झाबुआ से राजेंद्र सोनी की रिपोर्ट
10 मई 2017 की निलामी के खिलाफ इन्दौर हाई कोर्ट में की थी अपील
झाबुआ । डेढ़ सौ साल पुराने गोवर्धननाथ मंदिर की संपत्ति अब मंदिर को हर साल लाखों रुपए की कमाई देगी। हाईकोर्ट के निर्णय के बाद दशकों से कम किराए पर जमे दुकानदारों, खेती करने वालों और किरायेदारों को या तो किराया बढ़ाना पड़ेगा या संपत्ति खाली करना पड़ेगी। इंदौर हाईकोर्ट की एकल पीठ ने दो साल पहले लगाई किराएदारों की अपील को खारिज कर दिया है। इन लोगों ने किराया बढ़ाने के लिए की गई नीलामी को अवैध करार देने के लिए अपील की थी। 10 मई 2017 में गोवर्धननाथ मंदिर ट्रस्ट ने इन संपत्तियों की किराएदारी की खुली नीलामी की थी। तब तक मंदिर को किराएदारी से साढ़े 16 हजार रुपए मिल रहे थे। नीलामी में ये राशि 26 लाख से ज्यादा हो गई। अब मंदिर हर साल 60 हजार रुपए कमा रहा है। ट्रस्ट को उम्मीद है कि नए सिरे से किराएदारी की बोली लगने के बाद 50 लाख रुपए हर साल तक आमदनी होगी।
ट्रस्ट की ओर से हाईकोर्ट में पैरवी एडवोकेट विभोर खंडेलवाल ने की थी। मंदिर ट्रस्टी गोस्वामी दिव्येश कुमार ने बताया आगे यहां भव्य मंदिर बनाने और दूसरे परोपकार के कार्य करने की योजना है। ट्रस्ट के तहत गोशाला, वैष्णव आवास, अन्न क्षेत्र, स्कूल और कलेज जहां धार्मिक शिक्षा दी जा सके, बनाए जाएंगे। इसमें नगर के लोगों का सहयोग लेंगे। कोर्ट का निर्णय झाबुआ नगर के लिए प्रसन्नता का विषय है।
कोर्ट ने दिया था नीलामी का आदेश
जिला न्यायालय में चार साल चले प्रकरण के बाद साल 2017 में फैसला आया कि सभी अचल संपत्ति को सार्वजनिक रूप से प्रतिवर्ष नीलाम किया जाए। आदेश पर अमल करते हुए ट्रस्ट ने संपत्ति की नीलामी की कार्रवाई की थी। न्यायालय के आदेश के बाद ट्रस्ट ने संपत्ति की नीलामी तो कर दी लेकिन कुछ कब्जेदारों ने हाईकोर्ट में अपील की। इस अपील पर फैसला दो साल बाद आया।
राजा गोपालसिंह ने बनवाया था मंदिर
मंदिर से जुड़े हरीश शाह ने बताया, गोवर्धननाथ मंदिर का निर्माण डेढ़ सौ साल पहले राजा गोपालसिंह ने कराया था। उनकी गोवर्धननाथ भगवान के प्रति अटूट आस्था थी। मंदिर निर्माण के बाद ठाकुरजी की प्रतिमा राजस्थान के नाथद्वारा से मंगवाई गई थी।
पूर्व कलेक्टर ने करवाई थी श्री गोवर्धननाथ मंदिर ट्रस्ट की जांच
सात साल पहले तत्कालीन कलेक्टर एवं पदेन पंजीयक लोक न्यास के आदेश पर तत्कालीन एडीएम शेखर वर्मा ने श्री गोवर्धननाथ मंदिर और उसकी संपत्ति की जांच कराई थी। जिसमें पता चला था कि मंदिर के पास करोड़ों रुपए की अचल संपत्ति से महज 16 हजार 300 रु. की सालाना आय हो रही है। जबकि आय कई गुना अधिक होना थी। मंदिर की संपत्ति के रूप में मौजूद फलदार वृक्ष और फसलों की भी नीलामी नहीं की गई। इसी आधार पर तत्कालीन कलेक्टर ने ट्रस्ट भंग किए जाने के लिए न्यायालय में आवेदन दिया था। न्यायालय ने निर्णय में ट्रस्ट तो भंग नहीं किया लेकिन कहा कि मंदिर की सभी अचल संपत्ति को सार्वजनिक रूप से प्रतिवर्ष नीलाम करें। राशि मंदिर के बैंक खाते में जमा कराएं। जो कब्जेदार भूमि पर हैं, यदि वे नीलामी में बोली लगाकर सफल होते हैं तो उन्हें कब्जा दें नहीं तो बेदखल करें। ऐसे ही मंदिर के किरायेदारों से बाजार की अन्य दुकान व मकानों की दर के अनुरूप किराया लिया जाए, नहीं तो उन्हें हटाएं।
इतनी संपत्ति मंदिर के पास
श्री गोवर्धननाथ मंदिर के परकोटे में 13 दुकानें और बोहरा मस्जिद के पास 3 दुकाने, छः खेत और बाडी है, गोवर्धन विलास बगीचा, विट्ठल विलास बगीचा, गिरधर विलास बगीचा, हनुमान टेकरी के पास दो खेत, और पिपलिया गांव में एक खेत है वही मंदिर परिसर सहित दूसरी जगह मिला कर 10 आवासीय परिसर भी है ।
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