झाबुआ – स्थानीय श्री ऋषभदेव बावन जिनालय मे इन दिनो 9 दिवसीय शाश्वत नवपदजी की औलीजी की तपस्या चल रही हे। तपस्वी प्रतिदिन अयाम्बील तप के साथ नवपद जिसमे अरिहन्त , सिद्ध , आचार्य , उपाध्याय , साधु-साध्वी , सम्यक दर्शन , सम्यक ज्ञान , सम्यक चारित्र,और तप पद की विधि और श्रध्दा से आराधना कर रहे हे। 21 अक्टूबर गुरुवार को इन सभी तपस्वियों का पारणा ‘‘जैन सोशियल ग्रूप मेत्री ‘‘ की और से कराया गया । तथा सभी तपस्वीयो का बहूमान भी किया गया । करीब 70 से अधिक तपस्वीयो ने आंयबिल तप किए ।
मुनि श्री रजत विजय जी एवं मुनि श्री जीतचंद्र जी महाराज जी की पावन निश्रा में नव दिवसीय शाश्वत नवपद जी ओली जी की तपस्या संपन्न हुई । सुबह करीब 9:00 बजे सभी तपस्वीयो ने मुनि श्री रजत विजय जी एवं मुनि श्री जीतचंद्र म.सा. के दर्शन किए एवं आशीर्वाद प्राप्त किया । मुनि श्री ने तपस्वीयो को संबोधित करते हुए कहा कि इस नवपद ओली जी की आराधना समाप्त नहीं होनी चाहिए । इसे क्रम निरंतर जारी रखना चाहिए । हमे रोजाना सुबह नवपद की माला गिननी चाहिए । जिस प्रकार हम पौधे को पानी देकर सिचते हैं उसी प्रकार हमको जप और तप से इस नवपद की आराधना करना चाहिए । मुनि श्री में एक कहानी सुनाते हुए बताया कि कि एक गांव में राजा के दरबार में एक गांववसी ने राजा से निवेदन करते हुए कहा कि मैंने एक बिल्ली को 6 महीने से नृत्य की काला सिखाई तथा सुंदर नृत्य भी करती हैं तब राजा ने उक्त प्रजा को आदेश देते हुए , नृत्य की पेशकश की बात कही । जब वह गांववासी बिल्ली को लेकर राजा के दरबार में उपस्थित हुआ और बिल्ली ने अपना सुंदर नृत्य प्रस्तुत किया ,तो सभा में सभी ने इस नृत्य की सराहना की । लेकिन वही दरबार में उपस्थित मंत्री द्वारा चूहे को छोड़ दिया जाता है चूहे को देखकर वह बिल्ली जो नृत्य करती है वह चूहे की ओर आकर्षित हो जाती है और नृत्य छोड़कर चूहे की ओर भागती है उसी प्रकार हमे.जीवन में ऐसा नहीं बनना है । भोगों के पीछे हमें नहीं भागना चाहिए , भोगों में आसक्त होकर हमें तप, आराधना को भूलना नहीं चाहिए । वर्धमान ओली तप के माध्यम से हम तीर्थंकर नाम कर्म का बंधन कर सकते हैं । मुनि श्री ने सभी को मांगलिक सुनाई ।
मुनि श्री रजत विजय जी और मुनि श्री जितचंद्र म.सा की पावन निश्रा में करीब 70 से अधिक लोगों ने इस नवपद ओली तप आराधना में अपनी सहभागिता की । जिसमें 9 श्रावक श्राविकाओ ने वर्धमान ओली तप की आराधना की , जिसमें 20 दिन तक तप व आराधना का दौर चलता है और इसके अंतर्गत आंयबिल और उपवास के द्वारा पूर्ण होता है । वर्धमान ओली तप के लिए लंदन से झाबुआ आकर विशेष रूप से कन्या वीनस कटारिया ने अपनी सहभागिता की । इसके अलावा वीनस कटारिया ने लब्धि तप भी पूर्ण किया हैं ।
सुबह करीब 9:30 बजे जैन सोशल ग्रुप मैत्री के सदस्यों ने स्थानीय बावन जिनालय परिसर में नवपद ओली तप के तपस्वीयो का पारणा कराया । जैन सोश्यल ग्रुप मैत्री के अध्यक्ष पंकज कोठारी और सचिव समकित भंडारी ने सभी तपस्वीयो की सुख साता पूछते हुए पारणा हेतु निवेदन किया । सभी तपस्वीयो द्वारा नवकार मंत्र के उच्चारण के साथ अपना पारणा प्रारंभ किया । सभी तपस्या का बहूमान श्रीमती बसंती जैन ,दिनेश कुमार जैन परिवार की ओर से किया गया।
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