झाबुआ – मध्यप्रदेश के अंतिम छोर पर बसे ग्राम पिटोल पर अंतर प्रांतीय पिटोल बैरियर पर अब भी बिना परमिट या अस्थाई परमिट पर , स्लीपर कोच बसों का आवागमन जारी है । इन बसों के आवागमन पर यदि सतत चेकिंग अभियान चला जाए , तो शासन को लाखों /करोड़ों रुपए का राजस्व प्राप्त हो सकता है लेकिन बेरियर पर बैठे अधिकारी कर्मचारी.की लचीली कार्यप्रणाली के कारण यह बस संचालक मनमाने रूप में अपने वाहनों का संचालन कर रहे हैं और बिना बिल के लाखों रुपए का माल एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश तक पहुंचा रहे हैं।
बिना परमिट या अस्थाई परमिट पर स्लीपर कोच बसे पिटोल बेरियर के रास्ते एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश तक आवागमन जारी है इन बसों में कई बार ओवरलोड या क्षमता से अधिक माल लादकर बसों का संचालन हो रहा है अंतर प्रांतीय बसों में कई बार माल को लेकर यदि चेकिंग अभियान चलाया जाए , तो संभवत माल के अनुरूप बिल भी नहीं होगा तथा किसी भी प्रकार का माल से संबंधित कोई जानकारी भी उपलब्ध नहीं होगी । इन बसों में सिर्फ माल बुकिंग कर , राशि ली जाती है और गंतव्य तक पहुंचा दी जाती है । इन बक्सों में क्या होता है इसकी जानकारी भी बस संचालक को तो होती है और इसी के अनुरूप यह राशि ली जाती है इस तरह बैरियर पर भी कोई चेकिंग नहीं की जाती है या फिर सारा मामला सेटिंग के साथ जारी रहता है विगत दिनो ही कलेक्टर श्री सोमेश मिश्रा के निर्देशानुसार परिवहन विभाग द्वारा चेकंपोस्ट पिटोल पर ओवरलोड बसों की सघन चैकिंग की गई। चैकिंग के दौरान रात्रि 10 बजे सूरत से कानपुर जा रही तीन बसे कमल बस , वैष्णों बस , शताब्दी बस पर चैकिंग के दौरान बस के ऊपर क्षमता से अधिक माल लादने पर सामान जप्त कर चलानी कार्यवाही की गई। इसके अतिरिक्त अन्य वाहनों पर मोटर व्हीकल एक्ट के तहत कार्यवाही कर 53000 जुर्माना वसूला गया। कलेक्टर के निर्देशानुसार एक ही दिन मे ,चंद घंटों में ही शासन ने चेकिंग अभियान में हजारों रुपए के राजस्व वसूली की । जो यह दर्शाता है कि यदि लगातार चेकिंग जारी रहे तो शासन को लाखों का राजस्व प्राप्त हो सकता है वही चैकिंग के दौरान परिवहन उप निरीक्षक चेतन शिंदे एवं आरक्षक कौशल द्विवेदी द्वारा यह कार्रवाई की गई हैं । जबकि चेकिंग के नाम पर सिर्फ कागजी खानापूर्ति के अलावा कुछ भी नहीं है जो कि संभवत वर्षों से यह बसों का आवागमन इसी रूट से जारी है और मात्र एक दिन कार्रवाई करके यह अधिकारी क्या दर्शाना चाहते हैं यह जांच का विषय है …। इसके अलावा पूर्व में भी मेघनगर में आरटीओ द्वारा स्लीपर कोच बस को रोक कर कार्रवाई की गई थी । कई बार इन बसों पर ओवरलोड माल होने से यह समझना मुश्किल हो जाता है कि यह बसें यात्रियों के लिए चल रही है या फिर माल ढोने के लिए …..। इन तथ्यों के आधार पर यह समझा जा सकता है कि किस तरह पिटोल बैरियर पर स्लीपर कोच बसों को बिना रोक-टोक के आवागमन की सुविधा दी जा रही है और यह सुविधा कयो दी जा रही है यह जांच का विषय है जबकि इन बसों में क्षमता से अधिक माल ओवरलोड होने की स्थिति में , यदि माल की चेकिंग की जाए , तो इनके पास जीएसटी पैड का बिल उपलब्ध नहीं होगा । जिससे एक राज्य से दूसरे राज्य माल पहुचाने के साथ शासन को लाखों रुपए का रोजाना जीएसटी का भी नुकसान हो रहा है । यह भी जांच का विषय है इसके अलावा यह भी जांच का विषय है कि कहीं इन्ही बसों में एक प्रांत से दूसरे प्रांत तक नशीले पदार्थों का तो नहीं पहुंचाया जा रहा है । इस तरह के अनेक प्रश्नों के उत्तर के अलावा या फिर यूं कहें कि सेटिंग के आड़ में यह सारा खेल लगातार बैरियर पर पदस्थ अधिकारी और कर्मचारी द्वारा खेला जा रहा है । क्या शासन प्रशासन इस ओर ध्यान देकर इस पिटोल बेरियर पर स्लीपर कोच बसों को दी जा रही सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए सघन चेकिंग अभियान चलाएगा या फिर यह सारा खेल यूं ही चलता रहेगा….?
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