झाबुआ – मध्यप्रदेश के अंतिम छोर पर बसे ग्राम पिटोल मे पिटोल बैरियर पर ऐसा लगता है मानो दलालों का कब्जा नजर आ रहा है जहां दलालों द्वारा आने वाले वाहन चालकों से मनमानी अवैध वसूली इंट्री के नाम पर ली जा रही है । जहां एक ओर दलाल नितिन द्वारा गुंडागर्दी , दादागिरी के माध्यम से अवैध इंट्री वसूली जा रही है वहीं दलाल लाला या लच्छू द्वारा बिना परमिट के वाहनों को निकाला जा रहा है और अपनी जेबें गर्म की जा रही है और मात्र कुछ ही वर्षों में दोनों दलाल रोडपति से करोड़पति बन गये हैं ।
यदि हम बात करें दलाल नितिन की तो हमने पूर्व खबरों में बताया कि किस तरह यह दलाल ट्रक चालकों से अवैध एंट्री की वसूली कर अपनी जेबें गर्म कर रहे हैं । जिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन को सारी जानकारी होने के बाद भी इस दलाल पर कोई कार्यवाही ना होना यह समझ से परे है अब यह जानकारी निकालने का प्रयास किया जा रहा है कि कहीं इस दलाल के पुलिस विभाग में किसी कर्मचारी के साथ कोई रिश्ता तो नहीं है या फिर किसी राजनीतिक संगठन के साथ इसके कोई संबंध तो नहीं है ..।।।या फिर पिटोल बैरियर पर उपस्थित सभी कर्मचारियों की सहमति से यह उगाही की जा रही है । इसके अलावा यह जानकारी निकालने का भी प्रयास किया जा रहा है कि किन किन स्तोत्रों के माध्यम से इस दलाल ने कुछ ही वर्षों में काफी तेज विकास किया और रोडपति से करोड़पति बन गया ।
यदि हम बात करें दूसरा दलाल लाला या लच्छू के बारे में तो यह दलाल प्रदेश का बाहर का रहने वाला है। अन्य राज्यों से आने वाली विभिन्न बसे जो पिटोल बैरियर से होकर गुजरती है और जिनके पास परमिट नहीं है या फिर दस्तावेज उपलब्ध नहीं है उन वाहनों को इस इस पिटोल बैरियर से गुजरने के लिए दलाल लाल या लच्छू द्वारा एंट्री के नाम पर वसूली की जाती है यह इस तरह की बसों का यहां से निकलना और एंट्री देकर निकलना तक ही सीमित है । तो ठीक है अन्यथा यदि हम हमारी सोच को थोड़ा सा टेढ़ी नजर से देखें तो बिना परमिट और बिना दस्तावेज की बसे , अन्य राज्यों की बात ना करें लेकिन इस पिट़ोल बैरियर से बिना किसी चेकिंग के गुजर रही है साथ ही यदि इन बसों में कोई अवैध व्यापार या सामान मध्यप्रदेश में आ रहा है जैसे कि नशीले पदार्थ :- ड्रग्स ,अफीम, गांजा आदि अनेक इन बसों के माध्यम से जिले में आ रहे हैं त़ो यह बहुत बड़ा एक तस्करी का मामला हो सकता है ऐसी प्रबल संभावना है । वहीं यदि इन बिना परमिट की बसों के माध्यम से यदि अवैध रूप से हथियार की तस्करी भी कर रहे है तो भी यह मामला संगीन हो सकता है । इस तरह के अवैध धंधों के लिए इस तरह की अवैध बसें का ही उपयोग किया जाता है जिन्हें बैरियर से गुजरने के लिए एक निश्चित राशि इंट्री के नाम पर देकर छोड़ा जाता है क्योंकि इस तरह के अवैध कामों के लिए ट्रेन रूट इसलिए सही नहीं है क्योंकि कई बार स्टेशन पर और ट्रेनों में पुलिस द्वारा चेकिंग की जाती है लेकिन इन बसों में न कहीं भी चेकिंग नहीं होती है और न तो माल देने वाले का कोई रिकॉर्ड होता है ना ही कोई आधार कार्ड लिया जाता है और ना ही माल लेने वाले का ,मात्र बक्सा देने वाले से ड्राइवर , कंडक्टर द्वारा राशि लेकर संबंधित व्यक्ति तक वह बक्सा पहुंचा दिया जाता है जिसकी संभवत कहीं भी चेकिंग नहीं होती है इसलिए अवैध कामो के लिए यह अवैध बसे सबसे उपयुक्त होती है । यह भी पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है कि इन दोनों को दलालों को कौन बचाने का प्रयास कर रहा है । आओ पता लगाएं इन दोनों दलालों को किस का संरक्षण प्राप्त है जो बिना किसी रोक-टोक के या डर के , बेखौफ होकर वसूली कर रहे हैं….?
शासन प्रशासन इस ओर ध्यान देकर इस तरह की दलाली प्रथा पर रोक लगाने की कोई कार्यवाही करेगा या फिर किसी बड़ी घटना के घटित होने का इंतजार करेगा और तब तक यह दलाली यूं ही एंट्री वसूली के नाम पर जेबे भरते रहेंगे और करोड़पति से अरबपति बनते रहेंगे….?
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