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झाबुआ

IPS स्कूल झाबुआ के फीस वसूली अभियान को लेकर जिला शिक्षा अधिकारी की कार्यप्रणाली संदेहास्पद…….

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झाबुआ- कोविड-19 महामारी को देखते देश भर मे शैक्षणिक संस्थाएं पूर्ण रूप से बंद थी ।लेकिन झाबुआ जिले में अनलाक की प्रक्रिया के दौरान एक निजी स्कूल संचालक ने ऑनलाइन पढ़ाई की आड़ में फीस वसूली अभियान प्रारंभ किया । इस अलावा प्राइमरी सेक्शन के बच्चों से भी टीसी के नाम पर अवैध रूप से फीस वसूली की, जोकि नियम अनुसार गलत है जिला शिक्षा अधिकारी को सूचना देने के बाद भी इस तरह के अभियान पर कोई कार्यवाही ना करना उनकी संदेहास्पद कार्यप्रणाली को दर्शाता है ।

क्या एक माह ऑनलाइन पढ़ाई की फीस ₹10000 है..

झाबुआ जिले के एक निजी स्कूल संस्थान आईपीएस स्कूल द्वारा कक्षा दसवीं का रिजल्ट आने के पूर्व ही ऑनलाइन क्लासेस प्रारंभ की । जबकि इस ऑनलाइन क्लासेस का कई अभिभावकों ने विरोध किया था । 15 जुलाई को कक्षा दसवीं का रिजल्ट आया और उसके बाद विद्यार्थियों को विषय का चयन करना था कई बच्चों का एडमिशन केंद्रीय विद्यालय में हो जाने से ट्रांसफर सर्टिफिकेट की आवश्यकता थी ।कई अभिभावकों ने आवेदन देकर स्कूल से टीसी की मांग की, तो स्कूल स्टाफ द्वारा ऑनलाइन पढ़ाई का बहाना बनाकर अभिभावकों से किसी से 5000, तो किसी से ₹10000 टीसी देने के रूप में लिए । यदि यह मान लिया जाए कि कुछ बच्चों ने ऑनलाइन पढ़ाई अटेंड की संभवतः 20 दिन या 1 माह….तो क्या एक माह ऑनलाइन की फीस ₹10000 है ।कई अभिभावकों ने जब इसका विरोध किया त़़ो स्कूल संचालक ने टीसी नहीं दी और अंतः अभिभावकों को मांगी गई राशि देने. पर टीसी प्रदान की गई । इसके अलावा भी प्राइमरी सेक्शन के कई अभिभावकों से आईपीएस स्कूल द्वारा टीसी के नाम पर राशि की मांग की जा रही है जो अभिभावक राशि नहीं दे रहा है उन्हें टीसी नहीं दी जा रही है ।जबकि राज्य शासन अनुसार प्राइमरी सेक्शन पर अध्ययन पूर्ण रूप से प्रतिबंधित है तो फिर आईपीएस स्कूल झाबुआ द्वारा प्राइमरी class के बच्चों के अभिभावकों से किस बात की फीस ली जा रही है । जब इसकी शिकायत जिला शिक्षा अधिकारी को की ,तब कार्रवाई करने के बजाए जिला शिक्षा अधिकारी ने नोटिस देकर इतिश्री कि । वही जानकारी लेने पर जिला शिक्षा अधिकारी ने भी कुछ मीडिया कर्मी को भ्रमित करते हुए फर्जी समझौते की जानकारी भी दी ।जबकि अभिभावकों द्वारा ऐसा कोई भी समझौता स्कूल प्रशासन के साथ नहीं किया गया । जब जिला शिक्षा अधिकारी से नोटिस के परिपालन मे आईपीएस स्कूल के जवाब में जानकारी चाही गई , तो जिला शिक्षा अधिकारी ने बताया कि आईपीएस स्कूल से यह जवाब आया है कि हम नियम अनुसार ही फीस ले रहे हैं । प्रश्न यह है कि क्या जिला शिक्षा अधिकारी को इस बात की जानकारी नहीं है की ऑनलाइन पढ़ाई यदि निजी स्कूल संचालक द्वारा प्रारंभ की जाती है तो कितनी राशि अभिभावकों से ली.जा सकती हैं । कार्रवाई करने के बजाय जिला शिक्षा अधिकारी आईपीएस स्कूल के साथ पत्र व्यवहार करने में व्यस्त हैं.। और यह जानने में व्यस्त हैं कि किस नियम के तहत राशि वसूली जा रही है । जबकि नियम तो जिला शिक्षा अधिकारी के पास, शासन द्वारा जारी आदेश के बाद के तहत जानकारी होना चाहिए। क्या जिला शिक्षा अधिकारी को यह जानकारी नहीं है कि जब राज्य सरकार ने प्राइमरी सेक्शन के बच्चों की शिक्षा पर पूर्ण प्रतिबंधित कर दिया है तो फिर इस आईपीएस स्कूल द्वारा प्राइमरी सेक्शन के बच्चों के अभिभावकों से टीसी के नाम पर जो वसूली की जा रही है वह नियम अनुसार गलत है जिला शिक्षा अधिकारी को लिखित व मौखिक सूचना देने के बाद भी जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा कोई कार्रवाई ना करना उनकी संदेहास्पद कार्यप्रणाली को दर्शाता है । उनकी कार्यप्रणाली यह दर्शाती है कि उन्हीं के संरक्षण में यह वसूली अभियान निरंतर जारी है । वही अभिभावकों का कहना है कि यदि नियम अनुसार राशि नहीं लौटाई गई ,तो उन्हें माननीय न्यायालय की शरण में जाना पड़ेगा । जिसकी संपूर्ण जवाबदारी जिला प्रशासन और जिला शिक्षा अधिकारी की होगी ।

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