झाबुआ से राजेंद्र सोनी की रिपोर्ट
शिवरात्री पर पूरातन काल से पुष्टिमार्गीय वैष्णव संप्रदाय मे चल रही परंपरा- दिव्येश कुमार जी महाराज
कीर्तन करते हुए महिलाओं एवं श्रद्धालुजन गाजे बाजे के साथ पहूंचे शिवजी के दरबार में ।
झाबुआ । श्री पुटिमार्गीय वैषणव संप्रदाय की पुरातन पंरम्परानुसार नगर के मध्य स्थित श्री गोवर्धननाथ जी की हवेली मे विग्रह स्वरूप में बिराजित पूर्ण पुरूषोत्तम भगवान श्री गोवर्धननाथ श्रीकृष्ण के प्रसाद का आग्रह भगवान शिवजी जो स्वयं भी परम वैषणव माने गये है, को लेकर शिवरात्री के पावन अवसर पर सोमवार रात्री में हवेली से बडी संख्या में श्रद्धालुओं एवं जमुना महिला मंडल की सदस्याओं ने ढोल ढमाकों के साथ जुलुस के रूप में मंदिर के पूजारी आचार्य दिलीप के नेतृत्व में हाथ मे माला लेकर छोटा तालाब स्थित श्री मनकामेवर महादेव मंदिर में जाकर पूर्ण पुरूषोत्तम भगवान गोवर्धननाथ की प्रसादी उनके आग्रहानुसार अर्पित की तथा रंग, गुलाल,पुषप एवं अबीर चढा कर भगवान भोलेनाथ के साथ होली खेलने की रसम अदा की । इस पूरातन पंरपरा के बारे में जानकारी देते हुए श्री वल्लभ पुषटीमार्गीय पीठ के पीठाधी गोस्वामी 108 श्री दिव्येश कुमार जी महाराज ने जानकारी देते हुए बताया कि भगवान शिवजी को परम वैषणव के रूप मे माना जाता है और उनका भी आग्रह रहता है कि पूर्ण पुरूषोत्तम भगवान श्रीकृष्ण का महा प्रसाद उन्हे भी प्राप्त हो । शिवरात्री के अवसर पर पर परम वैषणव होने के कारण भगवान गोवर्धननाथ जी के मंदिर से उनके लिये सम्मानपूर्वक प्रसादी श्रद्धालुजन हाथ मे माल लेकर बाजे गाजे के साथ जाते है और उन्हे प्रसादी अर्पित की जाती है । महाराजश्री के अनुसार यह परम्परा झाबुआ नगर मे पिछले 150 र्वाष से चल रही है । उन्होने यह भी जानकारी दी कि पूरे देश में जहां जहां गोवध्रननाथजी के मंदिर है वहां से भगवान भालेनाथ को शिवरात्री पर प्रसादी अर्पित की जाती है तथा उनके साथ फागोत्सव मनाकर रंग,गुलाल एवं अबीर आदि अर्पित किया जाता है।यह पूर्ण पुरूोत्तम की प्रसादी का आग्रह होने से पर्व के रूप् मे मनाया जाता है । वल्लभ संप्रदाय के बारे में उन्होने जानकारी देते हुए बताया कि वल्लभ सम्प्रदाय भक्ति का एक संप्रदाय, जिसकी स्थापना महाप्रभु वल्लभाचार्य ने की थी। इसे ’वल्लभ संप्रदाय’ या ’वल्लभ मत’ भी कहते हैं। चैतन्य महाप्रभु से भी पहले ’पुष्टिमार्ग’ के संस्थापक वल्लभाचार्य राधा की पूजा करते थे, जहां कुछ संप्रदायों के अनुसार, भक्तों की पहचान राधा की सहेलियों (सखी) के रूप में होती है, जिन्हें राधाकृष्ण के लिए अंतरंग व्यवस्था करने के लिए विशेषाधिकार प्राप्त होता है। अपने वैष्णव सहधर्मियों के साथ राधावल्लभी, भागवतपुराण के प्रति अपार श्रद्धा रखते हैं, लेकिन कुछ अंतरंगता जो राधा और गोपियों के साथ रिश्तों की परिधि के बाहर है, वह इस सम्प्रदाय के दर्शन में शामिल नहीं है। उन्होने बताया कि भगवान के अनुग्रह से जो भक्ति उत्पन्न होती है, वह पुष्टिभक्ति कहलाती है। ऐसा भक्त भगवान के स्वरूप दर्शन के अतिरिक्त और किसी वस्तु के लिए प्रार्थना नहीं करता। वह अपने आराध्य के प्रति सम्पूर्ण आत्मसमर्पण करता है। इसको प्रेमलक्षणा भक्ति भी कहते हैं। नारद ने इस भक्ति को कर्म, ज्ञान और योग से भी श्रेष्ठ बतलाया है। उनके अनुसार यह भक्ति साधन नहीं, स्वतः फलरूपा है। पुष्टिमार्ग की प्राचीनता प्रमाणित करने के लिए श्रुति को उद्धृत किया जाता है, जिसमें आत्मा की उपलब्धि केवल पा के द्वारा बतायी गयी है। कठोपनिषद में भी भगवान के प्रसाद से ही आत्मदर्शन सम्भव बताया गया है।
