झाबुआ – जिले में धीरे धीरे कानून व्यवस्था ध्वस्त होती हुई नजर आ रही है जिले में एक के बाद एक चोरी की वारदातें लगातार हो रही है जिले के पेटलावद ,बामनिया , करवड आदि स्थानों पर चोरों ने सुने घर को निशाना बनाते हुए चोरी की वारदात को अंजाम दिया । पुलिस जांच तक ही सीमित नजर आ रही है । साथ ही साथ जिले में दो पहिया वाहन चोरी की वारदातें भी लगातार बढ़ रही है पुलिस की निष्क्रियता और चोरों की सक्रियता के कारण आम जनों में चोरी को लेकर भय बढ़ता जा रहा है । लोग डरे हुए हैं और सहमे हुए भी हैं । इसके अलावा जिले में अवैध शराब का कारोबार दिन दुगुनी रात चोगनी की तर्ज पर बढ़ता हुआ नजर आ रहा है यह जरूर है कि अवैध शराब विक्रय को लेकर आबकारी विभाग का दायित्व है लेकिन बिना पुलिस की रजामंदी के यह अवैध व्यापार संभव नहीं है । अब तो जिले के गांव गांव फलियों फलियों में यह किराना की दुकान पर अवैध शराब का विक्रय जोरों पर चल रहा है लेकिन पुलिस सिर्फ देख रही है । इसके अलावा सटोरियों के लिए तो झाबुआ स्वर्ग बना हुआ है जिले में सटोरियों ने भी चौतरफा विकास किया है । जिले के शहर के गली ,मोहल्ला और चौराहों पर यह सटोरिए आसानी से दिखाई देते हैं । लेकिन पुलिस को यह सटोरिए नजर हीं नही आते हैं हां यह जरूर है कि कागजी खानापूर्ति हेतु पुलिस कुछ सटोरियों पर कार्रवाई करती है और उसके बाद स्थिति यथावत हो जाती है कई सटोरिया तो राजनीतिक संरक्षण का हवाला देते हुए सट्टा संचालित कर रहे हैं तो कुछ सटोरिया भाजपा या संघ का कार्यकर्ता होने का दावा कर , उसके परिवार का सदस्य सट्टा पर्ची लेते हुए आसानी से नजर आ रहा है । सत्तारूढ़ पार्टी के कार्यकर्ता होने का फायदा उठाकर, कुछ सटोरिया लगातार नव युवकों को इस जाल में फंसा रहे हैं और उनके भविष्य से खिलवाड़ कर रहे हैं । इसके अलावा यदि अवैध सट्टे को लेकर यदि शिकायत भी की जाती है तो कार्रवाई के पहले इन सटोरियों पर सूचना पहुंच जाती है और यह आसानी से गायब हो जाते हैं और पुलिस इनको ढूंढने का बहाना बनाकर इतिश्री कर लेती है पुलिस की लचीली कार्यप्रणाली के कारण ही आज सटोरियों ने हौसले बुलंद होते जा रहे हैं और अब तो यह सटोरिए नए-नए नवयुवकों को अवैध सट्टे के कारोबार का लालच देकर काम करवा रहे हैं है और अपने आपको समाजसेवी या भाजपा कार्यकर्ता बताने में से भी नहीं हिचकीचा रहे । यदि हम इसके अलावा जिले में किसी भी आमजन के साथ कोई घटना , दुर्घटना, हादसा या अन्य कोई वारदात हो जाती है तो पुलिस दारा एफ.आई.आर दर्ज नहीं की जाती है पुलिस द्वारा उसे आवेदन देने को कहा जाता है और उसके बाद जांच होती है और जांच के बाद कार्रवाई …….? और अब यह जांच कब पूरी होगी और कब कार्रवाई होगी यह तो आवेदक को भी पता नहीं होता है ….? इस तरह के कई आवेदन पुलिस की टेबल पर ही दम तोड़ देते हैं । यदि जान से मार देने की धमकी के शिकायती आवेदन पर भी पुलिस सक्रिय रूप से कोई कारवाई नहीं करती है सिर्फ आवेदन लेकर इतिश्री की जाती हैं और आवेदक को कहा जाता है कि जांच चल रही है पुलिस द्वारा आवेदक के आवेदन अनुसार संबंधित से पूछताछ तक करना उचित नहीं समझती । मात्र आवेदन लेकर इतिश्री कर लेती है जबकि इसी बीच यदि उसके साथ कोई हादसा हो जाता है तो इसके लिए जिम्मेदार कौन होगा …यह जांच का विषय है….।?
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