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झाबुआ

8 मार्च अंर्तराष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेषमां और सांस के विशेष सहयोग से डॉ. कंचन चौहान उच्च डिग्रीयां अर्जित कर मप्र में कई पदो पर हुई आसीन

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योगिता पाठक बालिकाओं को कराते का प्रशिक्षण देकर एवं वेस्ट प्लास्टिक से बच्चों को सामग्रीयां बनाने का दे रहीं प्रशिक्षण
निधि त्रिपाठी ने कराते में चार बार नेनल लेवल पर खेलकर गोल्ड एवं ब्रांज मेडल अर्जित किए
झाबुआ (दौलत गोलानी)। 8 मार्च, रविवार को अंर्तराष्ट्रीय महिला दिवस है। इस उपलक्ष में हम झाबुआ की 3 ऐसी महिलाओं का परिचय आपसे करवाना चाहते है, जिन्होंने अपने परिवार के सहयोग से विशेषकर अपने परिवार की महिला सदस्यों के सहयोग से कई उच्च पदों पर आसीन होने के साथ खेल एवं बालक-बालिकाओं को स्वावलंबी बनाने के क्षेत्र में अनूठी पहल की है, जो धरातल स्थल पर आज कारगर भी साबित हो रहीं है।
इनमें सबसे पहली महिला है झाबुआ के गायत्री गली में रहने वाली डॉ. कंचन चौहान, जिन्होंने अपने जीवन के सफर में र्फा से लेकर र्मा तक निरंतर कामयाबी ही हासिल की है। डॉ. कंचन चौहान डॉक्टरेट (पी.एच.डी.) की डिग्री प्राप्त महिला है। इसके साथ ही उन्होंने बी.एड., एम.एस.डब्लयू., पी.जी.डी.सी.ए., अंर्तराष्ट्रीय प्रमाण-पत्र डायबिटीज मेलाईस के साथ आहार एवं पोषण में कई महत्वपूर्ण डिग्रीयां हासिल कर वह वर्ष 2004-2006 तक गृह विज्ञान की सहायक अध्यापक, वर्ष 2006-2007 तक जिला चिकित्सालय बड़वानी में पोषण सलाहकार, वर्ष 2007-2009 तक जिला पंचायत कार्यालय धार में मध्यान्ह भोजन योजना की क्वालिटी मॉनिटर, वर्ष 2009-2012 तक जिला पंचायत कार्यालय इंदौर में मध्यान्ह भोजन की क्वालिटी मॉनिटर, वर्ष 2012-2016 तक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन राज्य कार्यालय भोपाल में राज्य पोषण सलाहकार तथा विवाह के बाद झाबुआ में वर्ष 2017-2020 तक शारदा विद्या मंदिर हिन्दी माध्यम ग्राम बिलिडोज (झाबुआ) में प्राचार्य के पद पर अपनी सेवाएं दे रहीं है। उन्हेंने कुल 16 अलग-अलग क्षेत्रों में कार्य कर हर क्षेत्र में नए किर्तीमान रचे और खिताब हासिल किए। इसी बीच राष्ट्रीय एवं अंर्तराष्ट्रीय स्तर पर आहार एवं पोषण विषय में रिसर्च पेपर का प्रकान हुआ।
इन्हें मिला लाभ
डॉ. कंचन की अब तक दी गई सेवाओं में विद्यालयीन एवं महाविद्यालयीन छात्राएं लाभांन्वित होने के साथ गंभीर कुपोषित बच्चों के लिए कार्ये करने, शालेय विद्यार्थियों, निःाल्क आहार एवं पोषण परार्मा, एनीमिया से पीडि़त महिलाओं को आहारीय परार्मा के साथ उनकी कविता लेखन, स्त्री िक्षा पर कार्य करना तथा विषकर ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं एवं बालिकाओं को िक्षा के लिए जाग्रत करने की इच्छा है। अंर्तराष्ट्रीय महिला दिवस पर उन्होंने ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं, विोषकर युवा पीढ़ी को संदे देते हुए कहा कि वह उच्च िक्षा अर्जित कर रोजगार के अवसर अपने अनुसार चुने, कम उम्र में विवाह ना करे। साथ ही परिवार के सदस्य भी उन्हें उच्च िक्षित करने एवं उनका भविष्य संवारने में पूर्ण सहयोग प्रदान करे। डॉ. कंचन ने बताया कि उनकी इस उपलब्धि और उच्च िक्षा ग्रहण करने में उनके मायके में अपनी मां और अब ससुराल में सासू मां के साथ विष रूप से अपने पति राजे चौहान द्वारा प्रोत्साहित करने के साथ पूर्ण सहयोग प्रदान किया जा रहा है।
बालक-बालिकाओं को आत्म निर्भर एवं स्वावलंबी बनाना ही मेरा लक्ष्य
