Connect with us

झाबुआ

जिला शिक्षा अधिकारी के‌ संरक्षण में कैथोलिक मिशन स्कूल ने शासन के कई नियमों की उड़ाई धज्जियां ……. शिक्षा विभाग द्वारा दंडात्मक या मान्यता रद्द को लेकर कार्यवाही क्यों नहीं की जा रही….

Published

on

झाबुआ  —- शहर के निजी स्कूल कैथोलिक मिशन स्कूल झाबुआ द्वारा  शासन के निर्देशानुसार न तो समय पर परीक्षा आयोजित की और न‌ ही समय पर प्रवेश उत्सव मनाया और न ही रिजल्ट घोषणा को लेकर संकुल से अप्रुवल लिया गया , वही नोटिस को लेकर गलत जानकारी देते हुए  माफी मांगी गई ।  प्रश्न यह है कि आखिर क्यों जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा शासन के नियमों की अवहेलना को लेकर कोई दंडात्मक कार्यवाही नहीं की जा रही और न ही मान्यता रद्द को लेकर…?

जानकारी अनुसार शहर के कैथोलिक मिशन हायर सेकंडरी स्कूल की मनमानी कार्यशैली को लेकर लगातार खबरो‌ का प्रकाशन हुआ‌। वही शिक्षा विभाग द्वारा तत्काल 28 अप्रैल को कैथोलिक मिशन स्कूल को कुछ बिंदुओं पर नोटिस देकर स्पष्टीकरण मांगा गया ।‌ लेकिन स्कूल संचालक द्वारा गलत जानकारी देकर शासन को प्रथम दृष्टया गुमराह किया गया बाद में माफी नामा दिया गया  । शासन के निर्देशानुसार 31 मार्च तक ही रिजल्ट घोषित किया जाना चाहिए था । लेकिन स्कूल संचालक द्वारा इस दिनांक तक संकुल केंद्र से अप्रुवल ही नहीं लिया गया और करीब पांच अप्रैल तक रिजल्ट की घोषणा की गई । वही 25 से 27 मार्च तक सभी परीक्षा पूर्ण की जाना थी लेकिन 31 मार्च तक परीक्षा आयोजित होती रही । 1 से 5 अप्रैल तक प्रवेश उत्सव मनाया जाना था लेकिन स्कूल संचालक मनमानी करता रहा और दीक्षांत समारोह की जानकारी देकर इतिश्री की । पूरक परीक्षा आयोजन को लेकर सीसीटीवी फुटेज की जानकारी मांगी गई, लेकिन संस्था द्वारा खराब होना बताया गया । संस्था द्वारा सीसीटीवी कैमरे 7 अप्रैल को ठीक करवाएं गए । इस प्रकार इस संस्था द्वारा कई गलतीया की गई और अपनी ग़लती स्वीकार करते हुए माफी मांगी गई । सूत्रों का कहना है कि इस संस्था द्वारा पूर्व में भी गलती की गई थी तब भी इस स्कूल की मनमानी को लेकर संभवतः कलेक्टर कार्यालय प्रतिवेदन भी गया था । तब भी इस स्कूल संचालक द्वारा माफी मांग कर इतिश्री की गई ।मध्यप्रदेश में निजी स्कूल द्वारा शासन के नियम नहीं मानने पर कई तरह की कार्रवाई की जा सकती है। इसमें विद्यालय की मान्यता रद्द करना, वित्तीय दंड लगाना, और अन्य कानूनी कार्यवाही शामिल हो सकती है। यदि कोई निजी विद्यालय नियमों का उल्लंघन करता रहता है, तो शिक्षा विभाग उसकी मान्यता रद्द कर सकता है. इसका मतलब है कि स्कूल को बंद करना पड़ सकता है ।नियमों का उल्लंघन करने पर स्कूल को वित्तीय दंड भी लगाया जा सकता है, जैसे कि जुर्माना या अन्य शुल्क । कुछ मामलों में, निजी विद्यालय के खिलाफ कानूनी कार्यवाही भी की जा सकती है, जैसे कि मुकदमा या अन्य कानूनी कदम ।  इस संस्था द्वारा कई गलतीया की गई और शासन के नियमों की अनदेखी करते हुए, उनका मजाक बनाते हुए, नोटिस के एवज में झूठी बातें बताकर , माफी मांगना  । गलती कर , माफी मांगना याने कि अपनी गलतियों को छुपाना । लेकिन जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा कोई भी कार्रवाई नहीं की गई । प्रश्न यह है कि इस निजी संस्था द्वारा की जा रही मनमानी और मप्र शिक्षा बोर्ड के नियमों की अनदेखी को लेकर जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा कार्यवाही क्यों नहीं की जा रही है क्यों जिला शिक्षा अधिकारी इस स्कूल पर मेहरबान है क्या जिला शिक्षा अधिकारी का इस स्कूल से कोई रिश्तेदारी है या फिर आर्थिक रिश्तेदारी है जिसके चलते कारवाई में दिक्कतें आ रही है । शिक्षा विभाग की इसी तरह की कार्य प्रणाली का फायदा उठाकर,संस्था शासन के नियमों को लेकर सजग नहीं है । जिला शिक्षा अधिकारी का इस संस्था की इतनी गलतियां और लापरवाही को लेकर कारवाई न करना , कई तरह के प्रश्नों को जन्म दे रहा है ।  क्या जिला प्रशासन,  शिक्षा विभाग और इस निजी स्कूल संस्था द्वारा की गई मनमानी और शासन के नियमों की अनदेखी को लेकर कोई कार्रवाई करेगा…… या फिर इस संस्था द्वारा नियमों की धज्जियां उड़ाता रहेगा और माफी मांगता रहेगा……?

देश दुनिया की ताजा खबरे सबसे पहले पाने के लिए लाइक करे प्रादेशिक जन समाचार फेसबुक पेज

प्रादेशिक जन समाचार स्वतंत्र पत्रकारिता के लिए मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा मंच है। यहां विभिन्न समाचार पत्रों/टीवी चैनलों में कार्यरत पत्रकार अपनी महत्वपूर्ण खबरें प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं ।

Advertisement

Subscribe Youtube

Advertisement

सेंसेक्स

Trending

कॉपीराइट © 2021. प्रादेशिक जन समाचार

error: Content is protected !!