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झाबुआ

विधायक कांतिलाल भूरिया के सुपुत्र ’डा. विक्रांत भूरिया का वरदान हास्पीटल बंद 

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सांसद डामोर एवं ओम शर्मा पर लगाया आरोप
अगर हास्पीटल नही चला सकते है तो शासन को दान कर दे – सांसद गुमानसिंह डामोर
वरदान नही ये अभिषाप है – ओम शर्मा त्रिपुरा
झाबुआ ।  आदिवासी अंचल में सुपर स्पेश्यलिटी हास्पीटल के रूप में यहां की गरीब जनता की सेवा की भावना के नाम पर प्रचारित करके तथा कांग्रेस सरकार में 22 फरवरी को तत्कालीन प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट सहित प्रदेश भर के कांग्रेस नेताओं की उपस्थिति में प्रारंभ किये गये’ नये ’’वरदान हास्पीटल’’ की नियती यहा तक पहूंच गई कि स्वयं वरदान हास्पीटल के संचालक डा. विक्रांत भूरिया को मात्र 78 दिनों में उक्त वरदान हास्पीटल कोे लाॅक डाउन करने की घोषण मीडिया के समक्ष कर दी और वरदान हास्पीटन उनके लिये अभिशाप बन गया ।  
डा. विक्रांत भूरिया से सोष्यल मीडिया पर वरदान बंद करने की घोषणा की 
सोश्यल मीडिया के द्वारा शुक्रवार को  विधायक कांतिलाल भूरिया के पुत्र डा. विक्रांत भूरिया ने रामकृष्ण नगर स्थित वरदान हास्पीटल की सेवाएं बंद करने की जानकारी दी है । मीडिया को भेजे गये अपने इस पोस्ट में डा. भूरिया ने कहा है कि आप सभी जानते हैं कि हमने किस परिस्थिति में  वरदान हास्पीटल को  8 साल पहले शुरू किया था , जब कोई भी झाबुआ में अपनी चिकित्सा सेवा नही देना चाहता था कोई निजी अस्पताल नही था उन्होने वरदान अस्पताल को सिर्फ सेवा का माध्यम ही माना है और यही कोशिश करी है कि किसी को दाहोद जाने की जरूरत न पड़े और इसी उद्देश्य से पिछले 8 साल से झाबुआ के मरीजों की सेवा कर रहे हैं ।  उन्होने अपनी पोस्ट मे लिखा है कि आज मुझे यह आप सबको बताते हुए दुख हो रहा है की राजनीतिक स्वार्थ के लिए कुछ राजनीतिक लोग इसे नही चलने देना चाहते ..उन्हें किसी से मतलब नही कि कौन जिये कौन मरे ?. इसमें विशेषकर ओम शर्मा ( त्रिपुरा ) और सांसद गुमान सिंह डामोर की मुख्य भूमिका रही है । कल ऐसे ही एक वाकये ने मानवता को शर्मसार कर दिया । उन्होन लिखा है कि  कल याने गुरूवार को  एक महिला को जुड़वा बच्चे थे , और डिलीवरी नही हो पाने के कारण इमरजेेंसी में ऑपेरशन करना बहुत ही जरूरी था, पर इन लोगों ने जिला अस्पताल से डॉ सावन को एनेस्थेशिया देने नही आने दिया गया  और फिर उसे इमरजेंसी में दोहद भेजना पड़ा ’। वह मरीज रोते हुए गयी पर हम कुछ नही कर सके।
 डा. विक्रांत भूरिया ने लिखा है कि यह मामला कलेक्टर साहब के भी संज्ञान में लाया गया था , फिर भी कोई मदद नही मिली । यह विडंबना है कि कोरोना से लड़ने के लिए उन्हें हमारे अस्पताल की जरूरत है पर किसी की जान बचाने के लिए वो एक डॉक्टर को हमारे आपातकाल नही भेज सकते । इसलिए आज शुक्रवार से हमने अपने दिल पर पत्थर रख के यह निर्णय लिया है कि हम ’’ वरदान हॉस्पिटल झाबुआ बन्द कर रहे हैं ।’’उन्होने अंत मे लिखा है कि आप सबने जो स्नेह और प्यार दिया उसके लिए वरदान आपका आभारी रहेगा ।
यह वरदान नहीं अभिशाप है’- ओम प्रकाष शर्मा
