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फूल छाप की अधिकृत लिस्ट आने तक जिन्दा रहेगी दूसरे दावेदारों की उम्मीदें ~~ खीचतान में उलझी पंजा पार्टी ।

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फूल छाप की अधिकृत लिस्ट आने तक जिन्दा रहेगी दूसरे दावेदारों की उम्मीदें ~~।
खीचतान में उलझी पंजा पार्टी ।
रतलाम। शहर की हर गली हर चौराहे पर आजकल यही चर्चा है कि शहर सरकार के लिए होने वाले संर्ग्राम में दोनो पार्टियां किसी योद्धा को उतारेगी? दोनों पार्टियों के पिछडे नेता अपने नाम चला रहे हैैं। इस बीच रविवार को फूल छाप पार्टी की तरफ से नेताजी का नाम फाइनल होने की खबर भी सामने आ गई। फूल छाप पार्टी के दूसरे दावेदारों को फिलहाल इस खबर पर भरोसा नहीं हो पा रहा है। लेकिन नाम सामने आने से कहीं खुशी कहीं गम वाला माहौल भी बन गया है।
फूल छाप पार्टी की तरफ से शहर सरकार की अध्यक्षता कर चुके पिछडे नेता का नाम तय होने की खबरें आई है। जैसे ही ये खबर सामने आई,दूसरे दावेदारों के चेहरे लटक गए। हांलाकि उन्हे राहत इस बात से मिली कि ये खबर पार्टी की अधिकृत घोषणा से नहीं आई है,बल्कि अखबार के खबरची ने अपने सूत्रों के हवाले खबर जारी की है। उनके लिए उम्मीद की एक बारीक सी किरण अभी भी नजर आ रही है। वैसे फूल छाप पार्टी का इतिहास ऐसा है नहीं कि बार बार चेहरे बदले जाए। ये बीमारी पंजा पार्टी में है। पंजा पार्टी में नाम किसी का घोषित होता है और आखरी वक्त पर बी फार्म किसी और को दे दिया जाता है। यही बात फूल छाप से टिकट मांग रहे दूसरे दावेदारों की उदासी को बढा रही है।
अभी कल तक तो फूल छाप पार्टी से नए नए नाम सामने आ रहे थे। ज्यादातर लोगों का अंदाजा था कि नाम तय होते होते नाम वापसी का आखरी वक्त आ जाएगा और तभी ये पता चल पाएगा कि फूल छाप पार्टी किसके सर पर सेहरा बान्ध रही है। लेकिन अखबारी खबर के लिहाज से फूल छाप पार्टी ने बहुत पहले ही सबकुछ तय कर डाला। अब तो देखिए कल से ही जन सम्पर्क का दौर भी शुरु हो जाना चाहिए।
अब अगर ये मानकर चला जाए कि सचमुच में फूल छाप पार्टी ने सबकुछ तय कर लिया है,तो ये भी मानना पडेगा कि फूल छाप पार्टी ने नाम तय करने के मामले में पंजा पार्टी पर बढत बना ली है। फूल छाप पार्टी के उम्मीदवार को अपने प्रचार के लिए पंजा पार्टी के उम्मीदवार से काफी ज्यादा वक्त मिल जाएगा। वैसे भी शहर के ज्यादातर लोग ये मानकर चल रहे है कि रतलाम में पंजा पार्टी की हैसियत बेहद कमजोर है और फूल छाप पार्टी काफी मजबूत है। ऐसे में निगम की अध्यक्षाई कर चुके पिछडे नेताजी को शहर का प्रथम नागरिक बनने का गौरव मिलना तय है।
लेकिन इस का एक दूसरा पहलू भी है। वक्त से पहले नाम सामने आ जाने के कई सारे नुकसान भी है। अखबारी खबर से नाम सामने आने के कारण दूसरे दावेदार तेजी से सक्रिय हो गए है। नेताजी के इतिहास की बातें ढूंढ ढूंढ कर उपर वालों को भेजी जा रही है। बात दारु के धन्धे की हो या सड्ढट्टे के कारोबार की,या रिश्तों की,सारी की सारी बातें नमक मिर्च लगाकर भेजी जा रही है। इनका असर कितना होगा,होगा या नहीं होगा? कोई नहीं जानता,लेकिन टिकट पाने से वंचित रह गए दावेदार अपना दायित्व निभाने में कतई पीछे रहने वाले नहीं है।
फूल छाप का नाम तय होने से पंजा पार्टी की चर्चाएं भी कमजोर हो गई है। फिलहाल हर कोई सिर्फ फूल छाप के उम्मीदवार की ही बातें कर रहा है। टिकट दिलवाने में किसका क्या रोल था,किसने लाबिंग की,कैसे की? अब इन सारी बातों पर लोग अपने अपने एक्सपर्ट व्यू पेश कर रहे है।
नेताजी को जानने वाले कुछ जानकारों का मानना ये भी है कि नेताजी शहर के प्रथम नागरिक बन गए तो शहर की सियासत में एक की बजाय दो पावर सेन्टर बन जाएंगे। इससे पहले जितने भी प्रथम नागरिक बने उनमें से कोई भी पावर सेन्टर नहीं बन पाया था,लेकिन नेताजी की काबिलियत को जानने वाले बताते है कि उनकी जीत के बाद उनका पावर सेन्टर बनना भी तय है।कुल मिलाकर जब तक फूल छाप पार्टी अपनी अधिकृत लिस्ट जारी नहीं कर देती,दूसरे दावेदार अपनी उम्मीदें मरने नहीं देंगे। इंतजार कीजिए कि कब फूल छाप पार्टी अपनी अधिकृत लिस्ट जारी करती है।
खींचतान जारी है पंजा पार्टी में–
इधर तो फूल छाप में नाम तय हो जाने की चर्चाएँ जोर पकड रही है,उधर पंजा पार्टी में खींचतान लगातार जारी है। पंजा पार्टी में तीन चार दावेदारों के नाम हवाओं में तैर रहे है। पंजा पार्टी के लिए चुनौतियां बहुत ज्यादा है। पंजा पार्टी के टिकट पर दावा जताने वालों में दो पहलवान है,तो एक जालीदार गोल टोपी वालों के समुदाय से है। एक दावेदार पहले जिले की पंचायत का जिम्मा सम्हाल चुके है। सियासत को समझने वालों का मानना है कि पंजा पार्टी के दावेदारों में कोई भी इतना दमदार नजर नहीं आता कि वो फूल छाप को पटखनी दे सके। लेकिन फिर भी लडाई में उतरना जरुरी है। वैसे चुनाव में हार जीत हमेशा जनता के हाथ में होती है और खुद को सियासत का जानकार समझने वालों के गणित को जनता कभी भी फेल कर सकती है। कुल मिलाकर जनता का फैसला तभी सामने आएगा जब मशीनें खुलेगी। तब तक तो सिर्फ कयास ही लगाए जा सकते है। पंजा पार्टी किसे दावेदार को अपना उम्मीदवार बनाती है यह जानने के लिए अभी और इंतजार जरुरी है। साभार-

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