष्ठ साहित्य सम्मान” से सम्मानित* 

झाबुआ22 hours ago

जिला जन सम्पर्क केे आईने से***** 2 अक्टूबर को शुष्क दिवस घोषित****पशु घर गिरने से मृत दो गायों के प्रकरण में 77000 से अधिक आर्थिक सहायता राशि स्वीकृत****खुशियों की दास्ता साइबर तहसील परियोजना से घर बैठे अरबाज का नामांतरण आसानी से हो गया

सेंसेक्स

Trending

कॉपीराइट © 2021. प्रादेशिक जन समाचार

error: Content is protected !!