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झाबुआ

प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारीयों की मिली भगत से चला रहा था कारखाना

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अवैध रूप से चल रहा केमीकल कारखाना सील
प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारीयों की मिली भगत से चला रहा था कारखाना
एंकरवाईसः औद्योगिक क्षेत्र में संचालित सेफफाईन केमिलक फैक्ट्ी को अवैध कारोबार करोबार करने के आरोप में एसडीएम प्रीति संघवी ने बुधवार दोपहर को सील करा दिया। औद्योगिक क्षेत्र में बड़े पैमाने पर केमिकल के कारखाने संचालित हो रहे है जिनमें से कई कारखानों के पास जरूरी दस्तावेज और केमिकल उत्पादन के संसाधन भी नहीं है लिहाजा यहां के लोगों को प्रदुषण के कारण भारी परेषानी का सामना भी करना पड़ता है। कई बार प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड को षिकायत करने के बाद भी कार्यवाही नहीं हुई। बुधवार को एसडीएम प्रीति संघवी ने दल-बल के साथ चालू केमिकल के कारखाने को सील किया।
औद्योगिक क्षेत्र में प्रदषित पानी और बदबुदार गैस के रिसाव की समस्या मेघनगर में पिछले तीन सालों से बनी हुई है। कई केमिकल के कारखानों के पास ट्ीटमेंट प्लाट नहीं है और ना ही एकेवीएन के पास कोई कॉमन ट्ीटमेंट प्लांट है जिससे प्रदुषित पानी को जमीन के जाने से रोका जा सके। केमीकल कारखानों की लडाई-लड़ने वाले और बार-बार केमिलक कारखानों की षिकायत करने के चलते गोपाल गुजराती को जेल भी जाना पड़ा था। भाजपा की सरकार के समय कांग्रेस के बड़े नेताओं ने इन केमिकल कारखानों से यहां के लोगों को बचाने के लिए जीवन बचाओं आन्दोलन भी किया था। प्रदुषण से परेषान लोगों हिंसक भी हुये और तोड़फोड़ भी की इस मामले में भी पुलिस ने राजनैतिक दबाव के चलते सैकड़ों अज्ञात लोगों के साथ केवल गोपाल गुजराती को ही आरोपी बनाया जिसके चलते वे आज भी इस मामले को लेकर कानुनी लड़ाई लड़ रहे हैं। सेपफाईन कारखाने से एसडीएम को बिना जीएसटी वाले कई बिल भी मिले जिससे प्रमाणित होता है कि कारखाना चालू हालत था और यहां उत्पादित केमिकल का व्यापार बिना जीएसटी के किया जा कर सरकार को राजस्व का करोड़ों का नुकसान पहुॅचाया जा रहा था। अब यह प्रषासन के लिए जांच का विषय है की इतने समय से बिना यह कारखाना संचालित हो रहा था और कितने की राजस्व चोरी हुई। प्रदुषण फैलाने और लोगों को भड़काने के लिए पब्लिक इनोसेंस की धारा 131 के तहत् भी प्रषासन इस कारखाने पर कार्यवाही कर सकता है। प्रदेष में सरकार बदलते ही मेघनगर औद्योगिक क्षेत्र में केमिकल कारखाने पर कार्यवाही होना चर्चा का विषय बनता जा रहा है क्योकि औद्योगिक संगठन के अध्यक्ष पद पर भाजपा के जिला महामंत्री प्रफुल्ल गादिया काबिज है। कांग्रेसी नेताओं के अनुसार भाजपा की सरकार में कथित अवैध करोबार करने वाले कारखानों को कहीं ना कहीं राजनैतिक संरक्षण भी मिलता रहा लिहाजा प्रषासन भी दबाव में ऐसे कारखानों पर कार्यवाही करने से बचता रहा। इधर वर्तमान निर्वाचित विधायक ने अपने चुनावी वादों में नगर से औद्योगिक प्रदुषण दुर करने की बात भी यहां की जनता से कहीं थी।
कारखाने के तीन दरवाजे : सेपफाईन के तीन दरवाजे है। वेयर हाउस के सामने वाला दरवाजा हमेषा बंद रहता था जो जर्जर और टुटी-फुटी अवस्था में है। उक्त दरवाजे को एसडीएम ने सील किया जबकि कारखाने के पीछे दो अन्य बड़े-बड़े दरवाजे है जहां से टैंकरों से केमिकल की सप्लाई होती है। कारखाने के पीछे के दरवाजों और कार्यालयों को सील नहीं किया गया। कारखाने की भीतर बनी झुग्गीयों में मजदूर रहते है जो कार्यवाही के बाद भांग गये थे किंतु अधिकारियों के जाने के बाद पुनः कारखाने में आ गये। उक्त कारखाने में सैकड़ों टन लकड़िया भी भट्टी या बायलर चलना के लिए रखी गई थी। कार्यवाही के दौरान तहसीलदार राजेष सोरते, खाद्य अधिकारी जीएस डामारे, आरआई , पटवारी एवं पुलिस विभाग के अधिकारी मौजूद थे। कार्यवाही के बाद कारखाने में लौटे कर्मचारियों ने कारखाने को बंद भी

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