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झाबुआ

केंद्र सरकार की जल जीवन योजना स्कूल व आंगनवाड़ियों के लिए कितनी उपयोगी…..?

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झाबुआ – केंद्र सरकार के जल जीवन मिशन अंतर्गत मध्यप्रदेश में करोड़ों की योजनाएं चल रही है । उसका लाभ भी जनता को मिल रहा है परंतु अधिकारी व कर्मचारियों की तकनीकी ना समझ से करोडो रुपयों की चल रही योजनाएं कहीं-कहीं बंद भी पड़ी है ।इसी योजना के तहत झाबुआ जिले का भी यही हाल है ।

केंद्र सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों की स्कूलो और आंगनवाड़ी में छात्र छात्राओं के लिए पानी की उपलब्धता को लेकर जल जीवन मिशन अंतर्गत योजना प्रारंभ की । पीएचई विभाग के माध्यम से इस योजनाओं को मूर्त रूप दिया जा रहा हैं। लेकिन झाबुआ जिले में तकनीकी खामियों के कारण यह योजना का लाभ छात्र छात्राओं को नहीं मिल पा रहा है । इसके कारणों को जानने से पता चला… कि तीन मुख्य कारण है जिससे इस जिले में योजना पूर्ण रूप से सफल नहीं हो पा रही है या योजना का लाभ छात्रों को नहीं मिल पा रहा है । प्रथम कारण स्कूल व आंगनवाड़ियों में लाइट कनेक्शन ना होना । दूसरा कारण हैं हैंडपंप में पानी की इल्ड नहीं होना याने पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं होना । तीसरा कारण ग्रामीण क्षेत्रों में पर्याप्त वोल्टेज ना होना । संबंधित विभाग को चाहिए था कि उपरोक्त सभी बिंदुओं पर पूर्ण रूप सर्वे कर, स्कूलों और आंगनवाड़ीयों को चिन्हित कर योजना प्रारंभ करना चाहिए.थी । जिस गांव में योजना प्रारंभ करनी थी उसमें लाइट कनेक्शन हैं या नहीं या फिर वोल्टेज की समस्या तो नहीं और मोटर चलाने लायक हैंडपंप में पानी की उपलब्धता है क्या…? इन तीनों बिंदुओं पर जानकारी निकाल कर ही योजना प्रारंभ करने चाहिए थी । लेकिन कुछ गांव में उपरोक्त बिंदुओं में से कोई में लाइट नहीं, तो कोई में पानी की उपलब्धता नहीं या फिर वोल्टेज समस्या के कारण योजना का लाभ छात्र छात्राओं को नहीं मिल पा रहा है । जिससे योजना तो कागजो पर पूरी हो रही है लेकिन उसका उद्देश्य पूरा नहीं हो रहा है और शासन का लाखों रुपए बर्बाद हो रहा है ठेकेदार तो वर्क आर्डर अनुसार कार्य कर देगा ।

झाबुआ जिले में नल जल योजना अंतर्गत कार्य आदेश अनुसार ठेकेदार द्वारा कार्य प्रारंभ भी कर दिया गया है और कहीं जगह लाइट कनेक्शन के अभाव में हैंडपंप में मोटर डाल दी गई व मोटर बोरिंग में ही पड़ी-पड़ी 8- 10 दिन में जाम हो जाएगी । इससे जो लाभ मिलना चाहिए वह प्राप्त नहीं होगा व शासन के रुपयों की बर्बादी हो जाएगी । इसके अलावा पर्याप्त वोल्टेज याने मोटर चलाने लायक वोल्टेज नहीं होने पर या इसके अभाव में भी मोटर बोरिंग के अंदर ना चलने की स्थिति में जाम हो जाएगी । साथ ही अगर बोरिंग में पर्याप्त मात्रा में पानी उपलब्धता नहीं होगी, तो भी यह नहीं होगा । नवंबर में तो स्कूलों व आंगनबाड़ियों में कार्य हो गया …..। प्रश्न यह है इसकी उपयोगिता कितनी हो रही है …..? इसकी गुणवत्ता को लेकर विभाग द्वारा क्या जांच की गई है मोटर व टंकिया अलग-अलग मेक की डाली जा रही है । 2 -3 स्टैंडर्ड कंपनियों की मेक होती ,तो गुणवत्ता पर प्रश्नचिन्ह नहीं लग सकता था । लेकिन इस और विभाग के अधिकारियों द्वारा ध्यान ही नहीं दिया गया । तकनीकी खामियों के कारण और विभागीय लापरवाही के कारण शासन का लाखों रुपया खर्च होने के बाद भी लाभ नहीं मिल पा रहा है । इसके लिए संबंधित विभाग के अधिकारी पूर्ण रूप से जिम्मेदार है । वैसे भी पाया गया कि गर्मी के दिनों में झाबुआ जिले में हैंडपंप में पानी कम मात्रा में ही आता है जिससे इस योजना की सफलता पर एक प्रश्न चिन्ह है । शासन प्रशासन को चाहिए इस ओर जागरूकता रखना उचित होगा ।

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