Connect with us

अलीराजपुर

मध्यप्रदेश शासन, संस्ति विभाग द्वारा जिला प्रशासन के सहयोग से होगी 89 जनजातीय ब्लकों में वनवासी लीलाओं की प्रस्तुतियां ।

Published

on

अलीराजपुर से ब्यूरो चीफ नयन टवली की खबर ✍️


11 एवं 12 मई को जोबट में नाट्य प्रस्तुति का आयोजन होगा


अलीराजपुर, 10 मई 2022 – माननीय मुख्यमंत्री जी की घोषणा के परिपालन में मध्यप्रदेश शासन, संस्ति विभाग द्वारा तैयार रामकथा साहित्य में वर्णित वनवासी चरितों पर आधारित ष्वनवासी लीलाओंष् क्रमशः भक्तिमती शबरी और निषादराज गुह्य की प्रस्तुतियां जिला प्रशासन के सहयोग से प्रदेश के 89 जनजातीय ब्लकों में होंगी। इस क्रम में जिला प्रशासन अलीराजपुर के सहयोग से दो दिवसीय वनवासी लीलाओं की प्रस्तुतियां आयोजित की जा रही हैं। प्रस्तुतियों की श्रृंखला में सर्वप्रथम 11 मई, 2022 शासकीय उत्ष्ट बालक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, जोबट जिला अलीराजपुर में सुश्री कीर्ति प्रमाणिक – उज्जैन द्वारा वनवासी लीला नाट्य भक्तिमती शबरी एवं 12 मई, 2022 को श्री विशाल कुशवाहा – उज्जैन द्वारा निषादराज गुह्य की प्रस्तुति दी जा रही है। साथ ही 12 एवं 13 मई, 2022 को टाउन हल, बस स्टैंड के पास, भाभरा (चंद्रशेखर आजाद नगर), जिला अलीराजपुर में, 13 एवं 14 मई, 2022 को शासकीय उत्ष्ट विद्यालय, उदयगढ़,  जिला अलीराजपुर में लीलाओं की प्रस्तुति दी जायेंगी। इन दोनों ही प्रस्तुति का आलेख श्री योगेश त्रिपाठी एवं संगीत संयोजन श्री मिलिन्द त्रिवेदी द्वारा किया गया है। यह दो दिवसीय कार्यक्रम प्रतिदिन सायं 7.30 बजे से आयोजित किया जा रहा है।

लीला की कथाएं- 
अलीराजपुर – वनवासी लीला नाट्य भक्तिमति शबरी कथा में बताया कि पिछले जन्म में माता शबरी एक रानी थीं, जो भक्ति करना चाहती थीं लेकिन माता शबरी को राजा भक्ति करने से मना कर देते हैं। तब शबरी मां गंगा से अगले जन्म भक्ति करने की बात कहकर गंगा में डूब कर अपने प्राण त्याग देती हैं।  अगले श्य में शबरी का दूसरा जन्म होता है और गंगा किनारे गिरि वन में बसे भील समुदाय को शबरी गंगा से मिलती हैं। भील समुदाय़ शबरी का लालन-पालन करते हैं और शबरी युवावस्था में आती हैं तो उनका विवाह करने का प्रयोजन किया जाता है लेकिन अपने विवाह में जानवरों की बलि देने का विरोध करते हुए, वे घर छोड़ कर घूमते हुए मतंग ऋषि के आश्रम में पहुंचती हैं, जहां ऋषि मतंग माता शबरी को दीक्षा देते हैं। आश्रम में कई कपि भी रहते हैं जो माता शबरी का अपमान करते हैं। अत्यधिक वृद्धावस्था होने के कारण मतंग ऋषि माता शबरी से कहते हैं कि इस जन्म में मुझे तो भगवान राम के दर्शन नहीं हुए, लेकिन तुम जरूर इंतजार करना भगवान जरूर दर्शन देंगे। लीला के अगले श्य में गिद्धराज मिलाप, कबंद्धा सुर संवाद, भगवान राम एवं माता शबरी मिलाप प्रसंग मंचित किए गए। भगवान राम एवं माता शबरी मिलाप प्रसंग में भगवान राम माता शबरी को नवधा भक्ति कथा सुनाते हैं और शबरी उन्हें माता सीता तक पहुंचने वाले मार्ग के बारे में बताती हैं। लीला नाट्य के अगले श्य में शबरी समाधि ले लेती हैं। वनवासी लीला नाट्य निषादराज गुह्य की प्रस्तुति दी गई। प्रस्तुति की शुरूआत में बताया कि भगवान राम ने वन यात्रा में निषादराज से भेंट की। भगवान राम से निषाद अपने राज्य जाने के लिए कहते हैं लेकिन भगवान राम वनवास में 14 वर्ष बिताने की बात कहकर राज्य जाने से मना कर देते हैं। आगे के श्य गंगा तट पर भगवान राम केवट से गंगा पार पहुंचाने का आग्रह करते हैं लेकिन केवट बिना पांव पखारे उन्हें नाव पर बैठाने से इंकार कर देता है। केवट की प्रेम वाणी सुन, आज्ञा पाकर गंगाजल से केवट पांव पखारते हैं। नदी पार उतारने पर केवट राम से उतराई लेने से इंकार कर देते हैं। कहते हैं कि हे प्रभु हम एक जात के हैं मैं गंगा पार कराता हूं और आप भवसागर से पार कराते हैं इसलिए उतरवाई नहीं लूंगा। लीला के अगले श्यों में भगवान राम चित्रकूट होते हुए पंचवटी पहुंचते हैं। सूत्रधार के माध्यम से कथा आगे बढ़ती है। रावण वध के बाद श्री राम अयोध्या लौटते हैं और उनका राज्याभिषेक होता है। लीला नाट्य में श्री राम और वनवासियों के परस्पर सम्बन्ध को उजागर किया गया।

देश दुनिया की ताजा खबरे सबसे पहले पाने के लिए लाइक करे प्रादेशिक जन समाचार फेसबुक पेज

प्रादेशिक जन समाचार स्वतंत्र पत्रकारिता के लिए मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा मंच है यहाँ विभिन्न टीवी चैनेलो और समाचार पत्रों में कार्यरत पत्रकार अपनी प्रमुख खबरे प्रकाशन हेतु प्रेषित करते है।

Advertisement

Subscribe Youtube

Advertisement

सेंसेक्स

Trending

कॉपीराइट © 2021. प्रादेशिक जन समाचार

error: Content is protected !!