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झाबुआ

श्री शाश्वती नवपद ओलीजी की आराधना के समापन पर जैन सोश्यल ग्रुप ‘मैत्री’ झाबुआ ने किया पारणे का आयोजन, तपस्वियों का बहुमान कर प्रभावना का किया वितरण

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झाबुआ। जैन तीर्थ श्री ऋषभदेव बावन जिनालय मे चल रहीं 9 दिवसीय श्री शाष्वती नवपदजी औलीजी की की आराधना 21 अक्टूबर, गुरूवार को पूर्ण हुई। समापन पर सभी तपस्वियों के पारणे करवाने का लाभ जैन सोशयल ग्रुप ‘मैत्री’ झाबुआ ने लिया। इस अवसर पर तपस्वियो का बहुमान भी किया गया।
जानकारी देते हुए जेएसजी ‘मैत्री’ अध्यक्ष पंकज कोठारी व.सचिव समकित भंडारी ने बताया कि नौ दिवसीय नवपदजी की  आराधना में सभी तपस्वियो ने प्रतिदिन के अनुसार अरिहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय, साधु-साध्वी, सम्यक दर्शन, सम्यक ज्ञान, सम्यक चारित्र और तप पद की विधि और श्रद्धा के साथ आराधना की। सभी तपस्वियों ने तपस्या का उत्साहपूर्वक भाग लिया और नौ दिवसीय आराधना कर अपने तन-मन और आत्मा की शुद्धि कर निर्मल बनाया। आराधकों ने प्रतिदिन के अनुसार निर्धारित क्रियाएं पूर्ण की। तपस्वया मे बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाओं ने भाग लिया।


मुनिराजद्वय का आशीर्वाद प्राप्त किया
उक्त आराधना मालव रत्न मुनिरातज श्री रजतचन्द्र विजयजी एवं मुनि श्री जीतचंद्र विजयजी मसा की पावन निश्रा में संपन्न हुई। सुबह 9 बजे सभी तपस्वियो ने मुनिद्वय के दर्शन कर आर्षीवाद प्राप्त किया। इस अवसर पर मुनि श्री ने कहा कि नवपद ओलीजी की आराधना समाप्त नहीं होनी चाहिए। इसका क्रम निरंतर जारी रहना चाहिए चाहिए। हमे रोजाना सुबह नवपद की माला गिननी चाहिए। जिस प्रकार हम पौधे को पानी देकर सींचते है। उसी प्रकार हमको जप और तप से इस नवपद की आराधना करना चाहिए। मुनि श्री में एक कहानी सुनाते हुए भी नवपदजी की आराधना के महत्व पर प्रकाश डाला। मुनिराज ने कहा कि हमे भोगों के पीछे हमें नहीं भागना चाहिए। भोगों में आषक्त होकर हमें तप, आराधना को भूलना नहीं चाहिए। वर्धमान ओलीजी तप के माध्यम से हम तीर्थंकर नाम-कर्म का बंधन कर सकते हैं। मुनिराज ने सभी मांगलिक का श्रावण भी करवाया।
पारणे का हुआ आयोजन
बाद सभी आराधको के पारणे का आयोजन हुआ। जिसका संपूर्ण लाभ जैन सोशयल गुप ‘मैत्री’ की टीम ने लिया एवं परोसागारी तथा व्यवस्था में संस्था के सभी पदाधिकारी-सदस्यो ने पूर्ण सहयोग प्रदान किया। संस्था अध्यक्ष पंकज कोठारी ने भी नवपद ओलीजी की आराधना की। आराधना करने वालों में सकल जैन संघ के श्रावक-श्राविकाएं सम्मिलित रहे। जिनकी समाजजनो ने साता पूछते हुए ,उनके तपस्या की खूब अनुमोदना की तथा उन्हें अपने हाथों से पारण करवाने का भी लाभ लिया। समापन पर तपस्वियो का बहुमान एवं प्रभावना वितरण का लाभ श्रीमती बसंती जैन, दिनेशकुमार जैन ‘ऋषभ मेडिकल’ परिवार ने लिया।  

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