*कलेक्टर ने रायपुरिया में किया निर्माणाधीन फिश पार्लर का निरीक्षण*
झाबुआ, 12 जून 2025। कलेक्टर नेहा मीना ने पेटलावद प्रवास के दौरान जामली में प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत निर्माणाधीन रीसर्कुलेटिंग एक्वाकल्चर सिस्टम का निरीक्षण कर हितग्राही श्री ब्रजभूषण से चर्चा की। हितग्राही श्री ब्रजभूषण द्वारा बताया गया कि एक्सपोजर विजिट एवं स्वयं की रुचि से उनके द्वारा देवास एवं इन्दौर जाकर मछली पालन के बारे में जानकारी प्राप्त की गयी। उन्होंने बताया कि स्वयं की रुचि होने से एवं विभाग से सहयोग प्राप्त कर रीसर्कुलेटिंग एक्वाकल्चर सिस्टम का निर्माण कर मछली पालन के माध्यम से आय सृजित करना लक्ष्य है। जिले में वर्तमान में जामली एवं मदरानी में रीसर्कुलेटिंग एक्वाकल्चर सिस्टम का निर्माण किया जा रहा है। कलेक्टर नेहा मीना ने कृषि के संबद्ध क्षेत्रो में मछली पालन को बढ़ावा देने एवं अन्य किसानों को प्रोत्साहित करने हेतु आरएएस निर्माण को उपलब्धि बताया। उन्होनें मत्स्य विभाग के सहायक संचालक श्री दिलीप सोलंकी को दोनों ही हितग्राहियों को हैदराबाद एक्सपोजर विजिट के साथ ट्रेनिंग की व्यवस्था किये जाने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि मछली पालन में जल में एमोनिया की मात्रा ना बढ़े, जल का निरन्तर प्रवाह जैसी सावधानियों बतरने हेतु ट्रेनिंग कराना अति आवश्यक है। जिससे कृषि के साथ एक सस्टेनेबल मॉडल भी विकसित किया जा सके।
*रायपुरिया में किया निर्माणाधीन फिश पार्लर का निरीक्षण:-* रायपुरिया में कलेक्टर नेहा मीना ने निर्माणाधीन फिश पार्लर का निरीक्षण किया। आपको बता दे कि जिले में कुल 5 फिश पार्लर का निर्माण किया जा रहा है जिसमें 3 नगरीय क्षेत्र में और दो ग्रामीण क्षेत्र में निर्माणाधीन है। इस दौरान अनुविभागीय अधिकारी राजस्व पेटलावद सुश्री तनुश्री मीणा, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पेटलावद श्री राजेश दीक्षित, सहायक संचालक उद्यानिकी विभाग श्री नीरज साँवलिया, सहायक संचालक मत्स्य विभाग श्री दिलीप सोलंकी, नायब तहसीलदार पेटलावद सुश्री अंकिता भिड़े एवं अन्य अधिकारी कर्मचारी उपस्थित रहे।
*रीसर्कुलेटिंग एक्वाकल्चर सिस्टम (आरएएस):-* मछली पालन के लिए अब आपको बड़े-बड़े तालाबों और ज्यादा पानी की जरूरत नहीं है। इसकी जगह आप बहुत कम जगह में रीसर्कुलेटिंग एक्वाकल्चर सिस्टम (आरएएस) तकनीक की मदद से कम जगह में सीमेंट के टैंक बनाकर मछली पालन कर 8 से 10 गुना ज्यादा मछली उत्पादन कर सकते है। आरएएस तकनीक में मछलियों को आमतौर पर नियंत्रित वातावरण में इनडोर और आउटडोर टैंकों में पाला जाता है। इस तकनीक में कम पानी में हाईडेंसिटी तकनीक के साथ बहुत कम जगह की जरूरत होती है। पानी का बहाव निरंतर बनाए रखने लिए पानी के आने-जाने की व्यवस्था की जाती है। आरएएस एक ऐसी तकनीक है जिसमें पानी को मैकेनिकल और बॉयोलोजिकल फिल्टर करके पानी में पड़े बेकार और हानिकारक तत्वों और वेस्ट को हटाने के बाद दोबारा मछली पालन के लिए उपयोगी बनाकर इस्तेमाल किया जाता है। रीसर्कुलेटिंग सिस्टम पानी को रीसायकल करके फिल्टर से साफ करता है और फिर फिश कल्चर टैंक में पानी को वापस भेजता है। इस तकनीक का इस्तेमाल मछली के किसी भी प्रजाति के पालने के लिए किया जा सकता है। इस तकनीक का इस्तेमाल शहरी और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में जहां भूमि और पानी की कमी है इस तकनीक से मछली उत्पादन किया जा सकता हैं।
*भारत सरकार द्वारा संचालित प्रधान मंत्री मत्स्य संपदा योजना:-* भारत शासन कृषि मंत्रालय नई दिल्ली से प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) अंतर्गत मत्स्यपालन की योजनाएं क्रियान्वित हैं। इकाई लागत हेतु हितग्राही स्वयं के व्यय एवं बैंक ऋण ले सकता है। भारत सरकार द्वारा योजना स्वीकृति उपरांत ही अनुसूचित जाति/जनजाति वर्ग तथा महिला हितग्राहियों को 60 एवं सामान्य वर्ग हितग्राहियों को 40 अनुदान देय है।
*पुनःपरिसंचरणीय जलकृषि की प्रणाली (RAS):-* योजना अंतर्गत (RAS) की स्थापना हेतु हितग्राही को स्वयं की भूमि पर निर्मित कराने होंगे जिसमें पानी, बिजली, पानी के शुद्धिकरण की समुचित व्यवस्था होना आवश्यक है। 8 टैंक (Large RAS) 90 घन मीटर/टैंक, जिससे 40 टन/मत्स्य उत्पादन अपेक्षित है। निर्माण लागत रू. 50.00 लाख प्रावधानित है। एक व्यक्ति को अधिकतम 2 इकाई। 6 टैंक (Medium RAS) 30 घन मीटर/टैंक, जिससे 10 टन/मत्स्य उत्पादन अपेक्षित है। निर्माण लागत रू. 25.00 लाख प्रावधानित है। एक व्यक्ति को अधिकतम 3 इकाई।
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