योगिता पाठक, जो शहर के कॉलेज मार्ग पर रहती है। वह शारदा विद्या मंदिर हिन्दी माध्यम में िक्षिका के पद पर पदस्थ होकर उनका सपना बालक-बालिकाओं को आत्म निर्भर एवं स्वावलंबी बनाना है। पिछले करीब एक वर्ष से ऑल इन वन ग्रुप बनाकर शहर में लगातार आर्ट एवं क्राफट का एक महीने का समर केंप आयोजित करने के साथ ही वह अपने घर पर संगीत, डांस और म्यूजिक का निःाल्क प्रिक्षण देने के अतिरिक्त मुख्य रूप से केंद्र सरकार द्वारा सिंगल यूज प्लास्टिक पर बेन करने के बाद इन प्लास्टिक सामग्रीयों से अलग-अलग दैनिक उपयोगी सामग्रीयां एवं वस्तुएं बनाना सीखा रहीं है।
आत्म रक्षा के गुर सिखाएं जा रहे
योगिता ने बताया कि उन्होंने पिछले दिनों वेस्ट प्लास्टिक से डस्टबिन बनाकर यह डस्टबिन शहर के प्रतिष्ठानों पर लगवाएं, ताकि इसमें दुकानों पर आने वाले ग्राहक वेस्ट सामग्री फेंक सके और इसका कलेकन कर पुनः इसका सद्पयोग के लिए व्यापारी ग्रुप के सदस्यों को प्रदान करे। साथ ही उन्होंने पिछले कुछ महीनों पूर्व वेस्ट प्लास्टिक से दैनिक उपयोगी सामग्रीयों की प्रर्दानी कलेक्टर कार्यालय में भी लगाई। जिसकी स्वयं जिले के कलेक्टर प्रबल सिपाहा एवं डिप्टी कलेक्टर अनिल भाना ने अवलोकन कर प्रसन्नता व्यक्त की। अंर्तराष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष में भी पिछले 5 दिनों से स्थानीय शासकीय उत्कृष्ट उमा विद्यालय के पीछे कन्या छात्रावास परिसर में बालिकाओं को आत्म रक्षा के गुर सिखाएं हुए कराते का निःाल्क प्रिक्षण दिया जा रहा है।
दादाजी कंधे पर बिठाकर कराते सिखाने के लिए ले जाते थे
निधि त्रिपाठी, जो शहर के कुरैशी कपाउंड में रहती है। निधि कक्षा पहली से कराते का प्रिक्षण प्राप्त कर रहीं है, जब डीआरपी लाईन में कराते का प्रिक्षण दिया जाता था। निधि वर्तमान में कक्षा 10वीं में स्थानीय कैथोलिक मिन स्कूल अंग्रेजी माध्यम में पढ़ती है। निधि की माता पूनम त्रिपाठी एवं पिता कमले त्रिपाठी ने बताया कि घर में तीन पुत्रियां गुंजन, निधि एवं र्दाना होने पर परिवार सहित विष रूप से दादा स्व. श्यामबाबु त्रिपाठी एवं दादी रामश्रुति त्रिपाठी का सपना रहा कि मेरी पोतियां (लड़किया) लड़कों से किसी भी मायने एवं क्षेत्र में कम ना हो। इसके लिए निधि का रूझान शुरू से ही कराते में होने पर दादाजी स्व. श्यामबाबु त्रिपाठी, जब निधि कक्षा प्रथम में थी, तब दादा अपनी पोती को कंधे पर बिठाकर कराते सिखाने के लिए डीआरपी लाईन प्रिक्षण केंद्र पर ले जाते थे।
नेशनल लेवल पर दो बार मिले मेडल
निधि त्रिपाठी अपना आयडल जिला कराते एसोसिएशन के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ अभिभाषक उमंग सक्सेना तथा जिला कराते एसोसिएशन के सचिव तथा कराते कोच सूर्यप्रतापसिंह को मानती है। उन्होंने बालिका की इस प्रतिभा को प्रोत्साहन देते हुए उसे निरंतर बहुउदश्देीय खेल परिसर में कराते क्लास में कराते का प्रशिक्षण देकर इस विद्या में परिपक्व और आत्मनिर्भर बनाया। निधि ने मप्र के जबलपुर में राष्ट्रीय कराते प्रतियोगिता में चयनित होकर गोल्ड मेडल जीता। तेलंगाना राज्य और इंदौर में भी राष्ट्रीय स्तर पर कराते प्रतियोगिता में सहभागिता कर तेलंगाना में ब्रांज मेडल तथा इंदौर में प्रास्ति पत्र प्राप्त किया। वह अब तक 4 बार नेनल लेवल पर अपना प्रर्दान कर चुकी है और अब कराते अंर्तराष्ट्रीय स्तर पर प्रर्दान कर ख्याति हासिल करने का उसका सपना है।

फोटो 012 -ः अपनी सासू मां एवं पुत्री के साथ डॉ. कंचन राजे चौहान |

फोटो 013 -ः योगिता पाठक, क्लासेस में आने वाली बालिकाओं के साथ

फोटो 014 -ः निधि त्रिपाठी जबलपुर में मिला गोल्ड मेडल दिखाते हुए |

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