झाबुआ – जिले में एक ओर जहां भाजपा को चुनाव के दौरान प्रचार के साथ साथ भाजपा के कार्यकता पूरी मेहनत और लगन से काम कर, भाजपा को जिताने के लिए हर संभव प्रयास करते हैं और वहीं दूसरी ओर जीत के बाद बाहरी लोग इसका आर्थिक फायदा लेने के लिए, इस जिले के विकास के लिए आए बजट को रफा-दफा करने में व्यस्त हो जाते हैं कुछ ऐसा ही जिले में किसी इंदौरी बाबू (पाठक) की कार्यप्रणाली है जो स्वास्थ्य विभाग के साथ साथ अब नपा के बजट को दीमक की तरह खोखला करने में व्यस्त हैं।
जिले में कोविड काल के पूर्व ही स्वास्थ्य विभाग में किसी इंदौरी बाबू ( पाठक) की सक्रियता और दादागिरी चरम पर है । इस इंदौरी बाबू (पाठक) द्वारा कोविद काल में शासन द्वारा प्रदत्त करोड़ों के बजट को लूटकर अपनी जेबें गर्म की है । इस इंदौरी बाबू ने स्वास्थ्य विभाग में करोड़ों के बील लगाकर सामग्री आधी भी नहीं दी थी ऐसा सूत्रों का कहना है । दो फर्म के माध्यम से सामग्री सप्लाई करने वाला यह (पाठक) सिर्फ शासन के बजट को पूर्ण करने में व्यस्त रहता है । और यदि कोई अधिकारी या कर्मचारी इसकी बात से इंकार करता है तो उस अधिकारी या कर्मचारी को किसी भाजपा के बड़े नेता का हवाला देकर ट्रांसफर की धमकी भी देता है और निलंबित करने की बात भी कहता है आजकल स्वास्थ्य विभाग में किसी भोपाली ठेकेदार की सक्रियता के कारण इस इंदौरी बाबू की दाल नहीं गल रही है इस कारण छोटे छोटे सामग्री सप्लाई के लिए भी यह अधिकारी कर्मचारी को डरा धमका रहा है यह इंदौरी बाबू ( पाठक) कोविड काल के दौरान ही जिले के स्वास्थ्य विभाग में सामग्री सप्लाई कर ऱोडपति से करोड़पति बन गया है । और तो और कुछ माह पूर्व भी यह इंदौरी बाबू ( पाठक) रात्रि में अवैध रेत ट्रक और डंपर चालकों से भी अवैध उगाही करता था और राशि न देने पर भाजपा के किसी बड़े नेता से कारवाई करवाने को लेकर धमकी भी देता था । वही स्वास्थ्य विभाग के बजट को दीमक की तरह खोखला करने के बाद आजकल इस इंदौरी बाबू की नजर झाबुआ नगर पालिका पर पड़ी है और यह इंदौरी बाबू आजकल नगर पालिका झाबुआ में भी शासन द्वारा प्रदत बजट को फर्जी बिलों के माध्यम से पूर्ण करने की योजना बना रहा है और अपनी जेबें गर्म करने की योजना पर काम कर रहा है । इस इंदौरी बाबू (पाठक) की इस मनमानी कार्यशैली और दादागिरी से अब स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी परेशान हो गए हैं । चूंकि स्वास्थ्य विभाग में इंदौरी बाबू का कहना है कि शासन द्वारा जो भी बजट आए , उसका उपयोग कैसे किया जाए, उसके लिए इस इंदौरी बाबू की राय ली जाए । यदि कोविड कॉल के दौरान हीं स्वास्थ्य विभाग में सामग्री खरीदी व अन्य खरीदी के बिलों की जांच पड़ताल की जाए, तो एक बड़े घोटाले के खुलासा होने की भी संभावना है जिसमें संभवतः इस इंदौरी बाबू के फर्म के बिल ही नजर आएंगे । जिले के स्वास्थ्य विभाग को लूटने के बाद अब इस इंदौरी बाबू की नजर नगर पालिका पर पड़ी है देखना यह दिलचस्प होगा कि क्या यह इंदौरी बाबू अपने इरादों में कामयाब होता है या फिर नगर पालिका पार्षद इस तिकड़म बाज के जाल में नहीं फसेंगे…?
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