श्री गोवर्धननाथ मंदिर से रात्रीकाल में जुलुस के रूप में श्रद्धालुजनों में मंदिर के दिलीप आचार्य, अधिकारी ब्रजबल्लभ त्रिवेदी रमे त्रिवेदी, ट्रस्टी हरिश शाह, श्रीकिन माहेशवरी, जितेन्द्र शाह, गोकुले आचार्य, निरजंन चौहान, नारायण मालवीय, दीपक, मोहन माहेवरी, जीएस देवहरे, सुमनकांत वार्णेय, विजय अरोडास, राजेन्द्र अग्निहोत्री, राजेन्द्र सोनी, अंबरिश त्रिवेदी, रामकृण चौहान श्रीमती वेणुकांता आचार्य, विणा पंवार, विणा कटलाना, शिवकुमारी सोनी, विजिया भट्ट, इन्दू अरोडा, मंजु अरोडा सहित बडी संख्या मे श्रद्धालुजनों ने इसमे भागीदारी की । भगवान भोलेनाथ को पूर्ण पुरूषोत्तम श्रीकृष्ण की प्रसादी का उनके आग्रहानुसार अर्पित किया ।
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उमापति के दरबार में देश प्रेम की भावना से आच्छादित झांकी को निहारने पूरा नगर उमडा
महा आरती के साथ फलाहारी खिचडी एवं ठंडाई की प्रसादी का हुआ वितरण
झाबुआ । शिवरात्री के पावन अवसर पर विवेकानंद कालोनी स्थित भगवान श्री उमापति महादेव के मंदिर में रात्री 8 बजे महाआरती एवं प्रसादी वितरण का भव्य आयोजन किया गया । भगवान भोलेनाथ के मंदिर को दुल्हन की तरह सजाया गया तथा वर्तमान परिप्रेक्ष्य को ध्यान मे रखते हुए सर्वोदय कला मंडल के मनोज भाटी, आशा चतुर्वेदी, ओम प्रकाशशर्मा,जयेश पटेल, पियूष पटेल, मनीष वोरा, पण्डित प्रदीप भट्ट, मुकेश बैरागी, भरत पाटीदार , अभिजीत यादव, एवं सर्वोदय कला मंडल के सभी सदस्यों ने शिवरात्री पर देश प्रेम की भावना से ओतप्रोत मंदिर की सजावट कर एवं तिरंगे पुपों की झांकी बनाई । भगवान उमापति महादेव को तिरंगें भारत के मानचित्र में प्रतिस्थापित किया गया तथा मंदिर की दीवारों पर आर्काक तरिके से राट्रीय ध्वज लगा कर सजाया गया । गुब्बारों के अलावा रंग बिरंगी विद्युत साज सज्जा से पूरा मंदिर दुल्हन की तरह दिखाई दिया और सायंकाल 8 बजे ढोल नगाडो एवं बेंड बाजों के साथ हुई महाआरती में पूरा मंदिर खचाखच भर गया । आरती के बाद उमापति महोदव मंदिर समिति की और से सवा क्विंटल साबुदाना खिचडी एवं सवा क्विंटल दुध एवं मेवा आदि से मिश्रित ठंडाई का वितरण किया । इस अवसर पर सैकडो लोगों ने भगवान भोलेनाथ के दर्शन का लाभ उठाया । पूरा मंदिर ओम नमः शिवाय के गगनभेदी जयकारों से गुंज उठा । रात्री मे उमापति महिला मंडल की महिलाओं द्वारा संगीतमय भजनो के साथ महा जागरण का आयोजन किया ।
मंदिर की झांकी को निहारने के लिये नगर से बडी संख्या में श्रद्धालुओं का जमावडा हुआ तथा हर कोई झांकी को निहार कर देशप्रेम एवं शिवभक्ति की भावना से सराबोर हो गया ।
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