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मां होना दुनिया के सबसे बड़े खजाने के होने जैसा है- डा. मंगलेश्वरी जोशी ईश्वरम्मा दिवस पर सत्यसाई समिति ने दो स्थानों पर की नारायण सेवा

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बाल विकास के बच्चों ने दी आकर्षक भजनों की प्रस्तुति, उतारी महामंगल आरती

रतलाम । दुनिया में सबसे ऊंचा दर्जा मां का होता है। वैसे तो मां के सम्मान में हर दिन कम है, लेकिन फिर भी हम हर साल 6 मई को भगवान श्री सत्यसाई बाबा की माता ईश्वरम्माजी के निर्वाण दिवस को ईश्वरम्मा दिवस के रूप में मनाते है। हमारे जीवन में मां के योगदान का कोई मूल्य नहीं है। मां को विश्व की सबसे बडी गुरू माना जाता है, । मां के लिये शास्त्रों में भी सबसे बडी गुरू का दर्जा दिया हुआ है । इसी लिये कहा भी गया है हमारे जीवन में चार गुरू होते है’’ मातृ देवो भव, पितृदेवो भव, आचार्य देवो भव तथा अतिथि देवों भव’’ । मां अपने आशीर्वाद के साथ ईश्वरम्मा की तरह के हम सभी का सरंक्षण एवं पोषण करती है। माता हमे चाहे साधारण लगे किन्तु उसका महत्व देवतुल्य होता है। मां की आज्ञा का पालन करना ही सबसे पुनित कर्तव्य होता हेै । श्री सत्यसाई बाबा ने भी अपनी मां का आदेश जीवन भर निभाया और पुट्टपर्ती में ही रह कर समुचे विश्व में मां की महत्ता को बताया है। उन्होने मां के सभी वचनो का पालन किया । पुट्टपर्ती में रह कर उनके द्वारा मां की इ्रच्छा को शिरोधार्य करके वहां विश्व स्तरीय हास्पीटल, विश्व विद्यालय, स्थापित किया । हमे जन्म लेते है तो हिरे-जवाहरात, वस्त्र पहिन कर नही आते । मां के गर्भ से ही तेज पुंज लेकर अपने कर्मो के माध्यम से धरती पर आते है । बाबा कहते है कि कभी भी ऐसा व्यवहार नही करे जिससे किसी के हृदय को आघात पहूंचें । मां ही वह महान हस्ती है जो बच्चों के भविष्य के निर्माण करती है । मां होना दुनिया के सबसे बड़े खजाने के होने जैसा है। यदि किसी के पास मां है तो उसके पास सब कुछ है, अगर मां नहीं है तो वह सबसे गरीब है।, हम सबके जीवन में मां की इतनी संवेदनाएं जुड़ी होती हैं कि उनके बिना हम बिल्कुल खोखले हो जाएंगे। हमारी इच्छाएं, आदतें, शौक, मिजाज और ख्वाब सब मां का ही दिया हुआ है। मां की ममता, करुणा और समर्पण के कारण ही हम जीवन में एक इंसान कहे जाने के योग्य बन पाते हैं। मां माटी से बनी देह में भावों का गहना पहनाती है। उठने-बैठने और चलने का सलीका सिखाती है। मां ही है जो हमारे भीतर आई निर्दयता निर्मलता को बाहर निकाल हमें मनुष्यता के सांचे में ढालती है। इसलिए मां दुनिया का सबसे बेशकीमती खजाना है। उक्त सरगर्भित उदबोधन ईश्वरम्मा दिवस के अवसर पर रेल्वे कालोनी स्थित श्री सत्यसाई मंदिर सत्यधाम मे उपस्थित बाल विकास के छात्र-छात्राओं , उपस्थित प्रबुद्धजनों एवं साई भक्तों को डा. मंगलेश्वरी जोशी ने देते हुए व्यक्त किये ।


श्री सत्यसाई सेवा समिति केे संदीप दलवी ने जानकारी देते हुए बताया कि समिति द्वारा ईश्वरम्मा सप्ताह के अन्तिम दिन 6 मई को समिति द्वारा निकटवर्ती गा्रम हरथली में प्रातः औंकारम सुप्रभातम के बाद नगर संकीर्तन का आयोजन किया गया तथा संगीतमय भजनों के साथ पूरे वातावरण को साईमय कर दिया । दोपहर में समिति द्वारा मानव सेवा माधव सेवा के तहत ईश प्रेम बस्ती में जाकर कुष्ठ रोग से पीडितों के बीच जाकर उन्हे श्री सत्यसाई सेवा समिति झाबुआ के सौजन्य से नारायण सेवा के तहत सम्मान पूर्वक भाजन करवाया गया । वही निर्मला हाउस में में वहा निवासरत गरीब़ों के बीच जाकर नारायण सेवा के तहत भोजन करवाया गया । 130 से अधिक लोगों को नारायण सेवा के माध्यम से भोजन कराया गया । वही महिला एंव शिशु स्वाथ्य चिकित्सालय में प्याउ के माध्यम से 1100 से अधिक लोेगों को आरओ का शीतल जल पीलाने की सेवा की गई ।
सांयकाल श्री सत्यधाम पर बाल विकास के बच्चों द्वारा नाम संकीर्तन में भजनों की प्रस्तुति दी गई तथा बाल विकास के बच्चों ने महा मंगल आरती उतारी । इसके पूर्व गिरीश गौड के करकमलो से बाल विकास के बच्चों को पुरस्कृत किया गया । समिति की सक्रिय सदस्या श्रीमती शिल्पा (अलका)विंचुरकर के असामयिकनिधन पर उन्हे दो मिनट का मौन रख कर श्रद्धांजंलि अर्पित की गई । सप्ताह भर समिति द्वारा प्रतिदिन आध्यात्मिक एवं सेवा गतिविधिया की जाकर सप्ताह को ’मानव सेवा माधव सेवा तथा जीव सेवा शिव सेवा के रूप में मनाया गया । विभूति एवं प्रसादी वितरण के साथ सप्ताह का समापन किया गया ।
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