डा. विक्रांत भूरिया की मिडीया को भेजी गई इस पोस्ट पर ओम प्रकाश शर्मा (त्रिपुरा)ने वरदान हास्पीटल को लेकर कहा है कि विधायक कांतिलाल भूरिया व उनके सुपुत्र विक्रांत भूरिया जनजाति समाज का व झाबुआ जिले का अपमान करने की कोई कसर नही छोड़ते यह बात इनके तथाकथित मल्टी-स्पेशलिटी वरदान हॉस्पिटल से जुड़े अनेकानेक वाकये से सामने आती है। उनका कहना है कि जब विधायक कांतिलाल भूरिया द्वारा इनकी सरकार रहते हुए इनके नवीन हॉस्पिटल के उद्घाटन से पूर्व जिले के सरकारी हॉस्पिटल के 3 ऑपरेशन थियेटर को नवीनीकरण के नाम पर तोड़ कर भारी पैसा कमाने के उद्देश्य से जिला चिकित्सालय की सेवाओं को बंद किया गया व उसके बाद के सभी ऑपरेशन अपने निजी हॉस्पिटल में करने का षड्यंत्र रचा। उन्होने कहा है कि इस तथाकथित निजी हॉस्पिटल को मल्टी-स्पेशलिटी बताने वाले डा. विक्रांत भूरिया के पास यदि आवश्यक सुविधा नही है तो वह किस आधार पर ऐसे केस अपने निजी अस्पताल में ले रहे हैं? क्या उन्होंने यह अस्पताल सरकारी डॉक्टर के भरोसे खोला है ? श्री शर्मा का यह भी कहना है कि  जनजाति समाज को गुमराह कर नियमों का पाठ पढाने वाले डॉक्टर साहब यह नही जानते कि सरकारी अस्पताल का कोई भी चिकित्सक किसी भी निजी अस्पताल में सेवा नही दे सकता। ऐसा कोई नियम ही नही है। यदि आपका उद्देश्य जनजाति समाज की सेवा करना है तो विधायक होने के नाते सर्वप्रथम जिला चिकित्सालय के ऑपरेशन थियेटर सुचारु रूप से चालू करवाए। श्री शर्मा का कहना है कि  जिस महिला मरीज की डॉक्टर साहब बात कर रहे हैं कि इलाज के लिए महिला को अंत में दाहोद भेजना पड़ा यह सरासर गलत है । वह महिला का इलाज अच्छी तरह से हमारे जिले में ही हुआ है और महिला को 2 पुत्रों की प्राप्ति हुई है। डॉक्टर साहब का जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह लगाना कहाँ तक उचित है ? इस तथाकथित मल्टी-स्पेशालिटी अस्पताल के पास उपर्युक्त सुविधा न होने के बावजूद उन्होंने जनजाति समाज का अपमान करने के लिए मरीज को भर्ती किया। यदि जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था की विधायक भूरिया को इतनी चिंता है तो जिला अस्पताल को सुचारु रूप से चलाने की व्यवस्था करें । जनजाति समाज में भ्रम फैलाने के अनर्गल प्रयास ना करें।
वरदान चला नही सकते तो शासन को दान कर दे –
वरदान हास्पीटल को लेकर क्षेत्रीय सांसद गुमानसिंह डामोर ने उन पर लगाये आरोप को मिथ्या बताते हुए पलटवार करते हुए कहा है कि अगर डा. विक्रांत वरदान हास्पीटल चला नही सकते है तो वे शासन को दान कर दे । हमारे द्वारा जिला चिकित्सालय के किसी भी डाक्टर को वहां जाने से नही रोका है आप  किसी भी डाक्टर्स से फोन करके पुछ सकते है । सांसद डामोर का कहना है कि उनका आरोप लगाना या नही लगाना कोई नई बात नही है पिछले 40 बरसों से ये आरोप लगाते रहे है जिसका कोई मायना नही है ।यदि सरकारी अस्पताल का कोई डाक्टर्स वहां जाकर काम करना नही चाहता है तो यह उनका निर्णय हो सकतात है, हमार द्वारा किसी भी डाक्टर को रोका नही गया है । इनमे ही स्वयं क्षमता एवं सेवा भावना का अभाव हे । ऐसे में इनको यह अस्पताल शासन को दान कर देना चाहिये ।
09 झाबुआ फोटो–वरदान हास्पीटल झाबुआ 
 

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