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झाबुआ

मेघनगर जनपद सदस्य ने लगाए जिला पंचायत सीईओ पर राशि लेने का आरोप…………….

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झाबुआ….मेघनगर जनपद सदस्य गुजरपाडा के खुशाल बिलवाल ने लगाए जिला पंचायत सीईओ पर लगाया आरोप….हमारे द्वारा 4 कामो की मांग की गई थी मगर एक कार्य मिला….जिसके बदले 40 हज़ार की राशि देना पड़ी….बाकी कामो के बदले राशि कहा से लाये अभी करीब 700 लोगो के पास काम नही है..!!

खुशाल बिलवाल जनपद सदस्य ,गुजरपाड़ा

झाबुआ- एक तरफ देश कोरोनावायरस से लड़ रहा है और लाक डाउन के कारण काम न मिलने से गरीब वर्ग परेशान हो रहा है वहीं दूसरी और झाबुआ जिले में कोरोना वायरस ताे कम मगर रिश्वत का वायरस तेजी से फैल रहा है यह वायरस नगर पालिका झाबुआ के बाद अब जिला पंचायत में भी अपने पैर पसार रहा है जनपद सदस्य गुजरपाडा के खुशाल बिलवाल ने जिला पंचायत सीईओ पर काम के बदले राशि लेने का आरोप लगाया है | एक तरफ जनप्रतिनिधियों दारा रोजगार उपलब्ध कराकर गरीब वर्ग को 2 जून की रोटी की व्यवस्था करना ,दूसरी ओर इस तरह कार्य के लिए राशि मांगना कहां तक उचित……??

– लॉक डाउन के बाद भारी संख्या में प्रवासी मजदूर झाबुआ जिले में लौट आये है..ऐसे में मजदूरों पर रोजी रोटी का संकट पैदा हो गया, प्रवासी मजदूरो को परेशान न होना पड़े इसलिए उसे गाव में ही रोजगार देने की कवायद शुरू की गई है, मगर झाबुआ जिले के मेघनगर ग्राम गुजरपाड़ा पंचायत में लोगो को रोजगार न मिलने की वजह से परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, वही जनप्रतिनिधी ने निर्माण कार्य देने के बदले राशि की मांग का आरोप जिला पंंचायत सीईओ पर लगाये है गुजरपाड़ा ग्राम पंचायत में करीब 1400 की जनसंख्या है , जहां हर कोई काम की आस लगाए बैठे है जनपद सदस्य द्वारा आरोप लगाते हुवे कहा कि हमारे द्वारा 4 कामो की मांग की गई थी मगर एक कार्य मिला जिसके बदले 40 हज़ार की राशि देना पड़ी, बाकी कामो के बदले राशि कहा से लाये अभी करीब 700 लोगो के पास काम नही है ओर वह लोग जनप्रतिनिधियों ओर सरपंच मंत्री से आस लगाए बैठे है ऐसे में हम काम के बदले अधिकारी को राशि दे या ग्राम वालो को काम दे | वही ग्रामीणों का भी कहना है कि लॉक डाउन के बाद, हमारे गाँव के सारे मज़दूर घर लौट आये है अभी हमारे पास न तो खाने का राशन है और नही रोजगार ऐसे में रोजी रोटी का संकट आ गया है, जनप्रतिनिधियों से हम लगातार काम मांग रहे है मगर ऊपर से काम नही मिल रहा है तो वह हमें काम कहा से देगे वही ग्रामीणों का कहना है कि अगर उन्हें काम मिलेगा तो उनको रोजी रोटी की समस्या से जूझना नही पड़ेगा | यदि मेघनगर जनपद सदस्य गुजरपाड़ा के खुशाल बिलवाल की बात पर गौर करें और कार्य के बदले राशि मांगने वाली बात पर विश्वास कर गणना करें तो , इस जिले में करीब 377 ग्राम पंचायत है और यह मान लिया जाए की करीब 250 ग्राम पंचायतों में कार्य प्रारंभ करने हैं या प्रारंभ हो गए हैं और यदि प्रत्येक कार्य के लिए जैसा कि जनपद सदस्य ने बताया एक कार्य के लिए ₹40000 की राशि देने पर कार्य प्रारंभ किया गया ,तो प्रत्येक ग्राम पंचायत में रोड निर्माण ,नाला निर्माण , कुंआ निर्माण कार्य आदि अन्य कार्य प्रस्तावित है जिन्हें प्रारंभ किया जाना है यदि इन ग्राम पंचायतों में यह काय प्रारंभ किए जाते हैं तो स्वीकृति के लिए प्रत्येक कार्य के लिए ₹40000 की राशि की मांग की जा रही है यदि आंकड़े काे इन पंचायतों मे प्रत्येक कार्य के अनुमान से गुणा किया जाए तो करीब यह राशि ₹ 1 करोड से अधिक होती है जो कि इस जिले के विकास को प्रारंभ करने के लिए है | जनपद सदस्य का यह भी कहना है राशि नहीं देने पर कार्य प्रारंभ की स्वीकृति नहीं दी जा रही है जिससे गांव का विकास भी अवरुद्ध हो रहा है रोजगार उपलब्ध नहीं हो पा रहा है | उनका यह भी कहना है कि अब तो कार्य प्रारंभ करने के लिए भी राशि और पूर्ण करने के लिए भी राशि देना पड़ रही है | अब तो ग्रामीण क्षेत्रों में यह भी जन चर्चा का विषय बनता जा रहा है कि भाजपा की सरकार आते ही अधिकारी कर्मचारियों की सरकार आ गई है | अधिकारी अपने मनमाने तरीके से कार्य करेंगे |मध्यप्रदेश की भाजना सरकार द्वारा प्रवासी मजदूरों को अपने अपने गृह जिले मैं लाने के लिए करोड़ों रुपए खर्च किए और उन्हें रोजगार उपलब्ध कराने के प्रयास भी किए जा रहे हैं ताकि उन्हें भटकना न पड़े |लेकिन इस तरह की कार्यप्रणाली से प्रदेश सरकाके प्रति आम जनों का विश्वास टूटता है और लोग सरकार को काेसते है ना कि अधिकारियों को…|

दूसरी ओर जिला प्रशासन का कहना है कि हमने करीब 1 लाख मजदूरों को मनरेगा के तहत रोजगार उपलब्ध कराया है यदि हम जिले की जनसंख्या पर गौर करें तो करीब 10 लाख 50 हजार है और यह मान लिया जाए कि 50% मजदूर है इस जनसंख्या में है तो यह आंकड़ा होता है करीब 5 लाख | यदि सरकारी आंकड़े पर गौर करें तो करीब एक लाख मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराया जा चुका है लेकिन लाक डॉउन में विगत 2 माह से काम नहीं मिलने से शेष 4 लाख मजदूर प्रभावित हुए हैं और रोज 2 जून की रोटी की तलाश में भटक रहे हैं |तो यह कैसा माना जाए कि कार्य संतोषपद है वहीं दूसरी और जनपद सदस्य ने पंचायत में कार्य प्रारंभ करने के लिए जिला पंचायत सीईओ पर राशि लेने का आरोप लगाया है तो इस आंकड़े तक पहुंचना लगभग मुश्किल से नजर आ रहा है | क्या शासन प्रशासन इस ओर ध्यान देकर रिश्वत की वायरस को फैलने से रोक सकेगा या फिर या वायरस धीरे-धीरे अन्य विभागों में भी फैलता जाएगा ……यह जांच का विषय है |

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